राष्ट्रीय दूरसंचार नीति National Telecom Policy
राष्ट्रीय दूरसंचार नीति
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 31 मई, 2012 को नई दूरसंचार नीति-2012 को मंजूरी प्रदान की। नई नीति 13 वर्ष पुरानी दूरसंचार नीति-1999 का स्थान लेगी। इस नाइ नीति में उपभोक्ताओं के लिए एक राष्ट्र, पूर्ण मोबाइल नंबर मोबिलिटी व एक रोमिंग मुक्त राष्ट्र की परिकल्पना करते हुए देश के किसी भी दूरसंचार मंडल में मोबाइल नम्बर पोर्टबिलिटी उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में केवल अपने सकिल के अंदर ही मोबाइल नम्बर पोर्टबिलिटी की सुविधा उपलब्ध है। इस नई व्यवस्था में रोमिंग शुल्क समाप्त करने का भी प्रावधान किया गया है। नई नीति के इन प्रावधानों को चरणबद्ध तरीके से दिशा-निर्देश जारी कर लागू किया जाएगा। एक नम्बर-एक राष्ट्र की योजना को लागू करने से पूर्व इसके तौर-तरीकों पर विचार दूरसंचार विभाग को करना होगा।
नई नीति के तहत् दूरसंचार लाइसेंसों को स्पेक्ट्रम से अलग किया गया है। इसमें दूरसंचार के मामले में भारत की ग्लोबल हब बनाने के उद्देश्य से दूरसंचार उपकरणों के देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने की बात भी कही गई है। नई नीति में जिन क्षेत्रों पर प्रमुख रूप से जोर दिया गया है, वे हैं:
- मार्केट में बहुत सारे ऑपरेटरों को देखते हुए सरकार एक्जिट पॉलिसी भी लाएगी। इससे टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स सेक्टर में कसॉलिडेशन का दौर देखने को मिलेगा। इसका ग्राहकों को सीधा लाभ मिलेगा क्योंकि-सारे ऑपरेटरों पर कॉलरेट कम रखने का दबाव होगा।
- ब्रॉडबैंड:न्यूनतम 2 एमबीपीएस डाउनलोड की स्पीड से ब्रॉडबैंड उपलब्ध कराने का लक्ष्य।
- ग्रामीण इलाकों में टेलिडेन्सिटी यानी दूरसंचार घनत्व मौजूदा 39 से बढ़ाकर वर्ष 2017 तक 70 व वर्ष 2020 तक 100 करना।
- नेटवर्क, सर्विसेज और डिवाइसेज का कवर्जेस
- स्पेक्ट्रम का उदारीकरण: किसी भी प्रौद्योगिकी में कोई भी सेवा
- सेवाओं की पुनर्बिक्री
- स्पेक्ट्रम की पूलिंग, सहभागिता और कारोबार की भी इजाजत मिलेगी। इससे एक कंपनी के पास अधिक मात्रा में स्पेक्ट्रम होने पर वह इसे अन्य के साथ बांट सकती है या फिर उसे बेचकर लाभ कमा सकती है। इसके साथ ही लाइसेंस और स्पेक्ट्रम की नीलामी अलग-अलग होगी।
- वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल
- क्लाउड कंप्यूटिंग, आईपीवी 6 सहित अगली पीढ़ी का नेटवर्क।