ट्रैकियोफाइटा Tracheophyta
ट्रैकियोफाइटा प्रभाग में उन पादपों को सम्मिलित किया गया है जिनमें संवहनी ऊतक (vascular tissue) पाये जाते हैं। इस प्रभाग में अब तक 2.75 लाख जातियों की खोज की जा चुकी है। इस प्रभाग को पुनः तीन उप-प्रभाग में विभाजित किया गया है-
- टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)
- अनावृत्तबीजी (Gymnosperm) तथा
- आवृत्तबीजी (Angiosperm)
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta): इस उप-प्रभाग में अपुष्पोभिद् (Cryptogamous) पादपों को रखा गया है। इस उप-प्रभाग के सदस्यों में जल एवं खनिज-लवण के संवहन हेतु संवहन ऊतक (vascular tissue) पाये जाते हैं। इस उप-प्रभाग के पादपों में पाये जाने वाले प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
- इनका शरीर जड़, तना एवं पत्ती में विभाजित रहता है।
- इनमें संवहन ऊतक जाइलम (Xylem) एवं फ्लोएम (Phloem) में बँटा रहता है।
- इनमें पुष्प और बीज का निर्माण नहीं होता है।
- इनमें मुख्य पौधा बीजाणुद्धभिद् (sporophyte) होता है, जिसमें प्रायः जड़, तना (स्तम्भ) तथा पत्ते होते हैं ।
- इनमें बीजाणु (spores) बीजाणुधानियों (sporangia) में उत्पन्न होते हैं।
- बीजाणुधानियाँ (sporangia) जिस पत्ती पर उत्पन्न होती हैं, उस पत्ती को बीजाणुपर्ण (Sporophyll) कहते हैं।
- युग्मोभिद् (Gametophyte) पौधे पर नर जननांग पुंधानी (Antheridium) तथा मादा जननांग स्त्रीधानी (Archegonium) उत्पन्न होते हैं।
- इन पौधों में एक निश्चित पीढ़ी एकान्तरण (Altration of generation) होता है।
- जाइगोट (zygote) में जाइगोस्पोर (zygospore) का निर्माण होता है।
टेरिडोफाइटा को चार उपफाइलम में विभाजित किया गया है-
- साइलोप्सिडा (Psilopsida)- जैसे- साइलोटम
- लाइकोप्सिडा (Lycopsida)- जैसे- लाइकोपोडियम
- स्फिनोप्सिडा (Sphenopsida)– जैसे- इक्वीसेटम
- टेरोप्सिडा (Pteropsida)- जैसे-ड्रायोप्टेसिस या फर्न
टेरिडोफाइटा का आर्थिक महत्व
- लाइकोपोडियम (Lycopodium) के बीजाणु दवाई के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।
- मार्सिलिया (Marsilea) तथा सिरेटोप्टेरिस (Ceratopteris) जैसे टेरिडोफाइट्स का उपयोग सब्जी के रूप में होता है।
- टेरिडियम (Pteridium) का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में होता है।
- सिलेजिनेला (selaginella) में पुनर्जीवन का गुण पाया जाता है। इस कारण इसका उपयोग मेजों पर सजावट हेतु किया जाता है।
- इक्विसेटम (Equiseturn) नामक टेरिडोफाइट्स से सोना प्राप्त किया जाता है।
नोट:
- फन टेरिडोफाइटा वर्ग का सबसे विख्यात पौधा है।
- टेरिडोफाइटा का सबसे पहला जीवाश्म Late Paleozoic काल को सिलुरियन अवधि (Silurian period) में देखा गया था। इस करण Late paleozoic को Age of Pteridophytes कहा जाता है।
- भारतीय टेरिडोफाइट जीवाश्मों का विस्तृत अध्ययन सुरंज (Surange) नामक वनस्पतिशास्त्री द्वारा किया गया है।
- टेरिडोफाइटा को विकसित वीजरहित पौधा कहा जाता है।