मानवाधिकारों पर विएना घोषणा Vienna Declaration and Programme of Action
जून 1993 में विएना में विश्व मानवाधिकार सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में मानव अधिकारों की रक्षा और प्रोन्नति के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता को दोहराया गया। सम्मेलन के मुख्य लक्ष्य थे-विश्वभर में मानवाधिकारों को एक महत्वपूर्ण विषय बनाना; मानवाधिकार यंत्रों और मानवाधिकारों की विश्लेषण प्रणाली को मजबूत बनाने के लिये विशिष्ट उपायों का निर्धारण करना और, मानवाधिकारों को और विस्तृत बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों में समन्वय स्थापित करना। सम्मेलन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से एक मानवाधिकार उच्च आयुक्त के गठन पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करने की सिफारिश की। इसके परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार उच्चायुक्त का गठन किया। सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन की सुनवाई हेतु एक अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की स्थापना की भी सिफारिश की गई।
सम्मेलन में विएना घोषणा और एक कार्य योजना को अपनाया गया। विएना घोषणा के अनुसार सभी मानवाधिकार सार्वभौमिक, अविभाज्य, अन्योन्याश्रित और परस्पर सम्बंधित हैं। सभी लोगों के लिए आत्मनिर्णय के अधिकार और आत्मनिर्णय के सम्बन्ध में उनके द्वारा क़ानूनी कदम उठाने के अधिकार को दुहराया गया। इसका अर्थ यह नहीं था कि विएना घोषणा ने संप्रभु और स्वतंत्र देशों की क्षेत्रीय अंखडता को भंग करने की स्वीकृति दे दी। घोषणा ने मानवाधिकारों के सम्मान और विकास तथा प्रजातंत्र की अन्योन्याश्रित और परस्पर-प्रवर्तनीय माना। घोषणा में यह भी कहा गया कि विकास से मानवाधिकारों के उपयोग को प्रोत्साहन मिलता है। लेकिन मानवाधिकारों के उल्लंघन को न्यायोचित ठहराने के लिए विकास के आभाव का तर्क प्रस्तुत करना उचित नहीं है। विएना घोषणा में सभी सदस्य देशों से आग्रह किया गया कि वे कोई भी ऐसा कदम, विशेषकर व्यापार के क्षेत्र में, नहीं उठायें जो अंतरराष्ट्रीय कानून के विरुद्ध है। घोषणा में कहा गया कि, राजनीतिक दबाव के यंत्र के रूप में भोजन का प्रयोग नहीं होना चाहिये। लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की सिफारिश की गयी। अंत में, घोषणा में अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकार का समर्थन करते हुये कहा गया कि, इन अधिकारों के उपभोग में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये।