संसद भवन संपदा Parliament House Estate
संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फव्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं । संसद के सत्रों के दौरान और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर भवन में महत्वपूर्ण स्थलों को विशेष रूप से पुष्पों से सुसज्जित किया जाता है।
विद्यमान व्यवस्था के अनुसार संपूर्ण संसद भवन संपदा और विशेषकर दोनों सभाओं के चैम्बर्स में पूरे वर्ष कड़ी सुरक्षा रहती है।
संपूर्ण संसद भवन संपदा सजावटी लाल पत्थर की दीवार या लोहे की जालियों से घिरा है तथा लौह द्वारों को आवश्यकता पड़ने पर बंद किया जा सकता है । संसद भवन संपदा से होकर गुजरने वाले पहुंच मार्ग संपदा का हिस्सा है और उनका उपयोग आम रास्ते के रूप में करने की अनुमति नहीं है।
संसद भवन , नई दिल्ली स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है । राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने जरूर आते हैं जैसाकि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं।
भवन का निर्माण
इस भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों – सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे।
संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रूपये की लागत आई।
भवन का आकार
संसद भवन एक विशाल वृत्ताकार भवन है जिसका व्यास 560 फुट (170.69 मीटर) है और इसकी परिधि एक मील की एक तिहाई 536.33 मीटर है तथा यह लगभग छह एकड़ (24281.16 वर्ग मीटर) क्षेत्रफल में फैला हुआ है । इसके प्रथम तल पर खुले बरामदे के किनारे-किनारे क्रीम रंग के बालुई पत्थर के 144 स्तंभ हैं और प्रत्येक स्तंभ की ऊंचाई 27 फुट (8.23 मीटर) है। भवन के 12 द्वार हैं जिनमें से संसद मार्ग पर स्थित द्वारा सं0 1 मुख्य द्वार है।
वास्तु अभिकल्पना
इस तथ्य के बावजूद कि भवन का निर्माण स्वदेशी सामग्री से और भारतीय श्रमिकों द्वारा किया गया है, भवन के वास्तुशिल्प में भारतीय परंपरा की गहरी छाप मिलती है । भवन के भीतर और बाहर फव्वारों की बनावट, भारतीय प्रतीकों ” छज्जों ” के प्रयोग जो दीवारों और खिड़कियों पर छाया का काम करते हैं और संगमरमर से बनी तरह-तरह की “जाली ” प्राचीन इमारतों और स्मारकों में झलकते शिल्प कौशल का स्मरण कराते हैं । इसमें भारतीय कला की प्राचीन विशेषताओं के साथ ध्वनि व्यवस्था, वातानुकूलन, साथ-साथ भाषांतरण और स्वचालित मतदान आदि जैसी आधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियां शामिल हैं।
भवन की सामान्य रूपरेखा
भवन का केन्द्रीय तथा प्रमुख भाग उसका विशाल वृत्ताकार केन्द्रीय कक्ष है । इसके तीन ओर तीन कक्ष लोक सभा, राज्य सभा और पूर्ववर्ती ग्रंथालय कक्ष (जिसे पहले प्रिंसेस चैम्बर कहा जाता था) हैं और इनके मध्य उद्यान प्रांगण है । इन तीनों कक्षों के चारों ओर एक चार मंजिला वृत्ताकार भवन है, जिसमें मंत्रियों, संसदीय समितियों के सभापतियों के कक्ष, दलों के कार्यालय, लोक सभा तथा राज्य सभा सचिवालयों के महत्वपूर्ण कार्यालय और साथ ही संसदीय कार्य मंत्रालय के कार्यालय हैं।
प्रथम तल पर तीन समिति कक्ष संसदीय समितियों की बैठकों के लिए प्रयोग किए जाते हैं । इसी तल पर तीन अन्य कक्षों का प्रयोग प्रेस संवाददाता करते हैं जो लोक सभा और राज्य सभा की प्रेस दीर्घाओं में आते हैं।
भवन में छह लिफ्ट प्रचालनरत हैं जो कक्षों के प्रवेशद्वारों के दोनों ओर एक-एक हैं । केन्द्रीय कक्ष शीतल वायुयुक्त है और कक्ष (चैम्बर) वातानुकूलित हैं।
भवन के भूमि तल पर गलियारे की बाहरी दीवार प्राचीन भारत के इतिहास और अपने पड़ोसी देशों से भारत के सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाने वाली चित्रमालाओं से सुसज्जित है।
