इब्सा The IBSA Dialogue Forum – India, Brazil, South Africa
इब्सा तीन देशों (भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका) के बीच समन्वय एवं सहयोग तंत्र है, जो बहुजातीय एवं बहु-सांस्कृतिक लोकतंत्र हैं।
सदस्यता: भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका।
उद्भव एवं विकास
इब्सा की स्थापना 6 जून, 2008 को ब्रासीलिया उद्घोषणा द्वारा हुई जिसने तीनों देशों भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका की लोकतांत्रिक पृष्ठभूमि, विकासशील राष्ट्र की उनकी स्थिति और वैश्विक पैमाने पर कार्य करने की उनकी क्षमता होने के चलते तीनों देशों को एक मंच पर खड़ा किया। उनके मध्य शक्ति के दर्जे, अपनी सीमाओं के भीतर सामाजिक असमानताओं को पहचानने की उनकी साझा आवश्यकता और तीनों देशों में मजबूत औद्योगिक क्षेत्रों की मौजूदगी को अक्सर एक अतिरिक्त तत्व के तौर पर उल्लिखित किया गया जो फोरम के सदस्यों के बीच परिवर्तन लाएगा।
वर्ष 2013 इब्सा में बेहद महत्वपूर्ण वर्ष रहा जब इसने अपने अस्तित्व के 10 वर्ष पूरे कर लिए। यह इब्सा की उपलब्धियों को प्रतिबिम्बित करने के साथ-साथ आगे का रास्ता तय करने का भी समय था।
उद्देश्य
इब्सा का उद्देश्य एक नवीन अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के निर्माण में योगदान करना है। वैश्विक विषयों पर मिलकर अपनी आवाज उठाना है। विभिन्न क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत करना है।
इब्सा संवाद फोरम के सिद्धांत, मानदंड एवं आदर्श सहभागी लोकतंत्र, मानवाधिकारों के प्रति आदर और विधि का शासन है। इब्सा की ताकत इस बात में है कि तीनों ही सदस्य राष्ट्र एक साझा दृष्टि रखते हैं कि लोकतंत्र और विकास आपसी रूप से लागू होती हैं और यह सतत् शांति एवं स्थिरता की कुंजी है।
संरचना
इब्सा की मुक्त एवं लोचशील संरचना है। इब्सा का कोई मुख्यालय या स्थायी कार्यकारी सचिवालय नहीं है। उच्च स्तर पर, इसके सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों एवं राज्याध्यक्षों के शिखर सम्मेलन आयोजित होते हैं। इब्सा के 2013 तक कई शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। इसके प्रथम चक्र के सम्मेलन 2008 में और दूसरे चक्र के सम्मेलन वर्ष 2013 में संपन्न हो गए।
गतिविधियां
विगत् वर्षों के दौरान, इब्सा विभिन्न कदमों को उठाने की एक छतरी बन गया है। जिसमें अंतरराष्ट्रीय मंच पर कूटनीतिक क्षेत्र और विभिन्न कार्य दलों को सहयोग के क्षेत्र में समर्थन दोनों शामिल हैं।
इब्सा सहयोगियों के बीच व्यापार में फोरम के अस्तित्व में आने के समय से महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है जो 2015 तक 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा और जिसे आसानी से प्राप्त कर लिया जाएगा। सिविल सोसायटी का सहयोग भी इब्सा का एक महत्वपूर्ण तत्व रहा है और इसने अल्प विकसित देशों में अपने विकास सहयोग कार्यक्रम के माध्यम से स्वयं की एक अलग पहचान बनाई है। इस, प्रकार इब्सा सभी स्तरों पर भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका को जोड़ने का उपकरण भी बन गया है।
इब्सा ने वर्ष 2004 में इब्सा की उपलब्ध क्षमताओं और उनकी सर्वोत्तम अतिरिक व्यवहारों पर आधारित मजबूत कार्यक्रमों को समर्थन प्रदान करने के लिए एक इब्सा कोष की स्थापना की, जो अन्य विकासशील देशों की राष्ट्रीय अधिमान्यताओं में योगदान दे।
इब्सा के राष्ट्राध्यक्षों एवं राज्याध्यक्षों की प्रथम बैठक 13 सितंबर, 2006 को ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया में संपन्न हुई। तीन देंशों (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) के समूह इब्सा का गठन तीन वर्ष पूर्व (2003 में) हुआ था। इन तीन वर्षों में इब्सा के तीनों सदस्य देशों के आपसी सहयोग के प्रति संतोष व्यक्त करते हुए इसे दक्षिण-दक्षिण सहयोग का एक ज्वलंत उदाहरण बताया गया।
पारस्परिक हितों के विभिन्न राजनीतिक, आर्थिक, क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण अपनाने व परस्पर सहयोग करने का आह्वान इस शिखर बैठक में जारी घोषणा-पत्र में किया गया।
