प्रस्तावना Preamble
हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों कोः
सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक न्याय
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म
और उपासना की स्वतंत्रता
प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता
और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए
दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान की अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
भाग – 1
संघ और उसका राज्यक्षेत्र
- अनुच्छेद 1: संघ का नाम और राज्यक्षेत्र
- अनुच्छेद 2: नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
- अनुच्छेद 2कः (सिक्किम का संघ के साथ सहयुक्त किया जाना) 36वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1975 की धारा 5 द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 3: नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन
- अनुच्छेद 4: पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषांगिक और परिणामिक विषयों उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियां
भाग – 2 नागरिकता
- अनुच्छेद 5: संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
- अनुच्छेद 6: पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार
- अनुच्छेद 7: पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार
- अनुच्छेद 8: भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार
- अनुच्छेद 9: विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना
- अनुच्छेद 10: नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
- अनुच्छेद 11: संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनिमयन किया जाना
भाग – 3 मूल अधिकार
- अनुच्छेद 12: परिभाषा
- अनुच्छेद 13: मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियां
समता का अधिकार
- अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समता
- अनुच्छेद 15: धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 16: लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता
- अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का अंत
- अनुच्छेद 18: उपाधियों का अंत
स्वतंत्रता का अधिकार
- अनुच्छेद 19: वाक् स्वतंत्रता आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण
- अनुच्छेद 20: अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
- अनुच्छेद 21: प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण अनुच्छेद
- 21क: शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद
- 22: कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और विरोध से संरक्षण
शोषण के विरुद्ध अधिकार
- अनुच्छेद 23: मानव के दुर्व्यापार और बलात् श्रम का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 24: कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
- अनुच्छेद 25: अंतःकरण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 26: धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 27: किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 28: कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता
संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार
- अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
- अनुच्छेद 30: शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गो का अधिकार
- अनुच्छेद 31: (संपत्ति का अनिवार्य अर्जन) 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 की धारा 6 द्वारा निरसित
कुछ विधियों की व्यावृति
- अनुच्छेद 31क: संपदाओं आदि के अर्जन के लिए उपबंध करने वाली निधियों की व्यावृत्ति
- अनुच्छेद 31ख: कुछ अधिनियमों और विनियमों का विधिमान्यकरण
- अनुच्छेद 31ग: कुछ निदेशक तत्वों को प्रभावी करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
- अनुच्छेद 31घ: (राष्ट्र विरोधी क्रियाकलाप के संबंध में विधियों की व्यावृत्ति) 43र्वे संविधान संशोधन अधिनियम, 1977 की धारा 2 द्वारा निरसित
सांविधानिक उपचार का अधिकार
- अनुच्छेद 32: इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार
- अनुच्छेद 32क: (राज्य विधियों की सांविधानिक वैधता पर अनुच्छेद 32 के अधीन कार्यवाहियों में विचार न किया जाना) 43वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1977 की धारा 3 द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 33: इस भाग द्वारा अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति
- अनुच्छेद 34: जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर निर्बंधन
- अनुच्छेद 35: इस भाग के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान
भाग – 4 राज्य की नीति के निदेशक तत्व
- अनुच्छेद 36: परिभाषा
- अनुच्छेद 37: इस भाग में अंतर्विष्ट तत्वों का लागू होना
- अनुच्छेद 38: राज्य लोककल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा
- अनुच्छेद 39: राज्य द्वारा अनुसरणीय.कुछ नीति तत्व
- अनुच्छेद 89कः समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता
- अनुच्छेद 40: ग्राम पंचायतों का संगठन
- अनुच्छेद 41: कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार
- अनुच्छेद 42: कामकी न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध
- अनुच्छेद 43: कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि
- अनुच्छेद 43क: उद्योगों के प्रबंध में कर्मकारों का भाग लेना
- अनुच्छेद 43ख: राज्यसहकारी समितियों के स्वैच्छिक संगठन, स्वायत्त कार्यकरण, लोकतांत्रिक नियंत्रण तथा पेशेवर प्रबंधन को बढ़ाने का प्रयास करेगा