संसद भवन परिसर में प्रतिमाएं और आवक्षमूर्तियां
संसद भवन परिसर हमारे संसदीय लोकतंत्र के प्रादुर्भाव का साक्षी रहा है । संसद भवन परिसर में हमारे इतिहास की उन निम्नलिखित विभूतियों की प्रतिमाएं और आवक्षमूर्तियां हैं जिन्होंने राष्ट्र हित के लिए महान योगदान दिया है-
[table id=73 /]
केन्द्रीय कक्ष
केन्द्रीय कक्ष गोलाकार है और इसका गुम्बद जिसका व्यास 98 फुट (29.87 मीटर) है, को विश्व के भव्यतम गुम्बदों में से एक माना जाता है।
केन्द्रीय कक्ष ऐतिहासिक महत्व का स्थान है । 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन द्वारा भारत को सत्ता का हस्तान्तरण इसी कक्ष में हुआ था । भारतीय संविधान की रचना भी केन्द्रीय कक्ष में ही हुई थी।
शुरू में केन्द्रीय कक्ष का उपयोग पूर्ववर्ती केन्द्रीय विधान सभा और राज्य सभा के ग्रन्थागार के रूप में किया जाता था । 1946 में इसका स्वरूप परिवर्तित कर इसे संविधान सभा कक्ष में बदल दिया गया । 9 दिसम्बर, 1946 से 24 जनवरी, 1950 तक वहां संविधान सभा की बैठकें हुईं।
वर्तमान में, केन्द्रीय कक्ष का उपयोग दोनों सभाओं की संयुक्त बैठकें आयोजित करने के लिए किया जाता है । लोक सभा के प्रत्येक आम चुनाव के बाद प्रथम सत्र के आरंभ होने पर और प्रत्येक वर्ष पहला सत्र आरंभ होने पर राष्ट्रपति केंद्रीय कक्ष में समवेत संसद की दोनों सभाओं को संबोधित करते हैं । जब दोनों सभाओं का सत्र चल रहा हो, केन्द्रीय कक्ष का उपयोग सदस्यों द्वारा आपस में अनौपचारिक बातें करने के लिए किया जाता है । केन्द्रीय कक्ष का उपयोग विदेशी गण्यमान्य राष्ट्राध्यक्षों द्वारा संसद सदस्यों को संबोधन के लिए भी किया जाता है । कक्ष में समानांतर भाषान्तरण प्रणाली की सुविधा भी उपलब्ध है।
मंच के ऊपर मेहराब में महात्मा गांधी का चित्र लगा हुआ है जिसकी नक्काशी सर ओस्वाल्ड बर्ले द्वारा की गयी थी और जिसे भारतीय संविधान सभा के एक सदस्य श्री ए.पी. पट्टानी द्वारा राष्ट्र को उपहार स्वरूप दिया गया था । मंच के बायीं तथा दायीं ओर दीवार और मेहराबों पर निम्नलिखित गण्यमान्य राष्ट्रीय नेताओं के चित्र लगे हुए हैं :-
[table id=74 /]
कक्ष की दीवार पर अविभाजित भारत के 12 प्रांतों को दर्शाते हुए 12 स्वर्ण रंजित प्रतीक भी लगे हैं । केन्द्रीय कक्ष के चारों तरफ छह लॉबी हैं जहां गलीचे लगे हैं और वे सुसज्जित हैं । एक लाउंज केवल महिला सदस्यों के अनन्य उपयोग के लिए, एक प्राथमिक उपचार केन्द्र के लिए, एक लोक सभा के सभापति पैनल के लिए तथा एक संसद सदस्यों के लिए कंप्यूटर पूछताछ बूथ के लिए आरक्षित है।
केन्द्रीय कक्ष की पहली मंजिल पर छह दीर्घाएं हैं । जब दोनों सभाओं की संयुक्त बैठकें होती हैं तो मंच के दायीं ओर की दो दीर्घाओं में प्रेस संवाददाता बैठते हैं, मंच के सामने की दीर्घा विशिष्ट दर्शकों के लिए रखी जाती है और बाकी तीन दीर्घाओं में दोनों सभाओं के सदस्यों के अतिथि बैठते हैं।
लोक सभा कक्ष (चैम्बर)
लोक सभा कक्ष का आकार अर्द्ध-वृत्ताकार है जिसका फ्लोर एरिया लगभग 4800 वर्गफुट (446 वर्गमीटर) है।
अध्यक्षपीठ डायमीटर के केन्द्र में ऊँचे प्लेटफार्म पर बनाया गया है जो अर्द्ध-वृत्त के दोनों छोरों से जुड़े हैं । अध्यक्ष की पीठ के ठीक ऊपर लकड़ी से बने पैनल पर जिसका मूल अभिकल्प एक प्रसिद्ध वास्तुकार सर इरबर्ट बेकर द्वारा तैयार किया गया था, बिजली की रोशनी से युक्त संस्कृत भाषा में लिखित आदर्श वाक्य अंकित है । अध्यक्षपीठ की दाहिनी ओर आधिकारिक दीर्घा है जो उन अधिकारियों के उपयोग के लिए होता है जिन्हें सभा की कार्यवाही के संबंध में मंत्रियों के साथ उपस्थित होना पड़ता है । अध्यक्षपीठ के बायीं ओर एक विशेष बॉक्स होता है जो राष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, विदेशी राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों और प्रधानमंत्रियों के परिवार के सदस्यों व अतिथिगण एवं अध्यक्ष के विवेकाधीन अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों के लिए आरक्षित होता है।
अध्यक्षपीठ के ठीक नीचे सभा के महासचिव की मेज होती है । उसके सामने एक बड़ा पटल होता है जो सभा का पटल होता है जिस पर मंत्रियों द्वारा औपचारिक तौर पर पत्र रखे जाते हैं, सभा के अधिकारीगण तथा सरकारी रिपोर्टर इस पटल के साथ बैठते हैं।
कक्ष में 550 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है । सीटें छह खंडों में बंटे होते हैं, प्रत्येक खंड में ग्यारह कतारें हैं । अध्यक्षपीठ के दाहिनी ओर खंड संख्या 1 और बायीं ओर खंड संख्या 6 में प्रत्येक में 97 सीटें हैं । शेष प्रत्येक 4 खंडों में 89 सीटें हैं । कक्ष में प्रत्येक सदस्य, जिसमें मंत्रिगण जो लोक सभा के सदस्य हैं, एक सीट आवंटित किया जाता है । अध्यक्षपीठ की दाहिनी तरफ सत्ता पक्ष के सदस्य और बायीं तरफ विपक्षी दल/समूहों के सदस्य स्थान ग्रहण करते हैं । उपाध्यक्ष बायीं तरफ अगली पंक्ति में स्थान ग्रहण करते हैं।
अध्यक्ष के आसन के ठीक सामने जहां लकड़ी की कलापूर्ण नक्काशी है, भारतीय विधायी सभा के प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष श्री विट्ठल भाई पटेल का चित्र लगा हुआ है।
लोक सभा कक्ष के चारों ओर की लकड़ी के 35 सुनहरे डिजाइन हैं। जो अविभाजित भारत के विभिन्न प्रांतों, शासित क्षेत्रों और कतिपय अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सदस्य लॉबी
चैम्बर से सटे और इसकी दीवारों से संलग्न दो कवर्ड गलियारे हैं जिन्हें भीतरी लॉबी और बाह्य लॉबी कहा जाता है। ये लॉबियां पूर्णतः सुसज्जित हैं और सदस्यों के बैठने और आपस में अनौपचारिक चर्चा करने के लिए सुविधाजनक स्थल है।
दर्शक दीर्घा
लोक सभा चैम्बर के पहले तल में कई सार्वजनिक दीर्घाएं और प्रेस दीर्घा है । प्रेस दीर्घा आसन के ठीक ऊपर है और इसके बायीं ओर अध्यक्ष दीर्घा (अध्यक्ष के अतिथियों के लिए) राज्य सभा दीर्घा (राज्य सभा के सदस्यों के लिए) और विशेष दीर्घा है । सार्वजनिक दीर्घा प्रेस दीर्घा के सम्मुख है। प्रेस गैलरी के दायीं ओर राजनयिक और गण्यमान्य आगंतुकों की विशिष्ट दीर्घा है।
स्वचालित मतदान रिकॉर्डिंग प्रणाली
सभा में मत विभाजन के दौरान मत रिकार्ड करने के लिए लोक सभा चैम्बर में माइक्रोफोन प्रबंध, साथ-साथ भाषान्तरण तथा स्वचालित मतदान रिकार्डिंग संबंधी एक समेकित प्रणाली की व्यवस्था की गई है।
सदस्य स्वचालित मत अभिलेखन यंत्र का संचालन अपने-अपने नियत स्थानों (वहीं जो उनकी विभाजन संख्याएं हैं) से करते हैं । स्वचालित मत रिकार्डिंग यंत्र का संचालन करने के लिए चैम्बर में महासचिव की मेज पर एक वोटिंग कंसोल लगाया गया है । अध्यक्ष के निर्देश पर महासचिव मतदान प्रक्रिया को शुरू करते हैं । महासचिव द्वारा अपनी मेज पर लगे बटन को दबाते ही ऑडियो-अलार्म बजता है और प्रत्येक सदस्य के पुश-बटन-सेट पर लगी “अब मतदान करें” संकेतक प्रकाश द्योतक बत्ती चमकने लगती है और इस प्रकार सदस्यों को अपना मत डालने के लिए संकेत दिया जाता है।
