राष्ट्रीय तिलहन एवं वनस्पति तेल विकास बोर्ड National Oilseeds and Vegetable Oils Development Board – NOVOD
राष्ट्रीय तिलहन एवं वनस्पति तेल विकास (नोवोड) बोर्ड की स्थापना तिलहनों एवं वनस्पति तेल उद्योग के एकीकृत विकास के लिए राष्ट्रीय तिलहन एवं वनस्पति तेल विकास वोर्ड अधिनियम, 1983, (1983 की सं. 29) के तहत् एक संविधिक निकाय के रूप में 8 मार्च, 1984 को की गई थी। कृषि मंत्रालय, भारत सरकारके कृषि एवं सहकारिता विभाग, नोवोड बोर्ड का प्रशासनिक विभाग है। बोर्ड का मुख्यालय गुड़गांव, हरियाणा में है।
नोवोड बोर्ड के कार्यक्रम
बोर्ड द्वारा पूरे देश भर में वृक्षमूल वाले तिलहनों के एकीकृत विकास के उद्देश्य से इनकी विद्यमान क्षमता का पता लगाने व् इनकी संभाव्य क्षमता के सुदृधिकरण हेतु कार्यक्रमों का कार्यान्वयन किया जा रहा है। दसवीं योजना अवधि (2002-2007) में बोर्ड को मुख्य रूप से देश में वाणिज्यिक महत्व के वृक्षमूल वाले तिलहनों के प्रोत्साहन की जिम्मेदारी दी गई थी। देश भर में साल, महुआ, नीम, सिमारुबा, करंजा, जेट्रोफा, जोजोबा, च्यूरा, जंगली खुबानी, अखरोट एवं तुंग इत्यादि की अपर संभावनाएं है। अलग-अलग पारिस्थितिक जरूरतों वाले वृक्षमूल के ये तिलहन, भिन्न-भिन्न कृश्य-जलवायु पारिस्थितियों में असमान रूप सेवनीय एवं गैर-वनीय भूमि के साथ-साथ परती/मरुस्थलीय/पर्वतीय क्षेत्रों में भी उगाए जाते हैं।
उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए वृक्षमूल तिलहनों के एकीकृत विकास हेतु इनकी विद्यमान क्षमता का पता लगाने व इनकी संभाव्य क्षमता के सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से पूरे देश भर में बोर्ड द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
जैसा कि नोवोड बोर्ड अधिनियम, 1983 में वर्णित है, बोर्ड का कार्य बहुत व्यापक है जिसके अंतर्गत तिलहन एवं वनस्पति तेल उद्योग के संपूर्ण विकास जिसमें तिलहन उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन, तकनीकी और वित्तीय सहायता, संग्रह, तेल की कीमत को स्थिर रखने के लिए तिलहनों की खरीद एवं बफर स्टॉक भंडारण, आधारभूत सुविधाओं का विकास तथा उपर्युक्त सभी सुविधाओं के समेकीकरण हेतु तिलहन उत्पादकों के सहकारी संस्थाओं एवं अन्य उयुक्त संस्थाओं को प्रोत्साहित करना, संबंधित आंकड़ों को एकत्रित करना, प्रकाशन आदि शामिल हैं। इसके अलावा क्वालिटी बीजों के उत्पादन, निवेशों की आपूर्ति तथा उत्पादन की नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाने, प्रसंकरण, अनुसन्धान तथा विकास को प्रोत्साहित करने हेतु कार्यक्रमों और उपयुक्त संस्थाओं की स्थापना करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना भी बोर्ड के कार्यों का एक हिस्सा है। बोर्ड से सलाहकार की हैसियत से तिलहनों एवं वनस्पति की तेल उद्योग के विकास हेतु एकीकृत नीति एवं कार्यक्रमों के लिए उपायों की सिफारिश की आशा भी की जाती है।
10वीं योजना अवधि के दौरान बोर्ड को वृक्षमूल वाले तिलहनों के एकीकृत विकास की प्रमुख जिम्मेदारी दी गई है।
विजन
देश में महुआ, नीम, सिमारूबा, करंजा, जेट्रोफा (रतनज्योत), जोजोबा, च्यूरा, कोकुम, जंगली खुबानी, कुसुम, तुंग जैसे वृक्षमूल वाले तिलहनों की अपार संभावनाएं हैं जिन्हें परती भूमि पर विविध कृष्य-जलवायु वाली परिस्थितियों में उगाया जा सकता है। इनकी घरेलू एवं औद्योगिक उपयोगिताएं हैं, जैसे ये कृषि कार्य, सौन्दर्य प्रसाधन व औषधि उत्पादन तथा बायो-डीजल एवं कोकोआ-वाटर इत्यादि के उपस्थापक के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं। इनमें से अधिकांश वृक्षमूल इनके लगभग 20 प्रतिशत बीज का ही प्रसंस्करण किया जा रहा है तथा वे भी घटिया किस्म के होते हैं।