- अनुच्छेद 44: नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता
- अनुच्छेद 45: छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रारंभिक बाल्य सुरक्षा तथा शिक्षा का उपबंध
- अनुच्छेद 46: अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि
- अनुच्छेद 47: पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य
- अनुच्छेट 48: कृषि और पशुपालन का संगठन
- अनुच्छेद 48क: पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्द्धन और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा
- अनुच्छेद 49: राष्ट्रीय महत्व के संस्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
- अनुच्छेद 50: कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण
- अनुच्छेद 51: अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि
भाग – 4क मूल कर्तव्य
- अनुच्छेद 51क: मूल कर्तव्य
भाग – 5 संघ
अध्याय-1 कार्यपालिका
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति
- अनुच्छेद 52: भारत का राष्ट्रपति
- अनुच्छेद 53: संघ की कार्यपालिका शक्ति
- अनुच्छेद 54: राष्ट्रपति का निर्वाचन
- अनुच्छेद 55: राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति
- अनुच्छेद 56: राष्ट्रपति की पदावधि
- अनुच्छेद 57: पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
- अनुच्छेद 58: राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए अर्हताएं
- अनुच्छेद 59: राष्ट्रपति पद के लिए शर्ते
- अनुच्छेद 60: राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 61: राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
- अनुच्छेद 62: राष्ट्रपति के पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि
- अनुच्छेद 63: भारत का उपराष्ट्रपति
- अनुच्छेद 64: उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना
- अनुच्छेद 65: राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन
- अनुच्छेद 66: उपराष्ट्रपति का निर्वाचन
- अनुच्छेद 67: उपराष्ट्रपति की पदावधि
- अनुच्छेद 68: उपराष्ट्रपति के पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि
- अनुच्छेद 69: उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 70: अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन
- अनुच्छेद 71: राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित या संसक्त विषय
- अनुच्छेद 72: क्षमा आदि की और कछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति
- अनुच्छेद 73: संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
मंत्रिपरिषद
- अनुच्छेद 74: राष्ट्रपति की सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद
- अनुच्छेद 75: मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
भारत का महान्यायवादी
- अनुच्छेद 76: भारत का महान्यायवादी
सरकारी कार्य का संचालन
- अनुच्छेद 77: भारत सरकार के कार्य का संचालन
- अनुच्छेद 78: राष्ट्रपति की जानकारी आदि देने के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्य
अध्याय-2 संसद
साधारण
- अनुच्छेद 79: संसद का गठन
- अनुच्छेद 80: राज्य सभा की संरचना
- अनुच्छेद 81: लोक सभा की संरचना
- अनुच्छेद 82: प्रत्येक जनगणना के पश्चात् पुनः समायोजन
- अनुच्छेद 83: संसद के सदनों की अवधि
- अनुच्छेद 84: संसद की सदस्यता के लिए अर्हता
- अनुच्छेद 85: संसद के सत्र, सत्रावसान और विघटन
- अनुच्छेद 86: सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार
- अनुच्छेद 87: राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण
- अनुच्छेद 88: सदनों के बारे में मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार
संसद के आधिकारी
- अनुच्छेद 89: राज्य सभा का सभापति और उपसभापति
- अनुच्छेद 90: उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना
- अनुच्छेद 91: सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति
- अनुच्छेद 92: जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
- अनुच्छेद 93: लोक सभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
- अनुच्छेद 94: अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पद त्याग और पद से हटाया जाना
- अनुच्छेद 95: अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति
- अनुच्छेद 96: जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष की पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
- अनुच्छेद 97: सभापति और उपसभापति तथा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते
- अनुच्छेद 98: संसद का सचिवालय
कार्य संचालन
- अनुच्छेद 99: सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 100: सदनों में मतदान, रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
सदस्यों की निरर्हताएं
- अनुच्छेद 101: स्थानों का रिक्त होना
- अनुच्छेद 102: सदस्यता के लिए निरर्हताएं
- अनुच्छेद 103: सदस्यों की निरहर्ताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय
- अनुच्छेद 104: अनुच्छेद 99 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति
संसद और उसके सदस्यों की शक्तियां विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां
- अनुच्छेद 105: संसद के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार आदि
- अनुच्छेद 106: सदस्यों के वेतन और भत्ते
विधायी प्रक्रिया
- अनुच्छेद 107: विधेयकों के पुनःस्थापन और पारित किए जाने के सम्बन्ध में उपबंध
- अनुच्छेद 108: कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
- अनुच्छेद 109: धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया
- अनुच्छेद 110: धन विधेयक की परिभाषा
- अनुच्छेद 111: विधेयकों पर अनुमति
वितीय विषयों की संबंध में प्रक्रिया
- अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण
- अनुच्छेद 113: संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया
- अनुच्छेद 114: विनियोग विधेयक
- अनुच्छेद 115: अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान
- अनुच्छेद 116: लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान
- अनुच्छेद 117: वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध
साधारणतया प्रक्रिया
- अनुच्छेद 118: प्रक्रिया के नियम
- अनुच्छेद 119: संसद में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन
- अनुच्छेद 120: संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा
- अनुच्छेद 121: संसद में चर्चा पर निर्बंधन
- अनुच्छेद 122: न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना
अध्याय-3 राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां
- अनुच्छेद 123: संसद के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति
अध्याय-4 संघ की न्यायपालिका
- अनुच्छेद 124: उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन
- अनुच्छेद 125: न्यायाधीशों के वेतन आदि
- अनुच्छेद 126: कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति
- अनुच्छेद 127: तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 128: उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति
- अनुच्छेद 129: उच्चतम न्यायालय का अभिलेख न्यायालय होना
- अनुच्छेद 130: उच्चतम न्यायालय का स्थान
- अनुच्छेद 131: उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता
- अनुच्छेद 131क: (केंद्रीय विधियों की सांविधानिक वैधता से संबंधित प्रश्नों के बारे में उच्चतम न्यायालय की अनन्य अधिकारिता) 43वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1977 की धारा 4 द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 132: कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
- अनुच्छेद 133: उच्च न्यायालयों से सिविल विषयों से संबंधित अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
- अनुच्छेद 134: दांडिक विषयों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता
- अनुच्छेद 134क: उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए प्रमाण-पत्र
- अनुच्छेद 135: विद्यमान विधि के अधीन संघीय न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना
- अनुच्छेद 136: अपील के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत
- अनुच्छेद 137: निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनर्विलोकन
- अनुच्छेद 138: उच्चतम न्यायालय की अधिकारिता में वृद्धि
- अनुच्छेद 139: कुछ रिटें निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना
- अनुच्छेद 139क: कुछ मामलों का अंतरण
- अनुच्छेद 140: उच्चतम न्यायालय की आनुषंगिक शक्तियां
- अनुच्छेद 141: उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि का सभी न्यायालयों पर आबद्धकर होना
- अनुच्छेद 142: उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों के प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश
- अनुच्छेद 143: उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति
- अनुच्छेद 144: सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य किया जाना
- अनुच्छेद 144क: (विधियों की सांविधानिक वैधता से संबंधित प्रश्नों के निपटारे के बारे में विशेष उपबंध) 43वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1977 की धारा 5 द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 145: न्यायालय के नियम आदि
- अनुच्छेद 146: उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय
- अनुच्छेद 147: निर्वचन
अध्याय – 5 भारत का नियंत्रक-महालेखा परीक्षक
- अनुच्छेद 148: भारत का नियंत्रक-महालेखा परीक्षक
- अनुच्छेद 149: नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के कर्तव्य और शक्तियां
- अनुच्छेद 150: संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप
- अनुच्छेद 151: संपरीक्षा प्रतिवेदन
भाग-6 राज्य
अध्याय-1 साधारण
- अनुच्छेद 152: परिभाषा
अध्याय-2 कार्यपालिका
राज्यपाल
- अनुच्छेद 153: राज्यों के राज्यपाल
- अनुच्छेद 154: राज्य की कार्यपालिका शक्ति
- अनुच्छेद 155: राज्यपाल की नियुक्ति
- अनुच्छेद 156: राज्यपाल की पदावधि
- अनुच्छेद 157: राज्यपाल नियुक्त होने के लिए अर्हताएं
- अनुच्छेद 158: राज्यपाल के पद के लिए शर्ते
- अनुच्छेद 159: राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 160: कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन
- अनुच्छेद 161: क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन,परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति
- अनुच्छेद 162: राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
मंत्रिपरिषद
- अनुच्छेद 163: राज्यपाल की सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद
- अनुच्छेद 164: मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
राज्य का महाधिवक्ता
- अनुच्छेद 166: राज्य का महाधिवक्ता
सरकारी कार्य का संचालन
- अनुच्छेद 166: राज्य की सरकार के कार्य का संचालन
- अनुच्छेद 167: राज्यपाल को जानकारी देने आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य
अध्याय-3 राज्य का विधानमंडल
साधारण
- अनुच्छेद 168: राज्यों के विधानमंडलों का गठन
- अनुच्छेद 169: राज्यों में विधान परिषदों का उत्सादन या सृजन
- अनुच्छेद 170: विधान सभाओं की संरचना
- अनुच्छेद 171: विधान परिषदों की संरचना
- अनुच्छेद 172: राज्यों के विधानमंडलों की अवधि
- अनुच्छेद 173: राज्य के विधानमंडल की सदस्यता के लिए अर्हता
- अनुच्छेद 174: राज्य केविधानमंडल के सत्र, सत्रावसान और विघटन
- अनुच्छेद 175: सदन या सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राज्यपाल का अधिकार
- अनुच्छेद 176: राज्यपाल का विशेष अभिभाषण
- अनुच्छेद 177: सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार
राज्य के विधानमंडल की अधिकारी
- अनुच्छेद 178: विधान सभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
- अनुच्छेद 179: अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना
- अनुच्छेद 180: अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति
- अनुच्छेद 181: जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
- अनुच्छेद 182: विधान परिषद का सभापति और उपसभापति
- अनुच्छेद 183: सभापति और उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना
- अनुच्छेद 184: सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति
- अनुच्छेद 185: जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
- अनुच्छेद 186: अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते
- अनुच्छेद 187: राज्य के विधानमंडल का सचिवालय
कार्य-संचालन
- अनुच्छेद 188: सदस्यों का शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 189: सदनों में मतदान, रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
सदस्यों की निरर्हताएं
- अनुच्छेद 190: स्थानों का रिक्त होना
- अनुच्छेद 191: सदस्यता के लिए निरर्हताएं
- अनुच्छेद 192: सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय
- अनुच्छेद 193: अनुच्छेद 188 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति
राज्यों को विधानमंडलों और उनकी सदस्यों की शक्तियां विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां
- अनुच्छेद 194: विधानमंडलों के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार, आदि
- अनुच्छेद 195: सदस्यों के वेतन और भत्ते
विधायी प्रक्रिया
- अनुच्छेद 196: विधेयकों के पुनःस्थापन और पारित किए जाने के संबंध में उपबंध
- अनुच्छेद 197: धन विधेयकों से भिन्न विधेयकों के बारे में विधान परिषद की शक्तियीं पर निर्बंधन
- अनुच्छेद 198: धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया
- अनुच्छेद 199: धन विधेयक की परिभाषा
- अनुच्छेद 200: विधेयकों पर अनुमति
- अनुच्छेद 201: विचार के लिए आरक्षित विधेयक
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया
- अनुच्छेद 202: वार्षिक वित्तीय विवरण
- अनुच्छेद 203: विधानमंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया
- अनुच्छेद 204: विनियोग विधेयक
- अनुच्छेद 205: अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान
- अनुच्छेद 206: लेखानुदान, प्रत्यानुदान, और अपवादानुदान
- अनुच्छेद 207: वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध
साधारणतया प्रक्रिया
- अनुच्छेद 208: प्रक्रिया के नियम
- अनुच्छेद 209: राज्य के विधानमंडल में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन
- अनुच्छेद 210: विधानमंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा
- अनुच्छेद 211: विधानमंडल में चर्चा पर निर्बंधन
- अनुच्छेद 212: न्यायालयों द्वारा विधानमंडल की कार्यवाहियोंकी जांच न किया जाना
अध्याय-4 राज्यपाल की विधायी शक्ति
- अनुच्छेद 213: विधानमंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राज्यपाल की शक्ति
अध्याय-5 राज्यों के उच्च न्यायालय
- अनुच्छेद 214: राज्यों के लिए उच्च न्यायालय
- अनुच्छेद 215: उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना
- अनुच्छेद 216: उच्च न्यायालयों का गठन
- अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति और उसके पद की शर्तें
- अनुच्छेद 218: उच्चतम न्यायालय से संबंधित कुछ उपबंध का उच्च न्यायालयों को लागू होना
- अनुच्छेद 219: उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 220: स्थायी न्यायधीश रहने के पश्चात् विधि-व्यवसाय पर निर्बंधन
- अनुच्छेद 221: न्यायाधीशों के वेतन आदि
- अनुच्छेद 222: किसी न्यायाधीश का एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय को अंतरण
- अनुच्छेद 223: कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति
- अनुच्छेद 224: अपर और कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 224कः उच्च न्यायालयों की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 225: विद्यमान उच्च न्यायालयों की अधिकारिता
- अनुच्छेद 226: कुछ रिट निकालने की उच्च न्यायालय की शक्ति
- अनुच्छेद 226कः (अनुच्छेद 226 के अधीन कार्यवाहियों में केंद्रीय विधियों की सांविधानिक वैधता पर विचार न किया जाना) 43वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1977 की धारा 8 द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 227: सभी न्यायालयों के अधीक्षण की उच्च न्यायालय की शक्ति
- अनुच्छेद 228: कुछ मामलों का उच्च न्यायालय को अंतरण
- अनुच्छेद 228क: निरसित
- अनुच्छेद 229: उच्च न्यायालयों के अधिकारी और सेवक तथा व्यय
- अनुच्छेद 230: उच्च न्यायालयों के अधिकारिता का संघ राज्यक्षेत्रों पर विस्तार
- अनुच्छेद 231: दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना
अध्याय-6 अधीनस्थ न्यायालय
- अनुच्छेद 233: जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 233कः कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्तियोंका और उनके द्वारा किए गए निर्णयों आदि का विधिमान्यकरण
- अनुच्छेद 234: न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीशों से भिन्न व्यक्तियों की भतीं
- अनुच्छेद 235: अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण
- अनुच्छेद 236: निर्वचन
- अनुच्छेद 237: कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबंधों का लागू होना
भाग – 7
- अनुच्छेद 238: निरसित
भाग – 8 संघ राज्य क्षेत्र
- अनुच्छेद 239: संघ राज्य क्षेत्रों का प्रशासन
- अनुच्छेद 239क: कुछ संघ राज्य क्षेत्रों के लिए स्थानीय विधानमंडलों या मंत्रिपरिशादों का या दोनों का सृजन
- अनुच्छेद 239कक: दिल्ली के सम्बन्ध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 239कख: सांविधानिक तंत्र विफ़ल हो जाने की दशा में उपबंध
- अनुच्छेद 239ख: विधानमंडल के विश्रांति कल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की प्रशासनिक शक्ति
- अनुच्छेद 240: कुछ संघ राज्यक्षेत्रों के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति
- अनुच्छेद 241: संघ राज्यक्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय
- अनुच्छेद 242: सातवे संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित
भाग – 9 पंचायतें
- अनुच्छेद 243: परिभाषाएं
- अनुच्छेद 243क: ग्राम सभा की शक्ति
- अनुच्छेद 243खः पंचायतों का गठन
- अनुच्छेद 243गः पंचायतों की संरचना
- अनुच्छेद 243घः स्थानों का आरक्षण
- अनुच्छेद 243ङः पंचायतों की अवधि, आदि
- अनुच्छेद 243चः सदस्यता के लिए निरर्हताएं
- अनुच्छेद 243छ: पंचायतों की शक्तियां, प्राधिकार और उत्तरदायित्व
- अनुच्छेद 243ज: पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्तियां और उनकी निधियां
- अनुच्छेद 243झः वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन
- अनुच्छेद 248ञः पंचायतों के लेखाओं की संपरीक्षा
- अनुच्छेद 243टः पंचायतों के लिए निर्वाचन
- अनुच्छेद 243ठः संघ राज्य क्षेत्रों पर लागू होना
- अनुच्छेद 243ङः इस भाग का कतिपय क्षेत्रों पर लागू न होना
- अनुच्छेद 243ढः विद्यमान विधियों और पंचायतों का बना रहना
- अनुच्छेद 243णः निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
भाग – 9 क नगरपालिकाएं
- अनुच्छेद 243तः परिभाषाएं
- अनुच्छेद 243थः नगरपालिकाओं का गठन
- अनुच्छेद 243दः नगरपालिकाओं की संरचना
- अनुच्छेद 243धः वार्ड समितियों, आदि का गठन और संरचना
- अनुच्छेद 243नः स्थानों का आरक्षण
- अनुच्छेद 243पः नगरपालिकाओं की अवधि, आदि
- अनुच्छेद 243फः सदस्यता के लिए निरर्हताएं या मंत्रिपरिषदों का या दोनों का सृजन
- अनुच्छेद 243बः नगरपालिकाओं, आदि की शक्तियां, प्राधिकार अनुच्छेद
- अनुच्छेद 243भः नगरपालिकाओं द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्ति और उनकी निधियां
- अनुच्छेद 243मः वित्त आयोग
- अनुच्छेद 243यः नगरपालिकाओं के लेखाओं की संपरीक्षा
- अनुच्छेद 243यकः नगरपालिकाओं के लिए निर्वाचन
- अनुच्छेद 243यखः संघ राज्य क्षेत्रों पर लागू होना
- अनुच्छेद 243यगः इस भाग का कतिपय क्षेत्रों पर लागू न होना
- अनुच्छेद 243यघः जिला योजना के लिए समिति
- अनुच्छेद 243यङः महानगर योजना के लिए समिति
- अनुच्छेद 243यचः विद्यमान विधियों और नगरपालिकाओं का बना रहना
- अनुच्छेद 243यछः निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
भाग-9 ख सहकारी समितियां
- अनुच्छेद 243 यजः परिभाषाएं
- अनुच्छेद 243 यझः सहकारी समितियों का समावेशन
- अनुच्छेद 243 यञः बोर्ड के सदस्यों एवं इसके पदाधिकारियों की संख्या एवं पदावधि
- अनुच्छेद 243 यटः बोर्ड के सदस्यों का चुनाव
- अनुच्छेद 243 यठः बोर्ड एवं अंतरिम प्रबंधन का निलम्बन
- अनुच्छेद 243 यडः सहकारी समितियों के लेखाओं का अंकेक्षण
- अनुच्छेद 243 यठः जनरल बॉडी बैठक का आयोजन
- अनुच्छेद 243 यणः सूचना प्राप्त करने का सदस्य का अधिकार
- अनुच्छेद 243 यतः रिटर्न फाइल करना
- अनुच्छेद 243 यथः अपराध एवं दंड
- अनुच्छेद 243 यदः बहु-राज्य सहकारी समितियों पर अनुप्रयोग
- अनुच्छेद 243 यधः संघ शासित प्रदेशों पर अनुप्रयोग
- अनुच्छेद 243 यनः वर्तमान विधि की निरंतरता
भाग-10 अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र
- अनुच्छेद 244: अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन
- अनुच्छेद 244कः असोम के कुछ जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला एक स्वशासी राज्य बनाना और उसके लिए स्थानीय विधानमंडल या मंत्रिपरिषद का या दोनों का सृजन
भाग-11 संघ और राज्यों के बीच सम्बन्ध
अध्याय-1 विधायी संबंध
विधायी शक्तियों का वितरण
- अनुच्छेद 245: संसद द्वारा और राज्यों के विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार
- अनुच्छेद 246: संसद द्वारा और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषय-वस्तु
- अनुच्छेद 247: कुछ अतिरिक्त न्यायालयों की स्थापना का उपबंध करने की संसद की शक्ति
- अनुच्छेद 248: अवशिष्ट विधायी शक्तियां
- अनुच्छेद 249: राज्य सूची के विषय के संबंध में राष्ट्रीय हित में विधि बनाने की संसद की शक्ति
- अनुच्छेद 250: यदि आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में हो तो राज्य सूची के विषय के संबंध में विधि बनाने की संसद की शक्ति
- अनुच्छेद 251: संसद द्वारा अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 के अधीन बनायी गयी विधियों और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति
- अनुच्छेद 252: दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति और ऐसी विधि का किसी अन्य राज्य द्वारा अंगीकार किया जाना
- अनुच्छेद 253: अंतरराष्ट्रीय करारों को प्रभावी करने के लिए विधान
- अनुच्छेद 254: संसद द्वारा बनायी गयी विधियों और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति
- अनुच्छेद 255: सिफारिशों और पूर्व मंजूरी के बारे में अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया के विषय मानना
अध्याय-2 प्रशासनिक संबंध
साधारण
- अनुच्छेद 256: राज्यों और संघ की बाध्यता