मतदान के लिए सभा में प्रत्येक सदस्य को पहला ऑडियो-अलार्म बजने के साथ ही मतदान प्रक्रिया आरम्भक स्विच को दबाना होता है और साथ ही साथ अपनी इच्छानुसार तीनों पुश बटनों में से किसी एक को दबाना होता है अर्थात् हरा बटन “”हाँ”” के लिए, लाल बटन “”ना”” के लिए तथा पीला बटन “मतदान में भाग न लेने” के लिए । मतदान आरम्भक स्विच और संबंधित पुश-बटन (इच्छानुसार) दोनों को तब तक दबाए रखना चाहिए जब तक कि दस सेकंड के पश्चात् दूसरी घंटी नहीं बजती । दस सेकंड का समय बीतने की सूचना सकल परिणाम सूचक बोर्ड पर अवरोही क्रम में 10, 9, 8 से 0 तक दर्शाई जाती है । मत विभाजन के दौरान एम्बर रंग वाला बटन न दबाया जाए । मतदान में कोई गलती होने पर सदस्य दूसरी घंटी बजने से पहले वांछित पुश-बटन और मतदान आरम्भक स्विच को एक साथ दबाकर ठीक कर सकता है । बटन दबाते ही सदस्य की सीट पर लगे “पुश-बटन-सेट” से किए गए मतदान के साथ ही संबंधित प्रकाश द्योतक बत्ती जलती है । इस बत्ती का जलना इस बात का संकेत होता है कि मत को यंत्र द्वारा रिकार्ड किया जा रहा है । उपर्युक्त से यह स्पष्ट होता है कि सभा में अध्यक्ष पीठ द्वारा मत-विभाजन की घोषणा किए जाने पर सदस्य को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना होता है-
- वे अपनी नियत सीट से ही प्रणाली को संचालित करें;
- घंटी बजने तथा प्रत्येक सदस्य की सीट पर लगे “अब मतदान करें” प्रकाश द्योतक बत्ती, के जलने का इन्तजार करें;
- मतदान आरम्भक स्विच को और साथ ही साथ अपनी इच्छानुसार तीनों पुश-बटनों में से किसी एक अर्थात् “”हां”” के लिए हरे बटन (“ए”), “ना” के लिए लाल बटन (“एन”) तथा “मतदान में भाग न लेने” के लिए पीले बटन (“ओ”) को दबाना होता है ;
- यह सुनिश्चित करना कि मतदान आरम्भक स्विच और अपनी पसंद का पुश-बटन एक साथ तब तक दबाए रखा जाए जब तक कि दस सेकण्ड के पश्चात् दूसरी बार घंटी नहीं बजती है; और
- मत विभाजन के दौरान एम्बर रंग वाला बटन (“पी”) न दबाएं। यदि कोई सदस्य अपने मतदान में सुधार करना चाहता है तो वह दूसरी घंटी बजने से पहले दस सेकंड के भीतर वांछित पुश-बटन और मतदान आरम्भक स्विच को एक साथ दबाकर ऐसा कर सकता है।
मतदान का परिणाम
दूसरे ऑडियो अलार्म के बजने के तुंत बाद प्रणाली “हाँ” और “ना” के मतों के अतिरिक्त “”मतदान में भाग न लेने वाले”” मतों की गणना करना आरंभ कर देती है और “टोटल रिजल्ट डिस्प्ले बोर्ड” में “हाँ”, “ना” और “मतदान में भाग न लेने” वालों की कुल संख्या प्रदर्शित होती है । इसमें मतदान का प्रयोग करने वाले सदस्यों की कुल संख्या भी दर्शाई जाती है।
मतदान के परिणाम लोक सभा अध्यक्ष, महासचिव और ध्वनि नियंत्रण कक्ष में लगे मॉनिटरों पर भी दिखाई देते हैं । जैसे ही मतदान का परिणाम प्रदर्शित होता है, स्थायी रिकॉर्ड के लिए मतदान का प्रिंट आउट लिया जाता है।
लोक सभा कक्ष में आधुनिक स्वचालित मतदान रिकार्डिंग और ध्वनि एम्पलीफाइंग प्रणाली लगी है । चुने गए स्थानों पर पेडेस्टल स्टैंड पर बैक अप के रूप में शक्तिशाली माइक्रोफोन भी लगे हैं । प्रत्येक सीट में बैंच के पीछे लचीले स्टैंड पर संवेदी माइक्रोफोन लगे हैं । गैलरी में छोटे-छोटे लाउडस्पीकर भी लगे हैं।
मत विभाजन के मामले में लोक सभा चैम्बर में स्थापित स्वचालित मतदान प्रणाली से सदस्य शीघ्रता से अपना मत रिकार्ड कर सकेंगे।
भाषांतरण प्रणाली को इस तरह तैयार किया गया है कि सभा की कार्यवाही का भाषांतरण अंग्रेजी से हिन्दी और विलोमतः साथ-साथ तथा असमी, कन्नड़, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल और तेलुगु से अंग्रेजी और हिंदी में साथ-साथ हो सके । इनमें से किसी भी भाषा में बोलने की इच्छा रखने वाले सदस्य को पटल में उपस्थित अधिकारी को इसकी अग्रिम सूचना देनी होगी । प्रश्न काल के दौरान भी जिस सदस्य ने मुख्य प्रश्न उठाया है, वह पूर्व सूचना देकर उपर्युक्त में से किसी भी भाषा में अनुपूरक प्रश्न पूछ सकता है । सदस्य उपर्युक्त भाषाओं में नियम 377 के अधीन वक्तव्य भी दे सकते हैं।
