दस देशों का समूह The Group of Ten – G-10
यह समूह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के ऋण संसाधनों में वृद्धि लाने के लिये गठित पूरक ऋण समझौते में अंशदान देने वाले देशों को एकजुट करता है।
सदस्यता: बेल्जियम, कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।
आधिकारिक पर्यवेक्षक: आईएमएफ, ओईसीडी, बीआईएस और यूरोपीय समुदाय आयोग।
सहयोगी सदस्य: लग्जमबर्ग।
उद्भव एवं विकास
दस देशों के समूह (जी-10) में वे देश सम्मिलित हैं, जो पूरक ऋण समझौते के तहत आईएमएफ की ऋण प्रदान करने की क्षमता में विस्तार लाने के उद्देश्य से गठित ऋण लेने हेतु सामान्य समझौते (जीएबी) में अंशदान देते हैं। जीएबी का गठन अक्टूबर 1962 में पेरिस में फ्रांस तथा आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड के बीच हुई वार्ता के आधार पर हुआ। बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, थे। अतः इसका नाम जी-10 (या पेरिस क्लब) रखा गया। स्विट्जरलैंड 1984 में इस समूह का सदस्य बना। अतः अब इस संगठन को कभी-कभी जी-11 भी कहा जाने लगा है। जीएबी का नियमित रूप से नवीनीकरण होता है।
उद्देश्य
जी-10 का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मुद्रा व्यवस्था के कार्य और संरचना से संबंधित समस्याओं पर विचार करना है।
संरचना
जी-10 की कोई औपचारिक संरचना नहीं है। जी-10 की बैठकें अनेक स्तरों पर आयोजित की जाती हैं। मंत्रिस्तरीय बैठकों में सदस्य देशों के वित्त मंत्री और केन्द्रीय बैंक के गवर्नर भाग लेते हैं तथा ये बैठकें प्रत्येक वर्ष आईएमएफ की बसंत एवं पतझड़ बैठकों (spring and fall meetings) से पूर्व होती है। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय बैंक के गर्वनरों की प्रति माह बैठक होती है।
गतिविधियां
जी-10 जीएबी के तहत किये गये ऋण आवेदनों के अनुमोदन के लिये उत्तरदायी होता है। यह ऋण प्राप्तकर्ताओं पर बहुपक्षीय निगरानी रखने की भी व्यवस्था करता है। इसके अतिरिक्त, जी-10 अंतरराष्ट्रीय तरलता (liquidity), बैंक ऋण, मौद्रिक नीति, व्यापार संतुलन और अन्य आर्थिक मुद्दों पर विचार करता है। 1966 में जी-10 ने एक अतिरिक्त आईएमएफ तरलता संसाधन के रूप में एसडीआर के गठन की सिफारिश की। 1983 में जी-10 के अनुमोदन के बाद तृतीय विश्व के देशों की ऋण समस्या से निबटने के लिये जीएबी का पुनर्गठन किया गया।
जी-10 के कार्य जी-7+1 तथा जी-5 (फ्रांस, जर्मनी, जापान, युनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) के कार्यों से घनिष्ठ रूप से जुड़े होते हैं तथा उनसे सम्पूरित होते हैं।
जनरल एग्रीमेंट ऑफ बॉरो (जीएबी) ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएम) को 11 सदस्य औद्योगिक देशों (या उनके केंद्रीय बैंकों से) से विशेष परिस्थितियों के तहत् विशिष्ट मात्रा में मुद्रा उधार लेने हेतु अधिकृत किया। जीएबी के कुल एसडीआर के अंतर्गत आईएमएफ के पास संभावित साख की उपलब्ध मात्रा 17 बिलियन (लगभग 26 बिलियन डॉलर) हो गई जिसमें सऊदी अरब के साथ सहयोगात्मक प्रबंध के तहत् 1.5 बिलियन का अतिरिक्त एसडीआर भी शामिल है। जीएबी की स्थापना 1962 में की गई थी और 1983 में इसका एसडीआर 6 बिलियन से बढ़ाकर 17 बिलियन कर दिया गया। इसे 10 बार क्रियाशील किया गया, और अंतिम बार 1998 में किया गया। जीएबी और सउदी अरब के साथ सहयोगी साख प्रबंधन को नवीनीकृत किया गया और यह 26 दिसंबर, 2013 से पांच वर्षों के लिए किया गया।