- अनुच्छेद 257: कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण
- अनुच्छेद 257क: (संघ के सशस्त्र बलों या अन्य बलों के अभिनियोजन द्वारा राज्यों की सहायता) 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978की धारा 38 द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 258: कुछ दशाओं में राज्यों को शक्ति प्रदान करने आदि की संघ की शक्ति
- अनुच्छेद 258क: संघ की कृत्य सौंपने की राज्यों की शक्ति
- अनुच्छेद 259: (पहली अनुसूची के भाग ख के राज्यों के सशस्त्र बल) सातवँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 260: भारत के बाहर के राज्यक्षेत्रों के संबंध में संघ की अधिकारिता
- अनुच्छेद 261: सार्वजनिक कार्य, अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियां
- अनुच्छेद 262: जल संबंधी विवाद अंतरराज्यीय नदियों या नदी-दूनों के जल संबंधी विवादों का न्यायनिर्णयन
राज्यों की बीच समन्वय
- अनुच्छेद 263: अंतरराज्यीय परिषद के संबंध में उपबंध
भाग-12 वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद
अध्याय-1 वित्त
साधारण
- अनुच्छेद 264: निर्वचन
- अनुच्छेद 265: विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना
- अनुच्छेद 266: भारत और राज्यों की संचित निधियां और लोक लेखे
- अनुच्छेद 267: आकस्मिक निधि
संघ और राज्यों के बीच राजस्व का वितरण
- अनुच्छेद 268: संघ द्वारा उद्गृहीत किए जाने वाले किंतु राज्यों द्वारा संगृहीत और विनियोजित किए जाने वाले शुल्क
- अनुच्छेद 268A: संघ द्वारा उद्गृहीत और संघ व राज्यों द्वारा द्वारा संगृहीत एवं विनियोजित किया जाने वाला सेवा कर
- अनुच्छेद 269: संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतु राज्यों को सोंपे जाने वाले कर
- अनुच्छेद 270: संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत तथा संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जाने वाले कर
- अनुच्छेद 271: कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार
- अनुच्छेद 272: निरस्त
- अनुच्छेद 273: जूट पर और जूट उत्पादों पर निर्यात शुल्क के स्थान पर अनुदान
- अनुच्छेद 274: ऐसे कराधान पर जिसमें राज्य हितबद्ध है, प्रभाव डालने वाले विधेयकों के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश की अपेक्षा
- अनुच्छेद 275: कुछ राज्यों को संघ से अनुदान
- अनुच्छेद 276: वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजन पर कर
- अनुच्छेद 277: व्यावृति
- अनुच्छेद 278: (कुछ वित्तीय विषयों के संबंध में पहली अनुसूची के भाग ख के राज्यों से करार) सातवें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 279: “शुद्ध आगम” आदि की गणना
- अनुच्छेद 280: वित आयोग
- अनुच्छेद 281: वित्त आयोग की सिफारिशें
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध
- अनुच्छेद 282: संघ या राज्य द्वारा अपने राजस्व से किए जाने वाले व्यय
- अनुच्छेद 283: संचित निधियों, आकस्मिकताओं निधियों और लोक लेखाओं में जमा धनराशियों की अभिरक्षा आदि।
- अनुच्छेद 284: लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त धनराशियों की अभिरक्षा
- अनुच्छेद 285: संघ की संपत्ति को राज्य के कराधान से छूट
- अनुच्छेद 286: माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन
- अनुच्छेद 287: विद्युत पर करों से छूट
- अनुच्छेद 288: जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधान से कुछ दशाओं में छूट
- अनुच्छेद 289: राज्यों की संपत्ति और आय को संघ के कराधान से छूट
- अनुच्छेद 290: कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन
- अनुच्छेद 290कः कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय
- अनुच्छेद 291: (शासकों की निजि थैली की राशि)26वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1971 की धारा 2 द्वारा निरसित अध्याय-2 उधार लेना
- अनुच्छेद 292: भारत सरकार द्वारा उधार लेना
- अनुच्छेद 293: राज्यों द्वारा उधार लेना
अध्याय-3 संपत्ति, संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद
- अनुच्छेद 294: कुछ दशाओं में संपति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार
- अनुच्छेद 295: अन्य दशाओं में संपति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार
- अनुच्छेद 296: राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति
- अनुच्छेद 297: राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्रोतों का संघ में निहित होना
- अनुच्छेद 298: व्यापार करने आदि की शक्ति
- अनुच्छेद 299: संविदाएं
- अनुच्छेद 300: वाद और कार्यवाहियां
अध्याय-4 संपत्ति का अधिकार
- अनुच्छेद 300कः विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना
भाग – 13 भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और सभागम
- अनुच्छेद 301: व्यापार, वाणिज्य और सभागम की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 302: व्यापार, वाणिज्य और सभागम पर निर्बंधन अधिरोपित करने की संसद की शक्ति
- अनुच्छेद 303: व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन
- अनुच्छेद 304: राज्यों के बीच व्यापार,वाणिज्य और सभागम पर निर्बंधन
- अनुच्छेद 305: विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृति
- अनुच्छेद 306: (पहली अनुसूची के भाग-ख के कुछ राज्यों की व्यापार और वाणिज्य पर निर्बंधनों के अधिरोपण की शक्ति)सातवँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 307: अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति
भाग-14 संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं
अध्याय-1 सेवाएं
- अनुच्छेद 308: निर्वचन
- अनुच्छेद 309: संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्ते
