राष्ट्रीय जनसंख्या नीति National Population Policy
फरवरी 2000 में सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 की घोषणा की। यह नीति डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित एक विशेषज्ञ दल की रिपोर्ट पर आधारित है। सरकार ने सार्वजनिक बहस के बाद इसे अंतिम रूप दिया। प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य की देखभाल के लिए समुचित सेवा प्रणाली की स्थापना तथा गर्भनिरोधकों एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएं पूरी करना इसके तात्कालिक उद्देश्य हैं। इसकी दरम्यानी अवधि का उद्देश्य वर्ष 2010 तक 2.1 की कुल जनन क्षमता दर प्राप्त करना है। अगर जनन क्षमता की वर्तमान प्रवृत्ति जारी रही तो यह उद्देश्य 2026 तक ही प्राप्त हो सकेगा। दीर्घकालीन उद्देश्य 2045 तक जनसंख्या में स्थायित्व प्राप्त करना है। नीतिगत उद्देश्य हासिल करने के लिए निम्नांकित कदम उठाए जाएंगे-
- चौदह वर्ष की आयु तक स्कूली शिक्षा निशुल्क और अनिवार्य बनाना।
- स्कूलों में बीच में ही पढ़ाई छोड़ देने वाले लड़के-लड़कियों की संख्या 20 प्रतिशत से नीचे लाना
- शिशु मृत्यु दर प्रति एक हजार जीवित बच्चों में 30 से कम करना।
- जच्चा मृत्यु अनुपात प्रति एक लाख संतानों में एक सौ से कम करना।
- टीकों से रोके जाने वाले रोगों से सभी बच्चों को प्रतिरक्षित करना।
- लड़कियों के देर से विवाह को बढ़ावा देना। विवाह 18 वर्ष से पहले न हो, बेहतर होगा अगर यह 20 वर्ष की आयु के बाद हो।
- अस्सी प्रतिशत प्रसव अस्पतालों, नर्सिग होमों आदि में और 100 प्रतिशत प्रशिक्षित लोगों से कराना।
- सभी को सूचना, परामर्श तथा जनन क्षमता नियमन की सेवाएं और गर्भनिरोध के विभिन्न विकल्प उपलब्ध कराना।
- जन्म-मरण, विवाह और गर्भ का शत-प्रतिशत पंजीयन करना।
- एड्स का प्रसार रोकना तथा प्रजनन अंग रोगों के प्रबंध तथा राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के बीच अधिक समन्वय स्थापित करना।
- संक्रामक रोगों को रोकना और उन पर काबू पाना। प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य सुविधाओं को घर-घर तक पहुंचाने के लिए भारतीय चिकित्सा प्रणालियों की समेकित करना।