शरणार्थियों हेतु संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त का कार्यालय Office of the United Nations High Commissioner for Refugees – UNHCR
यूएनएचसीआर महासभा के प्रस्तावाधीन 3 दिसंबर, 1949 को स्थापित हुआ था। इसका उद्देश्य शरणार्थियों की समस्याओं के प्रति आपात राहत, पुनर्वास सहायता, सुरक्षा तथा स्थायी निदान उपलब्ध कराना है। इस कार्यालय द्वारा तीन वर्षों के लिए 1 जनवरी, 1951 से कार्य आरंभ किया गया, जिसमें मुख्यतः द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामस्वरूप बेघर हुए 10 से 20 लाख लोगों को पुनर्वासित करना शामिल था। इसके कार्यकाल की अध्यादेश द्वारा हर बार पांच वर्षों के लिए बढ़ाया जाता रहा है।
यूएनएचसीआर का मुख्यालय जेनेवा में है। इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रदत्त सब्सिडी तथा सरकारों व गैर-सरकारी संगठनों एवं निजी व्यक्तियों के योगदानों के माध्यम से कोष उपलब्ध होता है। इस निकाय द्वारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि शरणार्थियों के साथ अंतरराष्ट्रीय संघ से स्वीकृत् मापदंडों के अनुरूप व्यवहार हो।
इसके द्वारा 1951 में शरणार्थियों के दर्जे पर संयुक्त राष्ट्र संधि के अंगीकरण को प्रोत्साहित किया गया तथा 1967 के प्रोटोकॉल को आधार समर्थन दिया गया। यह प्रोटोकॉल शरणार्थी शब्द को परिभाषित करने के साथ-साथ शरणार्थियों के साथ व्यवहार करने के न्यूनतम मानक स्थापित करता है तथा उन्हें क़ानूनी स्थिति एवं कुछ सामाजिक-आर्थिक अधिकार प्रदान करने की वकालत करता है। यह भौतिक सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से आपात राहत उपलब्ध कराने हेतु प्रयास करता है। अन्य संयुक्त राष्ट्र अभिकरण, राष्ट्रीय सरकारें, क्षेत्रीय समूह तथा निजी राहत संगठन भी यूएनएचसीआर के साथ सहयोग करते हैं। विश्व में शरणार्थी समस्याओं के बढ़ते विस्तार ने इस निकाय के उत्तरदायित्वों को और भी व्यापक बना दिया है। वित्तीय कठिनाइयों के कारण इसे शिक्षा, रोजगार, आवास इत्यादि से जुड़ी गतिविधियों में कटौती करनी पड़ी है।
महासभा द्वारा निर्वाचित उच्चायुक्त, महासभा या आर्थिक व सामाजिक परिषद द्वारा निर्धारित किये गये नीति-निर्देशों का अनुसरण करता है। यूएनएचसीआर को वर्ष 1955 एवं 1981 में शांति का नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है।