राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) National Rural Health Mission – NRHM
एन.आर.एच.एम. की शुरुआत 2005 में गरीब व्यक्तियों पर बल देते हुए ग्रामीण इलाकों और दूरस्थ इलाकों में सुलभ, वहनीय और विश्वसनीय गुणवत्तायुक्त सेवाएं मुहैया कराने के लिए की गई थी। यह 18 राज्यों, जिनमें 8 अधिकार प्राप्त कार्यदल राज्य (बिहार, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ओडीशा और राजस्थान), 8 पूर्वोत्तर राज्य, हिमाचल प्रदेश और जम्मू व कश्मीर शामिल हैं, पर विशेष ध्यान देते हुए संपूर्ण देश में किया जा रहा है। एन.आर.एच.एम. का उद्देश्य पुनरुत्पादक बाल स्वास्थ्य परियोजना (आर.सी.एच.-II) सहित स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के मौजूदा कार्यक्रमों तथा मलेरिया, दृष्टिहीनता, आयोडीन की कमी, फाइलेरिया, कालाज़ार, टी.बी., कुष्ठ रोग तथा समेकित रोग निगरानी कार्यक्रमों की सभी स्तरों पर लोक स्वास्थ्य सेवा डिलीवरी प्रणाली को सुदृढ़ करके अति महत्वपूर्ण सुरक्षा मुहैया कराना है। उप-केन्द्रों, पी.एचसी. और सी.एम.सी. में अतिरिक्त जनशक्ति, उपयुक्तगुणता मानक,चिकित्सा की मौजूदा बुनियादी सुविधाओं में सुधार लाकरबेहतर समुदायसहायता सहित बेहतर मानव संसाधनप्रबन्धन तथा स्थानीय योजना एवं कार्रवाई को सुसाध्य बनाने हेतु असंबद्ध धनराशि के जरिए प्राण फूके जा रहे हैं। लचीली, विकेन्द्रीयकृत योजना वह धुरी है जिस पर यह मिशन रोटेट करता है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएनएम) के तहत् एक मुख्य रणनीति समुदाय स्वास्थ्यकर्मी है, जिसे अधिकृत सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) कहा जाता है। समुदाय आधारित कार्यक्रमों में से एनआरएचएम का सर्वाधिक सुपरिचित और चर्चित पहलू निःसंदेह रूप से आशा कार्यक्रम है। प्रति 1000 की जनसंख्या पर एक आशा का प्रावधान किया गया है। आदिवासी, पहाड़ी और मरुक्षेत्रों के लिए प्रतिमाह एक आशा प्रतिनिवास स्थान तक छूट दी जा सकती है। आशा के प्रवेश का प्रशिक्षण 23 दिनों में पूरा हो जाता है जो 12 माह की अवधि के दौरान पांच चरणों में होता है।