राष्ट्रीय कृषक नीति National Policy for Farmers
भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषक आयोग की सिफारिशों को मानते हुए और राज्य सरकारों से परामर्श करने के बाद 16 अगस्त, 2007 को राष्ट्रीय कृषक नीति, 2007 को मंजूरी दे दी। राष्ट्रीय कृषक नीति में अन्य बातों के साथ-साथ फार्म क्षेत्र के विकास के लिए सम्पूर्ण पहुंच प्रदान कर दी है। इसकी कवरेज में व्यापक क्षेत्र शामिल हैं-
- उत्पादन और उत्पादकता पर ही किसानों के आर्थिक स्थिति में सुधार करने पर ध्यान केन्द्रित रहेगा।
- परिसम्पति में सुधार: यह सुनिश्चित करना है कि गांवों में कृषक परिवार उत्पादक परिसम्पति अथवा विपणन योग्य कौशल के धारक हैं अथवा इसे प्राप्त किया जाना है।
- कुशलतापूर्वक जल का उपयोग: जल की प्रति यूनिट से अधिकतम पैदावार और आय की अवधारणा को सभी फसल उत्पादक कार्यक्रमों में अपनाया जायेगा और जल के उपयोग से सम्बन्धित जागरूकता और कार्यकुशलता पर बल दिया जायेगा।
- नयी प्रौद्योगिकियां: जैव-प्रौद्योगिकी सहित संसूचना और नैनो-प्रौद्योगिकी इत्यादि भूमि और जल की प्रति यूनिट उत्पादकता बढ़ाने में सहायक हो सकती हैं।
- राष्ट्रीय कृषि जैव-सुरक्षा प्रणाली: राष्ट्रीय कृषि जैव-सुरक्षा प्रणाली को समन्वित कृषि जैव-सुरक्षा कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए स्थापित किया जायेगा।
- बीज और मृदा स्थिति: लघुकृषि उत्पादन को बढ़ाने में अच्छी गुणवत्ता के बीज, बीमारी मुक्त रोपण सामग्री व मृदा किस्म में सुधार की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रत्येक किसान को मृदा स्थिति पास बुक जारी की जाएगी, जिसमें फार्म की मिट्टी की समेकित जानकारी और अनुवर्ती परामर्श उल्लिखित होंगे।
- महिलाओं के लिए सहायता सेवाएं: जब महिलाएं पूरे दिन खेतों और जंगलों में काम करती हैं तो उन्हें उचित सहायता सेवाओं, जैसे- शिशु सदन बाल सेवा केन्द्र तथा पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है।
- ऋण व बीमा: किसानों को उचित ब्याज दरों पर वित्तीय सेवाएं समय पर, पर्याप्त मात्रा में और आसानी से उपलब्ध करायी जायेंगी।
- विस्तार सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकारों के माध्यम से आईसीटी की सहायता के साथ ग्राम स्तर पर ज्ञान चौपाल और उत्कृष्ट कृषकों के क्षेत्र में कृषक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए फार्म स्कूल स्थापित किए जाएंगे।
- कृषकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना को समुचित महत्व प्रदान करने हेतु आवश्यक उपाय किए जाएंगे।
- पूरे देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य कार्यप्रणाली प्रभावी रूप से क्रियान्वित होगी ताकि कृषि उत्पादों के लाभकारी मूल्य प्रदान किए जा सकें।
- शुष्क भूमि, कृषि क्षेत्र में मुख्यतः उगने वाले बाजरा, ज्वार, रागी, मिलेट जैसी पोषक फसलों को शामिल कर भोजन सुरक्षा का विस्तार किया जाएगा।