व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन United Nations Conference on Trade and Development – UNCTAD
अंकटाड की स्थापना 30 दिसम्बर, 1964 को महासभा द्वारा पारित प्रस्ताव के अंतर्गत की गयी थी। इसका मुख्यालय जेनेवा में है। अंकटाड में सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्यों के अतिरिक्त स्विट्जरलैंड एवं वेटिकन सिटी का भी प्रतिनिधित्व रहता है। अनेक सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों को पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके मुख्य अंगों में व्यापार एवं विकास बोर्ड (144 सदस्य), वस्तुओं व सेवाओं के व्यापार, निवेश तकनीक व उससे जुड़े वित्तीय मामले तथा व्यापार प्रोत्साहन व विकास से सम्बंधित तीन आयोग और एक सचिवालय शामिल हैं। सम्मेलन का आयोजन प्रत्येक चार वर्षों में एक बार होता है।
अंकटाड का उद्देश्य अल्पविकसित देशों के त्वरित आर्थिक विकास हेतु अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करना, व्यापारको प्रोत्साहित करना, व्यापार व विकास नीतियों का निर्माण एवं क्रियान्वयन करना, व्यापार व विकास के सम्बंध में संयुक्त राष्ट्र परिवार की विभिन्न संस्थाओं के मध्य समन्वय की समीक्षा व संवर्द्धन करना तथा सरकारों एवं क्षेत्रीय आर्थिक समूहों की व्यापार व विकास नीतियों में सामंजस्य लाना है।
पण्य वस्तुओं हेतु एकीकृत कार्यक्रम (आईपीसी) अंकटाड का एक मूलभूत प्रयास है, जिसका उद्देश्य प्राथमिक पण्य वस्तुओं, जिन पर विकासशील देशों को अपनी निर्यातों से होने वाली आय के लिए अत्याधिक निर्भर रहना पड़ता है, की लाभकारिता तथा उचित व स्थिर मूल्यों को सुरक्षित रखना है। इसी ढांचे के अंतर्गत व्यक्तिगत पण्य वस्तु समझौतों पर वार्ताएं की जाती हैं। आईपीसी के अंतर्गत सम्पन्न हुए महत्वपूर्ण समझौतों में अंतरराष्ट्रीय रबड़ समझौता (1982), अंतरराष्ट्रीय उष्णकटिबंधीय काष्ठ समझौता (1988), प्राकृतिक रबड़ हेतु समझौता (1987), जूट एवं जूट उत्पादों पर अंतरराष्ट्रीय समझौता (1982), कोको व जैतून तेल सम्बंधी समझौता (1986) तथा अंतरराष्ट्रीय चीनी समझौता (1992) इत्यादि प्रमुख हैं। इन
संयुक्त राष्ट्र संघ अंतरराष्ट्रीय दशक | |
1983-1992 | संयुक्त राष्ट्र विक्लांग दशक |
1983-1993 | जाति एवं प्रजाति भेदभाव के खिलाफ संघर्ष का दूसरा दशक |
1985-1994 | एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र हेतु परिवहन एवं संचार दशक |
1988-1997 | सांस्कृतिक विकास का दशक |
1990 | प्राकृतिक आपदा ह्रास का अंतरराष्ट्रीय दशक |
1990 | तीसरा नि:शस्त्रीकरण दशक |
1990-1999 | अंतरराष्ट्रीय विधि दशक |
1990-2000 | औपनिवेशीकरण उन्मूलन का अंतरराष्ट्रीय दशक |
1991-2000 | चौथा, संयुक्त राष्ट्र संघ विकास दशक |
1991-2000 | दूसरा, अफ्रीका परिवहन एवं संचार दशक |
1991-2000 | नशाखोरी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र दशक |
1993-2003 | जाति एवं प्रजाति भेदभाव के खिलाफ संघर्ष का तीसरा दशक |
1994-2004 | वैश्विक मूल निवासी का प्रथम अंतरराष्ट्रीय दशक |
