उच्च शिक्षा में आरक्षण राज्यों का विवेकाधिकार: सर्वोच्च न्यायालय Reservation in higher education discretion of states : Supreme Court
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालाकृष्णन, न्यायमूर्ति पी. सत्शवम् एवं न्यायाधीश जे.एम. पांचाल की पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला, हरियाणा के सरकारी मेडिकल कालेजों में स्तानकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति छात्रों को आरक्षण दिए जाने का दावा करने वाली याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए दिया, कि मेडिकल कालेजों के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एस. सी., एस.टी. एवं पिछड़े वर्ग की आरक्षण देना राज्य सरकारों का विवेकाधिकार है एवं कोर्ट आरक्षण देने के लिए कोई रिट आदेश जारी नहीं कर सकता। खण्डपीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15(4) में राज्य सरकारों को मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में आरक्षण लागू करने का विवेकाधिकार दिया गया है। एम्स द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर कराई जाने वाली पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम प्रवेश परीक्षा में आरक्षण लागू होने की दलील पर पीठ ने कहा कि वह केंद्र सरकार का फैसला है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उसे देखते हुए राज्य सरकारें भी उसे लागू करने के मामले में स्वयं निर्णय ले सकती हैं। न्यायालय के अनुसार, प्रवेश में एस.सी., एस.टी. या पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिए जाने के बारे में राज्य सरकारें ही सबसे अच्छी एवं उपयुक्त निर्णायक हो सकती हैं।