राज्य सभा कक्ष (चैम्बर)
यह लगभग उसी नमूने पर बना है जिस पर लोक सभा कक्ष (चैम्बर) है, लेकिन आकार में उससे छोटा है । इसमें बैठने की क्षमता 250 है । यह आधुनिक ध्वनि उपकरण, स्वचालित मतदान रिकार्डिंग और एक साथ भाषांतरण प्रणाली से भी सुसज्जित है।
सार्वजनिक दीर्घा, विशिष्ट दर्शक दीर्घा, राजनयिक दीर्घा, सभापति दीर्घा (सभापति के अतिथियों के लिए नियत), प्रेस दीर्घा और लोक सभा सदस्यों के लिए दीर्घा राज्य सभा कक्ष के प्रथम तल पर उसी तरह अवस्थित हैं जिस तरह लोक सभा कक्ष में ये सब अवस्थित हैं।
स्वागत कार्यालय
द्वार सं. 1 के सामने बने गोलाकार भवन में स्थित स्वागत कार्यालय सदस्यों, मंत्रियों, आदि से भेंट करने या संसद की कार्यवाही देखने के लिए भारी संख्या में आने वाले आगंतुकों के लिए एक अनुकूल प्रतीक्षा स्थल है । इसका प्रवेश द्वार रायसीना रोड पर है। पूर्णतः वातानुकूलित इस भवन की अवधारणा अनुपम हैं और इसमें वास्तुकला के प्राचीन व नवीन दोनों रूपों की विशेषताओं की झलक मिलती है । भवन का बाहरी भाग लाल बालूपत्थर से बना है और भीतरी भाग पर लकड़ी की लाइनिंग का काम है जो सहृदयता और स्वागत की भावना का सूचक है । आगंतुकों की सुविधा के लिए स्वागत कार्यालय के भीतर कैफेटीरिया की व्यवस्था है।
सदस्यों की सुविधा के लिए स्वागत कार्यालय भवन में बेसमेंट लेवल पर एक लॉन्ज है जहाँ सदस्य अपने अतिथियों से भेंट कर उनका सत्कार कर सकते हैं।
संसद ग्रंथालय भवन (संसदीय ज्ञानपीठ)
मई, 2002 तक संसद ग्रंथालय संसद भवन में ही स्थित था। समय के साथ ग्रंथालय सेवा का विस्तार हुआ जिसे अब लार्डिस (ग्रंथालय और संदर्भ, शोध, प्रलेखन तथा सूचना सेवा) के नाम से जाना जाता है। संसद ग्रंथालय और इसकी संबद्ध सेवाओं के लिए संसद भवन में उपलब्ध स्थान ग्रंथालय द्वारा एकत्र किए जा रहे साहित्य की मात्रा को देखते हुए काफी सीमित था। इसके अलावा, संसद सदस्यों को और अधिक प्रभावी, कुशल और आधुनिक शोध, संदर्भ व सूचना सेवा उपलब्ध कराने की निरंतर मांग भी होती रही थी । इस आवश्यकता को पूरा करने की दृष्टि से नए संसद ग्रंथालय भवन (संसदीय ज्ञानपीठ) के बारे में सोचा गया। इस भवन की आधारशिला तत्कालीन माननीय प्रधान मंत्री श्री राजीव गाँधी ने 15 अगस्त, 1987 को रखी और भूमि-पूजन तत्कालीन माननीय अध्यक्ष श्री शिवराज वि. पाटील ने 17 अप्रैल, 1994 को किया। इस पूर्णतः वातानुकूलित बृहद् भवन का निर्माणकार्य केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने किया। मेसर्स राज रेवल एसोसिएट्स इसके परामर्शी वास्तुकार थे। बाह्य तौर पर ग्रंथालय भवन संसद भवन से मेल खाता है और इसमें उसी प्रकार लाल और मटियाले बालूपत्थर की सामग्री का प्रयोग किया गया है। सामान्य ऊँचाई गोलाकार स्तंभावली के नीचे संसद की पीठिका तक सीमित रखी गई है। ग्रंथालय भवन की छत पर राष्ट्रपति भवन के पत्थर के विद्यमान गुम्बदों की तर्ज पर इस्पात की संरचनाओं पर टिके लघु आकार के खोखले गुम्बदों की एक श्रृंखला है। ग्रंथालय का मुख्य प्रवेश द्वार संसद के द्वारों में से एक से सीधे जुड़ा है । यह स्टेनलेस स्टील रिंग के ऊपर धरी गोलाकार छत से ढके प्रांगण तक जाता है जहाँ छत से हल्की रोशनी आती रहती है। परिसर का नाभीय केंद्र सूर्य प्रकाश प्रत्यावर्तनकारी, अत्याधुनिक संरचनापरक काँच और स्टेनलेस स्टील से बना है। यह चौपंखुड़ियों से संयोजित है। ये चौपंखुड़ियां आकर्षक तनन छड़ों से जुड़ी हैं। काँच गुम्बद के ऊपरी भाग में अशोक चक्र को निरूपित करता गोलाकार प्रतीक है।
उपलब्ध सुविधाएं