- अनुच्छेद 310: संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि
- अनुच्छेद 311: संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्युत किया जाना,पद से हटाया जाना या पंक्ति में अवनत किया जाना
- अनुच्छेद 312: अखिल भारतीय सेवाएं
- अनुच्छेद 312कः कुछ सेवाओं के अधिकारियों की सेवा की शर्तो में परिवर्तन करने या उन्हें प्रतिसंहृत करने की संसद की शक्ति
- अनुच्छेद 313: संक्रमणकालीन उपबंध
- अनुच्छेद 314: (कुछ सेवाओं के विद्यमान अधिकारियों के संरक्षण के लिए उपबंध) संविधान के अट्टाइसवें संशोधन अधिनियम, 1972 की धारा 8 द्वारा निरसित
अध्याय-2 लोक सेवा आयोग
- अनुच्छेद 315: संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
- अनुच्छेद 316: सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि
- अनुच्छेद 317: लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य का हटाया जाना और निलंबित किया जाना
- अनुच्छेद 318: आयोग के सदस्यों और कर्मचारीवृंद की सेवा की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति
- अनुच्छेद 319: आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य न रहने पर पद धारण करने के संबंध में प्रतिषेध
- अनुच्छेद 320: लोक सेवा आयोगों के कृत्य
- अनुच्छेद 321: लोक सेवा आयोगों के कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति
- अनुच्छेद 322: लोक सेवा आयोगों के व्यय
- अनुच्छेद 323: लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन
भाग-14 क अधिकरण
- अनुच्छेद 323कः प्रशासनिक अधिकरण
- अनुच्छेद 323खः अन्य विषयों के लिए अधिकरण
भाग – 15 निर्वाचन
- अनुच्छेद 324: निर्वाचनों के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना
- अनुच्छेद 325: धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी व्यक्तिका निर्वाचक-नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र न होना और उसके द्वारा किसी विशेष निर्वाचक-नामावली में सम्मिलित किए जाने का दावा न किया जाना
- अनुच्छेद 326: लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचनों का वयस्क मताधिकार के आधार पर होना
- अनुच्छेद 327: विधानमंडलों के लिए निर्वाचनों के सम्बन्ध में उपबंध करने की संसद की शक्ति
- अनुच्छेद 328: किसी राज्य के विधानमंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस विधानमंडल की शक्ति
- अनुच्छेद 329: निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
- अनुच्छेद 329क: (प्रधानमंत्री और अध्यक्ष के मामले में संसद के लिए निर्वाचनों के बारे में विशेष उपबंध) 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 की धारा 86 द्वारा निरसित
भाग-16 कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 330: लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण
- अनुच्छेद 331: लोकसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
- अनुच्छेद 332: राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों का आरक्षण
- अनुच्छेद 333: राज्यों की विधानसभाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
- अनुच्छेद 334: स्थानों के आरक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व का (पचास वर्ष) के पश्चात् न रहना
- अनुच्छेद 335: सेवाओं और पदों के लिए अनुसूचित जातियों
- अनुच्छेद 336: कुछ सेवाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 337: आंग्ल-भारतीय समुदाय के फायदे के लिए शैक्षिक अनुदान के लिए विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 338: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
- अनुच्छेद 338: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग
- अनुच्छेद 339: अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के बारे में संघ का नियंत्रण
- अनुच्छेद 340: पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति
- अनुच्छेद 341: अनुसूचित जातियां
- अनुच्छेद 342: अनुसूचित जनजातियां
भाग – 17 राजभाषा
अध्याय-1 संघ की भाषा
- अनुच्छेद 343: संघ की राजभाषा
- अनुच्छेद 344: राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति
अध्याय-2 प्रादेशिक भाषाएं
- अनुच्छेद 345: राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं
- अनुच्छेद 346: एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा
- अनुच्छेद 347: किसी राज्य की जनसंख्या के किसी अनुभाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध
अध्याय-8 उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों आदि की भाषा
- अनुच्छेद 348: उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा
- अनुच्छेद 349: भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया
अध्याय-4 विशेष निदेश
- अनुच्छेद 350: व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा
- अनुच्छेद 350क: प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधा
- अनुच्छेद 350खः भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी
- अनुच्छेद 351: हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश
भाग-18 आपात उपबंध
- अनुच्छेद 352: आपात की उद्घोषणा
- अनुच्छेद 353: आपात की उद्घोषणा का प्रभाव
- अनुच्छेद 354: जब आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है तबराजस्वों के वितरण सम्बन्धी उपबंधों का लागु होना।
- अनुच्छेद 355: बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्य की संरक्षा करने का संघ का कर्तव्य
- अनुच्छेद 356: राज्यों में सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध
- अनुच्छेद 357: अनुच्छेद 356 के अधीन की गई उद्घोषणा के अधीन विधायी शक्तियों का प्रयोग
- अनुच्छेद 358: आपात के दौरान अनुच्छेद 19 के उपबंधों का निलंबन
