ध्वनि Sound
ध्वनि तरंगो के रूप में चलती है, वस्तु में कम्पन होने से ध्वनि उत्पन्न होती है और इस कम्पन के माध्यम से ध्वनि उत्पन्न होती हैतथा तरंगे दूर तक ध्वनि को ले जाति हैं। ये तरंगें जब कण के परदे पर टकराती हैंतो उसी प्रकार के कम्पन परदे में उत्पन्न होते हैं और हम वह ध्वनि सुन लेते हैं। प्रति सेकेण्ड जितने कम्पन उत्पन्न होते हैं, वह संख्या आवृत्ति (Frequency) कहलाती है। एक कम्पन होने के फलस्वरूप एक तरंग बनती है। एक तरंग की लम्बाई अर्थात एक कम्पन के फलस्वरूप माध्यम में विक्षोभ (Disturbance) जितनी दूर तक चलता है, वह दूरी तरंग लम्बाई (Wave Length) कहलाती है। यांत्रिक तरंगे विभिन्न आवृत्तियों की हो सकती हैं। जिन तरंगो की आवृत्ति 20 कम्पन प्रति सेकेण्ड से 20,000 कम्पन प्रति सेकेण्ड के बीच होती है, उनकी अनुभूति हमें अपने अपने कानों द्वारा होती है और हम उन्हें सुन सकते हैं।
जिन यांत्रिक तरंगों की आवृत्ति इस सीमा से कम या अधिक होती है उसके लिए हमारे कान सुग्राही नहीं हैं और उनसे हमें ध्वनि की अनुभूति नहीं होती है।
अतः ध्वनि शब्द का प्रयोह केवल उन्ही तरंगों के लिए किया जाता है, जिनकी अनुभूति हमें अपने कानों द्वारा होती है। भिन्न-भिन्न मनुष्यों के लिए ध्वनि तरंगों की आवृत्ति परिसर (Range Of Frequency) अलग-अलग हो सकती है।
जिन तरंगो की आवृत्ति 20 हर्ट्ज़ से कम होती है उन्हें अप्श्रव्य तरंगे (Subsonic Waves) कहते हैं तथा जिन तरंगों की आवृत्ति 20,000 से अधिक होती है उन्हें पराश्रव्य तरंगें (Ultrasonic Waves) कहते हैं।
पराश्रव्य ध्वनि तरंगें Ultrasonic Sound Waves
पराश्रव्य तरंगे सर्वप्रथम गाल्टन ने एक प्रकार की सीटी द्वारा उत्पन्न की थी, इस सीटी को गाल्टन सीटी (Galton’s whistle) के नाम से पुकारते हैं। आजकल इतनी अधिक आवृत्ति की तरंगे प्रायः क्वार्टज़ क्रिस्टल को दोलित (Vibrate) कराके उत्पन्न की जाति हैं, वायु में पराश्रव्य तरंगों का तरंगदैर्ध्य 1.6 सेमीं से भी कम होता है। इस तरंगों के अनेक विस्तृत एवं लाभदायक उपयोग हैं।
अप्श्रव्य तरंगें Infrasonic Sound
श्रव्यता सीमा से कम आवृत्ति की अर्थात 20 कम्पन प्रति सेकेण्ड से कम आवृत्ति (Frequency) वाली ध्वनि को अप्श्रव्य ध्वनि कहते हैं।
पराध्वनिक तरंगें Supersonic Waves
ध्वनि वेग अर्थात 332 किमीं प्रति सेकेण्ड से अधिक वेग की ध्वनि को पराध्वनिक कहते हैं। इस ध्वनि का वेग 1200 किमीं प्रति घंटा से अधिक होता है।
हर्ट्जियन तरंगे Hertzian Waves
इनकी खोज वैज्ञानिक हर्ट्ज़ ने की थी। सामान्य भाषा में इन्हें बेतार-तरंग (Wireless Waves) या रेडियो तरंग (Radio Waves) भी कहते हैं। इनका तरंगदैर्ध्य 10-3 मीटर से 10-4 मीटर तक हो सकता है। इनकी उत्पत्ति किसी विद्युत् चालाक में उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current) के प्रवाह (जो मुक्त इलेक्ट्रानों के दोलन के समतुल्य हैं) से होती है। इनका संसूचन विशेष इलेक्ट्रोनिक उपकरणों, जैसे रेडियो-रिसीवर, टेलीविजन आदि के द्वारा किया जाता है।
ध्वनि का परावर्तन Reflection Of Sound
प्रकाश की भांति ध्वनि भी एक माध्यम से चलकर दुसरे माध्यम के पृष्ठ से टकराने पर पहले माध्यम में लौट आती हुई। इस प्रक्रिया को ध्वनि का परावर्तन कहते हैं। ध्वनि का परावर्तन भी प्रकाश के परावर्तन के नियम के अनुसार होता है, किन्तु ध्वनि का तरंगदैर्ध्य अधिक होने के कारण इसका परावर्तन बड़े आकार के पृष्ठों से होता है। ध्वनि का परावर्तन चिकने एवं कठोर तलों से अधिक तथा खुरदरे एवं नरम तलों से कम होता है। इसलिए ध्वनि का परावर्तन दीवारों, पहाड़ों तथा पृथ्वीतल सभी से हो जाता है।
प्रतिध्वनि Echo
ध्वनि का दीवार, चट्टानों या पहाड़ों से परावर्तन हो जाता है। यदि ध्वनि का परावर्तन अधिक दुरी पर स्थित वस्तु से होता है, तो श्रोता को एक ही स्रोत की दो मूल ध्वनियां सुनाई देती हैं- पहली मूल स्रोत से आने वाली ध्वनि तथा दूसरी किसी वस्तु से परावर्तित ध्वनि। परावर्तन के कारण सुनाई देने वाली ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते हैं। यदि परावर्तक की बनावट ऐसी है की उससे परावर्तन बार-बार होता हो, तो हमें कई प्रतिध्वनियाँ क्रमागत सुनाई देती हैं। उदाहरण के लिए पहाड़ों की घाटी में एक ध्वनि की कई प्रतिध्वनियां सुनाई देती हैं। प्रतिध्वनि स्पष्ट सुनाई देने के लिए परावर्तक का बड़ा होना तथा ध्वनि की आवृत्ति का उच्च होना भी सहायक है।
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