इब्सा की दूसरी शिखर बैठक दक्षिण अफ्रीका के श्वाने में 17 अक्टूबर, 2007 को की गई। इसमें सदस्य देशों ने मजबूती से दक्षिण-दक्षिण सहयोग की सतत् विकास के लिए और गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई। इन्होंने धारणीय एवं समावेशी आर्थिक वृद्धि के माध्यम से गरीबी निवारण की प्रतिबद्धता जाहिर की। उन्होंने रियो उद्घोषणा, एजेंडा 21 और सतत् विकास पर विश्व बैठक के जोहांसबर्ग योजना के सिद्धांतों के क्रियान्वयन की महत्ता को उद्घाटित किया।
इब्सा की तीसरी शिखर बैठक नई दिल्ली में 15 अक्टूबर, 2008 को आयोजित की गई। इस बैठक में सदस्य देशों ने इब्सा के अस्तित्व में आने के समय से इसकी प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। अपनी गतिविधियों में सिविल सोसायटी के विकासपरक भागीदारी पर सदस्य नेताओं ने संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने आतंकवाद से लड़ने हेतु ठोस रणनीति बनाने की प्रतिबद्धता जाहिर की। इस बैठक में नेताओं ने वैश्विक शासन को अधिक लोकतांत्रिक, प्रतिनिधित्वपूर्ण और वैध संगठनात्मक बनाने की बात को दोहराया और इसके लिए बहुपक्षीय संस्थानों के निर्णय-निर्माण निकायों में विकासशील देशों की भागीदारी को बढ़ाना होगा। नेताओं ने जलवायु परिवर्तन पर आवश्यक कार्यवाही करने की महत्ता की भी समझा।
इब्सा का चौथा शिखर सम्मेलन 15 अप्रैल, 2010 को ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन के साथ ब्रिक सम्मेलन भी ब्रासीलिया में 15 अप्रैल, 2010 को ही संपन्न हुआ था।
इस सम्मेलन में इब्सा सदस्य देशों ने यह माना कि मध्य-पूर्व में व्यापक शांति न केवल क्षेत्र के देशों एवं लोगों के लिए महत्वपूर्ण है अपितु अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। इन देशों ने यह भी महसूस किया कि एक व्यापक अरब-इजरायली शांति प्रक्रिया होनी चाहिए, जिसमें इजरायल एवं फिलिस्तीन के बीच बातचीत भी शामिल है, और यह सभी क्षेत्रों में एक ठोस मुकाम तक पहुंचनी चाहिए।
तीन देशों-भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका, के समूह (इब्सा) का पांचवां शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका की राजधानी प्रिटोरिया में 18 अक्टूबर, 2011 को हुआ। इस सम्मेलन में तीनों राष्ट्राध्यक्षों ने विकसित देशों के समक्ष विद्यमान संकट सहित अनेक मुद्दों पर चर्चा की। तीनों ही नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि स्थिति अनियंत्रित होने से पूर्व ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। जिन मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई उनमें इब्सा ट्रस्ट फण्ड, इब्सा डायलॉग फॉरम व त्रिपक्षीय व्यापार के मुद्दे शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में दूसरे इब्सा सम्मेलन के दौरान लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस फोरम की शुरुआत की गई थी। यह भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका की महिलाओं को एक साथ लाने का अनूठा मंच है। यह फोरम तीनों देशों की सुविधा प्रदान करता है। इब्सा (भारत, ब्राजील और द. अफ्रीका) महिला मंच सम्मेलन 14-16 मई, 2013 को नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन महिलाओं तथा लड़कियों के खिलाफ हिंसा रोकने की पहल दर्शाने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, राजनीतिक एवं नेतृत्व साझेदारी, ग्रामीण एवं उपेक्षित महिलाओं की सशक्त करने के उद्देश्य से किया गया। सम्मेलन में एक संयुक्त प्रस्ताव पारित किया गया। संयुक्त प्रस्ताव के मुख्य बिंदु इस प्रकार है-
- तीनों देश लिंग-भेद समाप्ति और महिला सशक्तीकरण की दिशा में सिविल सोसायटी के साथ मिलकर अपने प्रयासों को तीव्र करेंगे।
- महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा को समाप्त करने, महिलाओं खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और हाशिये पर खड़ी महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए प्रयास करेंगे।
- महिलाओं के हिंसामुक्त और समानता आधारित सतत् विकास हेतु महिला सशक्तीकरण के संकेतक तैयार करने की बात की गई।
- महिलाओं और लड़कियों के बारे में अंतरराष्ट्रीय समझौते के प्रति फोरम की वचनबद्धता को स्वीकार किया गया।
- वर्ष 2015 के विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, महिलाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप बजट तैयार करने एवं इस दौरान ढाँचागत असमानताओं को दूर करने पर विशेष बल दिया जाएगा।