- अनुच्छेद 359: आपात के दौरान भाग 3 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन का निलंबन
- अनुच्छेद 359क: (इस भाग का पंजाब राज्य को लागू होना) 63वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1989 की धारा 3 द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 360: वित्तीय आपात के बारे में उपबंध
भाग-19 प्रकीर्ण
- अनुच्छेद 361: राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण
- अनुच्छेद 361कः संसद और राज्य विधान मंडलों की कार्यवाहियों के प्रकाशन का संरक्षण
- अनुच्छेद 362: (देशी राज्यों के शासकों के अधिकार और विशेषाधिकार)26वं संविधान संशोधन अधिनियम, 1971 की धारा 2 द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 363: कुछ संधियों, करारों आदि से उत्पन्न विवादों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
- अनुच्छेद 363कः देशी राज्यों के शासकों को दी गई मान्यता की समाप्ति और निजी थैलियों का अंत
- अनुच्छेद 364: महापत्तनों और विमान क्षेत्रों के बारे में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 365: संघ द्वारा दिए गए निदेशों का अनुपालन करने में या उनकी प्रभावी करने में असफलता का प्रभाव
- अनुच्छेद 366: परिभाषाएं
- अनुच्छेद 367: निर्वचन
भाग-20 संविधान का संशोधन
- अनुच्छेद 368: संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके लिए प्रक्रिया
भाग-21 अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 369: राज्यसूची के कुछ विषयों के संबंध में विधि बनाने की संसद की इस प्रकार अस्थायी शक्ति मानो वे समवर्ती सूची के विषय हो।
- अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध
- अनुच्छेद 371: महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 371कः नागालैंड राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 371खः असम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 371गः मणिपुर राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 371घः आंध्र प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 371ङः आंध्र प्रदेश में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना
- अनुच्छेद 371चः सिक्किम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 371छः मिजोरम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 371जः अरुणाचल प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 371झः गोवा राज्य के संबंध में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 372: विद्यमान विधियों का प्रवृत्त बने रहना और उनका अनुकूलन
- अनुच्छेद 372कः विधियों का अनुकूलन करने की राष्ट्रपति की शक्ति
- अनुच्छेद 373: निवारक निरोध में रखे गए व्यक्तियों के संबंध में कुछ दशाओं में आदेश करने की राष्ट्रपति की शक्ति
- अनुच्छेद 374: संघीय न्यायालय के न्यायाधीशों और संघीय न्यायालय में या सपरिषद हिज मजेस्ट्री के समक्ष लंबित कार्यवाहियों के बारे में उपबंध
- अनुच्छेद 375: संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए न्यायालयों, प्राधिकारियों और अधिकारियों का कृत्य करते रहना
- अनुच्छेद 376: उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बारे में उपबंध
- अनुच्छेद 377: भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के बारे में उपबंध
- अनुच्छेद 378: लोक सेवा आयोग के बारे में उपबंध
- अनुच्छेद 378क: आंध्र प्रदेश विधान सभा की अवधि के बारे में विशेष उपबंध
- अनुच्छेद 379-391: सातवें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित
- अनुच्छेद 392: कठिनाइयों को दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति
भाग-22 नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन
- अनुच्छेद 393: संक्षिप्त नाम
- अनुच्छेद 394: प्रारंभ
- अनुच्छेद 394कः हिन्दी भाषा में प्राधिकृत पाठ
- अनुच्छेद 395: निरसन
अनुसूचियां
पहली अनुसूची
- राज्य
- संघ राज्यक्षेत्र
दूसरी अनुसूची
- भाग क: राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों के बारे में उपबंध
- भाग ख: निरसित
- भाग ग: लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा राज्य सभा के सभापति और उप-सभापति के तथा राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा विधानपरिषद के सभापति और उपसभापति के बारे में उपबंध
- भाग घ: उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बारे में उपबंध
- भाग ड: भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के बारे में उपबंध
तीसरी अनुसूची: शपथ या प्रतिज्ञान के प्रारूप
चौथी अनुसूची: राज्य सभा में स्थानों का आवंटन
पांचवीं अनुसूची: अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उपबंध
- भाग क: निर्वचन, अनुसूचित क्षेत्रों में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति, अनुसूचित क्षेत्रों के संबंध में राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा प्रतिवेदन
- भाग खः अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों का प्रशासन और नियंत्रण, जनजाति सलाहकार परिषद, अनुसूचित क्षेत्रों को लागू विधि
- भाग गः अनुसूचित क्षेत्र
- भाग घ: अनुसूची का संशोधन
छठी अनुसूचीः असहम, मेघालय त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उपबंध
सातवीं अनुसूचीः
- सूची-1–संघ सूची
- सूची-2-राज्य सूची
- सूची-3-समवर्ती
आठवीं अनुसूची: भाषाएं
नवीं अनुसूची: कुछ अधिनियमों और विनियमों का विधिमान्यकरण
दसवीं अनुसूची: दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता के बारे में उपबंध
ग्यारहवीं अनुसूची: पंचायतों की शक्तियां, प्राधिकार तथा उत्तरदायित्व
बारहवीं अनुसूची: नगरपालिकाओं की शक्तियां, प्राधिकार तथा उत्तरदायित्व