संसद सदस्यों के लिए ग्रंथालय परिसर के केंद्रीय निकाय में एक अध्ययन कक्ष है जो भीतरी अहाते के सामने स्थित है । यह दो मंजिला स्थल है जिसमें भीतरी प्रांगण है जो चार स्तंभों के सहारे बने गोलाकार गुम्बद से ढका है । छत स्तर के ऊपर सफेद रोगन से रंगे इस्पात की प्रमुख संरचना है जहाँ से काँच के खण्डों में से पारभासी प्रकाश छन कर आता है जो भव्य कक्ष के भीतर शांत-सौम्य वातावरण बनाता है।
मुख्य ग्रंथालय के बड़े कक्ष और अनुप्रस्थ ध्रुवों के दोनों सिरों पर दृश्य-श्रव्य संग्रहालय में एक समान विन्यास है । इनकी 35 मीटर बड़ी विस्तृति है । यह इतना बड़ा क्षेत्र शीर्ष से प्रकाशमान रहता है जहाँ कंक्रीट बुलबुलों के भीतर काँच प्रखण्ड अंतःस्थापित हैं । इसकी प्रमुख इस्पात संरचना नीची रखी गई है और इसकी परिधि पर प्राकृतिक प्रकाश जगमगाता रहता है।
ऑडिटोरियम 35 एमएम फिल्म प्रोजेक्शन के लिए अद्यतन डिजिटल डोल्बी सराउंड साउंड सिस्टम; मूल और चार भाषा भाषांतरण के लिए साथ-साथ वायरलेस भाषांतरण प्रणाली; 10,000 एएनएसआई ल्यूमेन्स आउटपुट वाली ज़ेनन इल्युमिनेशन प्रणाली युक्त वीडियो प्रोजेक्शन प्रणाली; और स्कैनर नियंत्रित एफओएच प्रकाशयुक्त स्टेज प्रकाश प्रणाली से सज्जित है।
भवन में 10 समिति कक्ष/व्याख्यान कक्ष हैं जिनमें से 7 कक्षों में अत्याधुनिक कॉफ्रेंसिंग प्रणाली और 3 कक्षों (इन 7 कक्षों में से) में साथ-साथ भाषान्तरण प्रणाली की व्यवस्था की गई है।
सदस्य अध्ययन कक्ष संसद ग्रंथालय भवन के “एच” ब्लॉक में अवस्थित है। जो संसद सदस्य अध्ययन करना और इंटरनेट के माध्यम से सूचना प्राप्त करना चाहते हैं; वे अध्ययन कक्ष सं. जी-049 और कक्ष सं. एफ 058 में यह सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।
कक्ष सं. जी. 049 में सदस्य सहायता फलक भी स्थापित किया गया है जो संसद सदस्यों को उनके दैनंदिन संसदीय कार्य में अपेक्षित जानकारी प्राप्त करने में उनकी सहायता करता है। प्रकाशित दस्तावेज़ में तुंत उपलब्ध सांख्यिकीय आंकड़े ऑर सूचना तक्षण सुलभ कराई जाती है जबकि जिन पूछताछों में समय लगना होता है और विस्तृत सूचना की आवश्यकता होती है, उन्हें तथ्यपरक और अद्यतन सूचना प्राप्त करने के लिए सदस्य संदर्भ सेवा को भेज दिया जाता है।
सदस्यों की सूचना संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने की दृष्टि से हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में नवीनतम पत्रिकाएं और समाचार पत्र उपर्युक्त अध्ययन कक्ष में प्रदर्शित किए जाते हैं । लोक सभा/ राज्य सभा समाचार और न्यूज बुलेटिन भी सदस्यों के प्रयोग के लिए सुलभ रखे जाते हैं। सदस्य संदर्भ को सुकर बनाने के लिए पुस्तकें आरक्षित भी कर सकते हैं।
सूचना प्राप्त करने के लिए सदस्य सहायता फलक और अध्ययन कक्ष में इंटरनेट कनेक्शन के साथ कंप्यूटर लगाए गए हैं।
भवन में उपलब्ध अन्य सुविधाएं इस प्रकार हैं:-
- तीस लाख ग्रंथो को रखने की व्यवस्था के साथ ग्रंथालय;
- शोध और संदर्भ प्रभाग;
- कंप्यूटर केंद्र;
- प्रेस और जनसंपर्क सेवा;
- मीडिया केन्द्र;
- प्रेस-ब्रीफिंग कक्ष;
- संसदीय अध्ययन और प्रशिक्षण ब्यूरो;
- दृश्य-श्रव्य ग्रन्थालय;
- संसदीय संग्रहालय और अभिलेखागार;
- 1,067 व्यक्तियों की क्षमता वाला प्रेक्षागृह;
- समिति और सम्मेलन कक्ष;
- भोज कक्ष;
- 212 कारों के लिए पार्किंग स्थल।
गुम्बद – अभिनव विशेषता
भवन की मूल संरचना प्रबलित सीमेंट कंक्रीट की ढांचा वाली संरचना के रूप में परिकल्पित की गई है जिसमें सामान्यतः 5 मीटर के अंतर पर स्तम्भों के लिए स्थान छोड़ा गया है । मध्यवर्ती फ्लोर कॉफर एकक निर्माण के स्वरूप के हैं जबकि छत में अंशतः कॉफर एकक हैं और आंशिक रूप से इस्पात तथा कंक्रीट के गुम्बद हैं।