1995-2004 | मानवाधिकार शिक्षा का संयुक्त राष्ट्र दशक |
1997-2006 | गरीबी निवारण का प्रथम संयुक्त राष्ट्र दशक |
2001-2010 | औपनिवेशिक उन्मूलन का दूसरा अंतरराष्ट्रीय दशक |
2001-2010 | विकासशील देशों (विशेष रूप से अफ्रीका में) में मलेरिया उन्मूलन दशक |
2001-2010 | विश्व के बच्चों के प्रति शांति एवं अहिंसा की संस्कृति का अंतरराष्ट्रीय दशक |
2003-2012 | संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक |
2005-2015 | वैश्विक मूल निवासी दूसरा अंतरराष्ट्रीय दशक |
2005-2015 | सतत् विकास हेतु शिक्षा का संयुक्त राष्ट्र दशक |
2005-2015 | जीवन के लिए जल कार्यवाही अंतरराष्ट्रीय दशक |
2005-2015 | चनॉबिल आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास एवं सतत् विकास का दशक |
2008-2017 | दूसरा गरीबी निवारण संयुक्त राष्ट्र दशक |
2010-2020 | मरुस्थल एवं मरुस्थलीकरण के खिलाफ संघर्ष का दशक |
2011-2020 | औपनिवेशीकरण के उन्मूलन का तीसरा अंतरराष्ट्रीय दशक |
2011-2020 | जैव-विविधता दशक |
2011-2020 | सड़क सुरक्षा के लिए कार्यवाही दशक |
2013-2022 | संस्कृतियों की पुनर्पहुंच हेतु अंतरराष्ट्रीय दशक |
2014-2024 | सभी के लिए सतत ऊर्जा का संयुक्त राष्ट्र दशक |
समझौतों को संशोधित व विस्तृत करने के सम्बंध में भी सामान्य नियमों एवं शर्तों पर हस्ताक्षर किये गये हैं। परंपरागत पारस्परिकता तथा सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र नियमों से परे व्यापक निर्यात अवसरों को खोजने से विकासशील देशों की सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से 1970 में वरीयताओं की सामान्यीकृत प्रणाली पर समझौता किया गया।
अंकटाड के तत्वावधान में सामुद्रिक व्यापार से जुड़ी कई संधियां सम्पन्न हुई हैं। इन संधियों में सवारी पोत से जुड़े सम्मेलनों हेतु आचार नियमों पर संधि, समुद्र के माध्यम से वस्तुओं की दुलाई पर संधि (हैम्बर्ग नियम), वस्तुओं के बहुरूपात्मक परिवहन पर अंतरराष्ट्रीय संधि, जहाजों के पंजीकरण हेतु शर्तों पर संधि तथा सामुद्रिक बंधक-पत्रों व उत्पादों पर संधि इत्यादि शामिल हैं।
विश्व व्यापार संगठन का उदय, 1990 के दशक में हुए भूमंडलीय आर्थिक परिवर्तन तथा संयुक्त राष्ट्र के सामने मौजूद वित्तीय संकट इत्यादि कुछ ऐसे कारण हैं, जिन्होंने अंकटाड की प्रासांगिकता, भूमिका एवं कार्यक्रमों के सम्बंध में कई शंकाओं को जन्म दिया है। दक्षिण अफ्रीका के मिडरेंड में हुए अंकटाड के नौवें चातुर्वार्षिक सम्मेलन (अप्रैल-मई 1996) में सदस्यों द्वारा संगठन में सुधार लाने का निश्चय किया गया।
अंकटाड के तकनीकी सहयोग कार्यक्रमों द्वारा अल्पविकसित देशों को लाभान्वित करने का प्रयास किया जाता है। अंकटाड तथा अन्य विश्व संगठनों (विशेष रूप से डब्ल्यूटीओ) क मध्य निकट सहयोग स्थापित करने के प्रयास भी किये गये हैं।
अंकटाड के प्रकाशनों में अंकटाडबुलेटिन (द्वि-मासिक), व्यापार एवं विकास रिफीट (वार्षिक), अल्पविकसित देशों की रिपोर्ट (वार्षिक) तथा विश्व निवेश रिपोट (वार्षिक) शामिल हैं।