पृष्ठ तनाव Surface Tension

संसंजक बल और आसंजक बल Cohesive force and Adhesive Force

प्रत्येक पदार्थ अणुओं से मिलकर बना होता है, जिनके बीच आकर्षण बल कार्य करता है। एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को संसंजक बल (Cohesive force) कहते हैं । ठोसों में संसंजक बल का मान बहुत अधिक होता है, जिससे उनके अणु दृढ़तापूर्वक बंधे रहते हैं, फलस्वरूप उनका आकार निश्चित होता है। द्रवों में संसंजक बल का मान बहुत कम होता है, फलस्वरूप द्रवों का कोई निश्चित आकार नहीं होता। गैसों में संसंजक बल का मान नगण्य होता है, जिसके कारण उनमें विसरण (diffusion) का गुण पाया जाता है।

दो भिन्न पदार्थों के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को आसंजक बल (Adhesive Force) कहते हैं। आसंजक बल के कारण ही जल किसी वस्तु को भिगोता है। इस बल के कारण ही ब्लैकबोर्ड पर चॉक से लिखने पर अक्षर उभर आते है।

जब किसी द्रव-ठोस युग्म के लिए आसंजक बल का मान, द्रव के अणुओं के संसंजक बल के मान से कम होता है, तो वह द्रव उस ठोस को गीला नहीं कर पाता है। जैसे-पारा काँच पर नहीं चिपकता है, क्योंकि पारा और काँच के अणुओं के मध्य लगने वाला आसंजक बल पारे के अणुओं के मध्य लगने वाले संसंजक बल से कम होता है।

इसी प्रकार, जब किसी द्रव-ठोस युग्म के लिए आसंजक बल का मान, द्रव के अणुओं के संसंजक बल के मान से अधिक होता है तो वह ठोस को गीला कर देता है। जैसे-पानी काँच पर चिपकता है, क्योंकि पानी और काँच के अणुओं के मध्य लगने वाला आसंजक बल पानी के अणुओं के मध्य लगने वाले संसंजक बल से अधिक होता है।


पृष्ठ तनाव Surface Tension

द्रव के भीतर का अणु संसंजक बल के कारण अपने पड़ोसी अणुओं के द्वारा आकर्षित होता है। द्रव का ऊपरी पृष्ठ/ सतह स्वतंत्र होता है, जिसे स्वतंत्र पृष्ठ (free surface) कहा जाता है। द्रव के ऊपरी पृष्ठ के नज़दीक न होकर द्रव के भीतर होने वाला अणु अपने पड़ोसी अणुओं से चारों तरफ पूर्णरूपेण घिरा होता है। ऐसा अणु अपने पड़ोसी अणुओं द्वारा सभी दिशाओं में समान रूप से आकर्षित किया जाता है इसलिए किसी एक दिशा में परिणामी खिचाव (resultant pull) शून्य होता है। द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ/सतह के नजदीक का अणु के ऊपर कोई अन्य द्रव अणु नहीं होते इसलिए ऐसा अणु नीचे की ओर खिंचाव महसूस करता है। चूंकि द्रव के ऊपरी सतह के नजदीक के सभी अणु इसी तरह नीचे की ओर आकर्षण बल महसूस करते हैं इसलिए द्रव ऐसे काम करता है मानो कि वह तना हुआ इलास्टिक झिल्ली (elastic membrane) हो जो जहां तक संभव हो अपने को सिकोड़ने का प्रयास कर रहा हो। अतः द्रव का पृष्ठ/सतह ऐसे व्यवहार करता है जैसे कि वह तनाव (Tension) में हो।


इस प्रकार, द्रव का स्वतंत्र पृष्ठ सदैव तनाव में रहता है तथा उसमें कम-से-कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है। द्रव के पृष्ठ का यह तनाव ही पृष्ठ तनाव कहलाता है। अतः किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची गयी काल्पनिक रेखा के इकाई लम्बाई पर रेखा के लम्बवत् (द्रव-पृष्ठ के तल में) कार्य करता है। यदि रेखा की 1 लम्बाई पर F बल कार्य करता है, तो पृष्ठ तनाव T= F/I, पृष्ठ तनाव का SI मात्रक न्यूटन / मीटर होता है।

पृष्ठ क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए द्रव को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। पृष्ठ के प्रति मात्रक क्षेत्रफल की यही अतिरिक्त ऊर्जा पृष्ठ ऊर्जा कहलाती है। अतः यदि किसी द्रव के पृष्ठ का क्षेत्रफल, Δ A बढ़ाने के लिए w कार्य करना पड़े, तो द्रव का पृष्ठ तनाव, [latex]T\quad =\quad \frac { W }{ Δ A  }[/latex] यदि ΔA = 1, तो T = W अर्थात् द्रव के पृष्ठ क्षेत्रफल में एकांक वृद्धि करने के लिए किया गया कार्य द्रव के पृष्ठ तनाव के बराबर होता है। इसके अनुसार पृष्ठ तनाव का मात्रक जूल/मी.2 भी लिखा जा सकता है। किसी दिए हुए आयतन के लिए गोलाकार आकृति के पृष्ठ का क्षेत्रफल अन्य आकृतियों के पृष्ठ के क्षेत्रफल से कम होता है। चूंकि द्रव का स्वतंत्र पृष्ठ कम-से-कम क्षेत्रफल घेरने का प्रयास करता है, अतः वर्षा की बूंदें, पारे के कण आदि गोलाकार होते हैं।

नोट : द्रव का ताप बढ़ने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है और क्रांतिक ताप (Critical Temp.) पर यह शून्य हो जाता है।

पृष्ठ तनाव से संबंधित उदाहरण

(i) पतली सुई पृष्ठ तनाव के कारण ही पानी पर तैराई जा सकती है।

(ii) साबुन, डिटर्जेण्ट आदि जल का पृष्ठ तनाव कम कर देते हैं, अतः वे मैल में गहराई तक चले जाते हैं, जिससे कपड़ा ज्यादा साफ होता है।

(iii) साबुन के घोल के बुलबुले बड़े इसीलिए बनते हैं कि जल में साबुन घोलने पर उसका पृष्ठ तनाव कम हो जाता है। (iv) स्थिर जल की सतह पर मच्छरों का लार्वा तैरते रहते हैं, परन्तु जल में मिट्टी का तेल छिड़क देने पर उसका पृष्ठ तनाव कम हो जाता है, जिससे लार्वा पानी में डूबकर मर जाते हैं।

(v) गरम सूप स्वादिष्ट लगता है, क्योंकि गरम सूप का पृष्ठ तनाव कम होता है, अतः वह जीभ के ऊपर सभी भागों में अच्छी तरह फैल जाता है।

(vi) पृष्ठ तनाव के कारण ही पानी से बाहर निकालने पर शेविंग ब्रश के बाल आपस में चिपक जाते हैं।

(vii) समुद्र की लहरों को शांत करने के लिए उन पर तेल डाल दिया जाता है।

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