गुम्बदों का अभिकल्प और इसका निर्माण देश में अनुपम है । गुम्बदों के निर्माण में अंतर्ग्रस्त कुछ अभिनव विशेषताएं निम्नानुसार हैं-
- 12 में से दो गुम्बदों में ए.आई.एस.आई. 304 एल ग्रेड के स्टेनलेस स्टील का प्रयोग किया गया है। इस्पात को पूर्णतः स्तरीय बनाया गया हे । अन्य सभी गुम्बद कार्बन स्टील के हैं जिन पर इपौक्सी पेन्ट कर इन्हें पूरा किया गया हे।
- फ्रेमवर्क के सभी जोड़ों को ढलाई द्वारा सांचों में ढालकर एच.एस.एफ.जी. बोल्टों के संयोजन से टय़ूब से जोड़ा गया था और नियंत्रित स्थितियों में इनकी वेल्डिंग की गई थी। इसके परिणामस्वरूप 12 मेम्बरों के एक ही संयुक्त स्थल पर मिलने की जगह भी जोड़ पतले दिखते हैं।
- गुम्बद के विभिन्न तत्वों यथा कास्ट ज्वाइंट्स (वक्रित) टय़ूब्स और स्टील के ढांचे पर लगा पूर्वनिर्मित कंक्रीट बबल्स के विनिर्माण और इसके संयोजन के मामले में ज्यामितीय सुनिश्चितता प्राप्त हुई।
- कुछ ई. एण्ड एम. सेवाएं, जो प्रदान की जा रही हैं, निम्नवत् हैं-
- जाड़े में उष्मीकरण तथा उप-द्रवीकरण समेत 5 x 500 टी.आर. अपकेन्द्री प्रशीतन मशीनों वाली केन्द्रीय वातानुकूलन प्रणाली जो भवन के 45,000 वर्गमी0 के वातानुकूलन के लिए है।
- स्वचालित, संसूचना अग्नि संकेतक प्रणाली, जो आग लगने की स्थिति में समन्वित कार्यकरण के लिए ए.एच.यू.पी.ए. सिस्टम और अग्नि नियंत्रण दरवाजों से विधिवत एकीकृत होता है।
- कंप्यूटर केन्द्र में एन.ए.एफ.एस. – तीन गैस के साथ बिना भींगी हुई अग्निशमन प्रणाली तथा स्विच रूम के लिए सूक्ष्म फिल्मिंग स्टोर और सी.ओ.।
- निगरानी, ग्रन्थालय के कामकाज तथा संसद में कार्यवाहियों के प्रदर्शन हेतु सी.सी.टी.वी.।
- भवन के अधिकांश भागों में पी.ए. प्रणाली।
- समिति कक्षों में वीडियो प्रक्षेपण प्रणाली, डिजीटल कांफ्रेंसिंग सिस्टम तथा समानान्तर भाषान्तरण प्रणाली।
- पार्किंग क्षेत्र के लिए कार-नियंत्रण प्रणालियां।
भवन का कुल आच्छादित क्षेत्र 60, 460 वर्गमी0 है और इसे 200 करोड़ रु0 की लागत से बनाया गया है । इस निर्माण कार्य को पूरा करने में 7 वर्ष 9 महीने का समय लग गया। संसद ग्रंथालय भवन का उद्घाटन 7 मई, 2002 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री के.आर. नारायणन द्वारा किया गया। इस अवसर पर निम्नलिखित व्यक्ति उपस्थित थे-
- श्री कृष्णकांत, माननीय उप-राष्ट्रपति
- श्री अटल बिहारी वाजपेयी, माननीय प्रधानमंत्री
- श्री पी.एम. सईद, माननीय उपाध्यक्ष, लोक सभा (अध्यक्ष के कार्यों का निर्वहन करते हुए)
- श्रीमती सोनिया गांधी, विपक्ष की नेता
- श्री प्रमोद महाजन, माननीय संसदीय कार्य मंत्री
- श्री अनंत कुमार, माननीय शहरी विकास और गरीबी और उपशमन मंत्री।
- संसद भवन में सदस्यों के लिए विशेष सुविधाएं
संसद सदस्यों की सुविधा के लिए, संसद भवन में निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है-
- जलपान कक्ष मुख्य जलपान कक्ष प्रथम तल पर कमरा सं0 70 और 73 में स्थित हैं । केन्द्रीय कक्ष से चेम्बरों में जाने वाले मार्गों के समीप चाय, कॉफी, दुग्ध के बूथ, स्नैक बार और रिफ्रेशमेंट लांज हैं।
- रेल बुकिंग कार्यालय (तृतीय तल पर कमरा संख्या 131)।
- स्वागत ब्लॉक में रेल बुकिंग कार्यालय।
- भारतीय स्टेट बैंक का वेतन कार्यालय (कमरा संख्या 57, प्रथम तल)।
- केन्द्रीय कक्ष की एक लॉबी में स्थित प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र।
- डाकघर (भूमि तल)।
- एयर-बुकिंग (तृतीय तल पर कमरा सं0 131 – ए)।
- के.लो.नि.वि. शिकायत प्रकोष्ठ (केन्द्रीयकृत पास निर्गम प्रकोष्ठ के समीप)।
संसदीय सौध (पी.एच.ए.)
