भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण The Inland Waterways Authority of India – IWAI
नौवहन और नौचालन के लिये अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास और विनियमन हेतु भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (भा.अ.ज.प्रा.)27 अक्टूबर, 1986 को अस्तित्व में आया। जहाजरानी मंत्रालय से प्राप्त अनुदान के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्गों पर अंतर्देशीय जल परिवहन (अ.ज.प.) अवसंरचना के विकास और अनुरक्षण हेतु प्राधिकरण मुख्य रूप से परियोजनाएं हाथ में लेता है। प्राधिकरण का मुख्यालय नोएडा में स्थित है। पटना, कोलकाता, गुवाहाटी और कोच्चि में प्राधिकरण के क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं और इलाहाबाद, वाराणसी, भागलपुर, फरक्का और कोल्लम में उप-कार्यालय भी।
यह संभाव्यता अध्ययन भी कराता है और अन्य जलमागों को राष्ट्रीय जलामार्गों के रूप में घोषणा कराने के लिए प्रस्ताव तैयार करता है। यह अंतर्देशीय जल परिवहन से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार को परामर्श भी देता है और अ.ज.प. क्षेत्र के विकास में राज्यों की मदद करता है।
संगठनात्मक स्वरूप
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण में एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष होता है। तीन पूर्णकालिक सदस्य, सदस्य (वित), सदस्य (तकनीकी) एवं सदस्य (यातायात) होते हैं और तीन अंशकालिक सदस्य होते हैं। साथ ही संगठन में सचिव, मुख्य अभियंता (सिविल), मुख्य अभियंता (पी एण्ड सी), कार्यपालक निदेशक (वित्त) एवं अंकेक्षक जैसे अन्य अधिकारी भी होते हैं।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के कार्य
- राष्ट्रीय जलमार्ग सर्वेक्षण
- नौचालन, अवसंरचना एवं विनियम
- फेयरवे विकास
- पायलेटज करना
- अन्य साधनों के साथ भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का समन्वय
- केंद्र सरकार की सलाह
- जलीय सर्वेक्षणों का कार्यान्वयन
- राज्य सरकारों की सहायता
- परामर्शदात्री सेवाओं का विकास
- अनुसंधान एवं विकास
- जलमार्गों का वर्गीकरण
- मानक एवं सुरक्षा