सर्वोच्च न्यायालय ने कॉमन मेडिकल प्रवेश परीक्षा को रद्द किया The Supreme Court annulled the common medical entrance exam
18 जुलाई, 2013 को सर्वोच्च न्यायालय ने नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एन्ट्रेन्स टेस्ट (एनईईटी) को असंवैधानिक घोषित किया। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) एवं भारतीय दंत परिषद् (डीसीआई) ने स्नातक एवं परास्नातक कोर्सों में दाखिले के लिए यह परीक्षा शुरू की थी।
मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर एवं न्यायाधीश अनिल आर. देव एवं विक्रमजीत सेन ने 2-1 के बहुमत से निर्णय दिया कि यह परीक्षा राज्यों, राज्य संचालित विश्वविद्यालयों एवं सभी मेडिकल कालेजों एवं संस्थानों, और उन्हें जिन्हें एमबीबीएस, बीडीएस एवं परास्नातक कोर्सों में विद्यार्थियों को प्रवेश देने का संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है, उनके अधिकारों से वंचित करती हैं।
न्यायालय के अनुसार, भारतीय चिकित्सा परिषद् अधिनियम, 1956 और दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 के तहत् एमसीआई और डीसीआई को भूमिका प्रदान की गई हैं कि वे चिकित्सा शिक्षा की उत्कृष्टता को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे मापदण्ड तय करने तक सीमित हैं जो सभी चिकित्सा कॉलेजों एवं संस्थानों पर एकसमान रूप से लागू होंगे। न्यायालय ने निर्णय दिया कि भारतीय चिकित्सा परिषद् वास्तविक तौर पर एनईईटी आयोजित कराने में कानूनी तौर पर आधिकारिक नहीं है।
न्यायालय ने बताया कि दाखिला करना किसी शैक्षिक संस्थान के अधिकार का हिस्सा है और इसे मात्र चिकित्सा शिक्षा के मानक स्तर को बनाए रखने के अतिरिक्त विनियमित या प्रशासित नहीं किया जा सकता।