स्वतंत्रता के पश्चात संसद के कामकाज में कई गुणा वृद्धि होने से, संसदीय दलों/समूहों के लिए स्थान, दलों/समूहों के लिए बैठक कक्ष, समिति कक्ष तथा संसदीय समितियों के सभापतियों के लिए कार्यालयों और दोनों सभाओं के सचिवालयों के लिए कार्यालयों की मांग में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। मूल संसद भवन में निम्नलिखित तीन चैम्बर थे-
- दि सेन्ट्रल असेम्बली
- दि काउंसिल ऑफ स्टेट्स
- दि प्रिंसेस चैम्बर
उस समय तीनों सभाओं की सदस्य संख्या लगभग 300 थी। वर्तमान संसद में कुल 795 सदस्य हैं। सदस्यों की अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करने तथा उन्हें मिलनेवाली कुछ सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए संसदीय सौध का निर्माण किया गया। जनप्रतिनिधियों के भारी उत्तरदायित्वों के प्रभावकारी निर्वहण की दिशा में इस तरह की सुविधाओं का प्रावधान करना अनिवार्य होता है।
भवन का निर्माण
इस भवन का डिजाइन केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के मुख्य वास्तुविद् श्री जे.एम. बेन्जामिन ने किया था ओर इसका ढांचा वाफ्ल-स्लाब युक्त आर.सी.सी. कंस्ट्रक्शन है। यह भवन आधुनिक, क्रियात्मक, किफायती तथा प्रतिष्ठित है।
भारत के राष्ट्रपति श्री वी.वी. गिरी ने 3 अगस्त, 1970 को संसदीय सौध का शिलान्यास किया था । प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 24 अक्तूबर, 1975 को इसका उद्घाटन किया था।
भवन का सामान्य नक्शा
इस भवन के तीन भाग हैं – अग्र भाग, पश्च भाग और मध्य भाग । इसके अतिरिक्त भवन के सामने कार पार्किंग के लिए एक आच्छादित प्लाजा भी है । अग्र भाग और पश्च भाग (ब्लॉक) तीन मंजिला है और मध्य भाग खुली छत के साथ छह मंजिला है।
अग्र भाग (फ्रंट ब्लॉक)
बेसमेंट में विश्रांतिका, डाक घर तथा एक छोटा-सा समिति कक्ष है और भूतल पर भारतीय स्टेट बैंक की शाखा और एक बहुद्देश्य हॉल है। प्रथम तल पर अध्यक्ष, राज्य सभा के सभापति, प्रधान मंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, राज्य सभा के महासचिव, लोक सभा के महासचिव, आदि के कमरे तथा दल बैठक कक्ष स्थित हैं। बेसमेंट में जलाशय, उसके ऊपर बनी सीढ़ियां और सूर्य की रोशनी को बिखेरने के लिए बने पिरामिड इस क्षेत्र की शोभा बढ़ाते हैं।
मध्य भाग
बेसमेंट में भौतिक चिकित्सा केन्द्र, नेत्र चिकित्सालय, दन्त चिकित्सालय और पैथोलोजिकल प्रयोगशाला आदि से पूरी तरह सुसज्जित एक चिकित्सा केन्द्र है । टेलीफोन एक्सचेंज और टेलीफोन ब्यूरो भी बेसमेंट में स्थित है और भूतल पर भोज-कक्ष, निजी भोज-कक्ष और जलपान कक्ष स्थित हैं । दूसरे तल से पांचवें तल तक लोक सभा और राज्य सभा के सचिवालय अवस्थित हैं।
छज्जे के दोनों ओर कैंटीन, लोक सभा और राज्य सभा के कर्मचारियों के लिए क्लब भी है।
समिति कक्ष
बेसमेंट में एक लघु समिति कक्ष “ई” है । भूतल पर एक मुख्य समिति कक्ष और चार लघु समिति कक्ष हैं जो कि केन्द्रीय प्रांगण के आसपास अवस्थित है। सभी समिति कक्षों में संसद भवन के लोक सभा तथा राज्य सभा चेम्बरों की तरह साथ-साथ भाषान्तरण प्रणाली की व्यवस्था है। इस तल पर संसदीय समितियों के सभापतियों के कार्यालय भी अवस्थित है।
संसदीय सौध में सदस्यों के लिए विशेष सुविधाएं
संसद सदस्यों की सुविधा के लिए संसदीय सौध में निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान की गई हैं :-
- भूतल पर जलपान कक्ष
- भूतल पर मिल्क बार
- विशेष प्रीतिभोज/समारोहों के लिए भूतल पर भोज कक्ष तथा निजी भोज कक्ष
- चिकित्सा जांच केन्द्र
- भूतल पर भारतीय स्टेट बैंक
- बेसमेंट में डाक घर
- भूतल पर बहुद्देशीय हॉल
- बेसमेंट और भूतल पर विश्रांतिकाएं
- आय कर प्रकोष्ठ – कमरा संख्या 314 तीसरा तल
- टेलीकॉम ब्यूरो – बेसमेंट तल
ईपीएबीएक्स दूरभाष केन्द्र संसदीय सौध में आधुनिक एवं कार्यक्षम ईपीएबीएक्स दूरभाष केन्द्र की स्थापना की गई है जो केवल संसद भवन संपदा हेतु सेवाएं प्रदान करता है । इन्टर-कॉम से तथा बाहर बात करने के लिए एक ही उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है।
ईपीएबीएक्स एक्सचेंज के बाहर के किसी नम्बर पर बात करने के लिए “शून्य” डायल करने के पश्चात वांछित नम्बर डायल करना अपेक्षित है।