सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति रद्द The Supreme Court canceled the appointment of CVC
3 मार्च, 2011 के अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पी.जे. थॉमस की नियुक्ति को रद्द कर दिया। सीवीसी पी.जे. थॉमस की नियुक्ति को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीवीसी का कार्यालय ईमानदारी का संस्थान है। इसकी पहली प्राथमिकता ईमानदारी है जैसा कि सीवीसी एक्ट, 2003 से स्पष्ट है। इसे सतर्कता प्रशासन का कार्य करना होता है। यदि सीवीसी एक्ट के उद्देश्यों के अनुसार एचपीसी ईमानदारी के पहलू पर विचार नहीं करती है तो इसका फैसला सरकारी मनमानी के आधार पर रद्द माना जाएगा। सरकार को यह देखना चाहिए की यदि नियुक्ति संसथान की छवि के अनुरूप नहीं है तो यह नियुक्ति न की जाए। एक्ट की धारा 4 के अनुसार एचपीसी को यह देखना आवश्यक है कि संस्थान के लिए क्या अच्छा है। व्यक्ति के लिए क्या अच्छा है यह विचार करना उसका कार्य नहीं है। जब संस्थागत ईमानदारी का प्रश्न आता है तो कसौटी सार्वजनिक हित होना चाहिए, व्यक्ति नहीं। हालांकि हमें थॉमस की ईमानदारी पर कोई शक नहीं है।
सीवीसी को नियुक्त करने वाली तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी बहुमत के निर्णय से नियुक्ति करेगी या सर्वसम्मति से, इस मुद्दे पर पीठ ने कहा कि यह बहुमत से ही होना चाहिए। सर्वसम्मति से निर्णय करने की अनुमति देना विपक्ष के नेता को वीटो पावर देना जैसा हो जाएगा।
चीफ जस्टिस एस एच कपाड़िया, स्वतंत्र कुमार और केएस राधाकृष्णन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हाई पावर कमेटी ने उन महत्वपूर्ण सामग्रियों और तथ्यों पर विचार नहीं किया जो थॉमस की नियुक्ति से सीधा संबंध रखते थे। नीतिगत फैसले लेने पर सरकार कोर्ट में जवाबदेह नहीं है, लेकिन इन फैसलों की क़ानूनी वैधता के लिए वह जवाबदेह जरूर है। हम एचपीसी के फैसले के खिलाफ अपील पर नहीं बैठ रहे हैं, बल्कि यह देख रहे हैं कि एचपीसी ने निर्णय की प्रक्रिया में उपयुक्त सामग्री पर विचार किया या नहीं।
पीठ ने कहा, हमने पाया है कि एचपीसी ने सिर्फ कार्मिक विभाग द्वारा भेजे गए बायोडाटा पर विचार किया है। इस बायोडाटा में थॉमस पर पामोलीन आयात केस में लगे आरोपों तथा कार्मिक विभाग द्वारा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए तीन बार की गई सिफारिशों (2000 से 2004 के बीच) की जानकारी नहीं दी गई थी। यह भी नहीं बताया गया था कि सीवीसी ने उन्हें अक्टूबर 08 में क्लीयरेंस देने पर अपना स्टेंड क्यों बदला।
क्या है सीवीसी
सीवीसी केंद्रीय भ्रष्टाचार निरोधक निकाय है जो सरकार के उच्चाधिकारियों पर निगाह रखता है। सीवीसी एक्ट 2003 के अनुसार यह भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच का आदेश देता है। यह सीबीआई की सुपरवाइजरी अथॉरिटी भी है। सीवीसी का कार्यकाल चार वर्ष का होता है। केंद्र सरकार में सचिव स्तर के अफसर नियुक्ति के योग्य होते हैं। नियुक्ति प्रक्रिया केंद्रीय सतर्कता आयोग एक्ट की धारा 4 के अनुसार यह नियुक्ति तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी करती है। इसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा नेता प्रतिपक्ष होते हैं। सीवीसी पद पर थॉमस की नियुक्ति का नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने ही विरोध किया था। कोर्ट के दिशा-निर्देश
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