बोर्ड द्वारा किए जा रहे कार्यकलापों का विवरण
बोर्ड द्वारा वर्ष 2004-05 से राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद्, भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, सी.एफ.टी.आर.आई., टी.ई.आर.आई (टेरी), भारतीय प्रौद्योगिकी संसथान जैसे संगठनों के संस्थानों को शामिल करते हुए जेट्रोफा एवं करंजा संबंधी नेटवर्क और जंगली खुबानी एवं च्यूरा संबंधी नेटवर्क सहित दो राष्ट्रीय नेटवर्क गठित किए गए हैं। आगामी वर्षों में और अधिक संस्थानों को शामिल करते हुए अनुसंधान योग्य विभिन्न विषय कार्यक्रम के अंतर्गत सम्मिलित किए गए थे।
वर्तमान समय में देश के सभी राज्यों में स्थित 80 संस्थानों/केंद्रों में अनुसंधान एवं विकास से निम्नलिखित अनुसंधान योग्य संबंधित कार्यक्रम कार्यान्वित किया जा रहा है-
- वृक्षमूल वाले तिलहनों के उन्नत किस्म के पौधरोपण सामग्री की पहचान
- बीज संसाधन निर्धारण, संग्रह एवं भण्डारण
- करेक्टराइजेशन के लिए आकृतिक एवं रासायनिक मूल्यांकन
- बेहतर गुणवत्ता के साथ विश्वसनीय बीज स्रोत की उच्च उपज वाली किस्मों को विकसित करने के लिए पौधों में सुधार
- वृक्षमूल वाले तिलहनों के जीनोटाइप के मूल्यांकन हेतु उत्कृष्ट पौधरोपण सामग्री का संतति, जोनल तथा राष्ट्रीय परीक्षण
- बीज एवं कलम के माध्यम से विविध संवर्धन तकनीकों का विकास
- उपयुक्त अंत:फसलों के साथ अंतः फसलीकरण परीक्षण
- खेती के उपयुक्त तरीकों का विकास
- पश्च-कटाई उपकरण एवं प्रौद्योगिकी
- वृक्षमूल वाले महत्वपूर्ण तिलहनों के खली के अविशाक्तीकरण सहित मूल्य संवर्धन
- वृक्षमूल वाले तिलहनों के बीजों का प्रमाणीकरण एवं मानकीकरण
- जेट्रोफा करकास का बहुगुणन (टिश्यू-कल्चर)
- वृक्षमूल वाले तिलहनों का डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग एवं आणविक लक्षण वर्णन
- जागरूकता कार्यक्रम
- वाणिज्यिक उपयोग हेतु जेट्रोफा के तेल एवं बायो-डीजल के गुणवत्ता मापदंडों का मानकीकरण
- भारत में जेट्रोफा के उत्पादन, विपणन एवं ऋण उपलब्धता से जुडी समस्याओं के अध्ययन हेतु जेट्रोफा की खेती, रोजगार सृजा, जेट्रोफा के बीज, तेल, खली एवं अन्य उत्पादों के आपूर्ति-श्रृंखला नेटवर्क का आर्थिक विश्लेषण
- जेट्रोफा के किट-पतंग एवं बिमारियों का प्रबंधन
- वृक्षमूल वाले तिलहनों की खेती के तहत् राज्यवार रकबे/भूमि तथा भू-उपयोग परिवर्तन पर इसके प्रभाव का आकलन
- डाटा संग्रहण तथा पुनः प्राप्ति के लिए संबंध परक डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली का डिजाइन।
बोर्ड के कुछ ग्राहक केन्द्रित कार्यक्रम
- बैंक एण्डिड क्रेडिट लिकंड सब्सिडी कार्यक्रम: बैक एण्डिड क्रेडिट लिंकड सब्सिडी कार्यक्रम के तहत् नर्सरी तैयार करने, पौधरोपण व रख-रखाव, प्रसंस्करण-पूर्व तथा प्रसंकरण-पूर्व तथा प्रसंकरण सुविधायुक्त मॉडल बीज खरीद केंद्र स्थापित करने, बहुउद्देशीय पूर्व प्रसंकरण उपकरणों और तेल निष्कर्षण इकाइयों की संस्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए नोवोड बोर्ड द्वारा वित्तीय सहायता के तौर पर 30 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है।
- तेल विश्लेषण प्रयोगशाला: नोवोड बोर्ड द्वारा अपने परिसर में एक तेल विश्लेषण प्रयोगशाला की स्थापना की गई है। इस सुविधा का उपयोग वृक्षमूल वाले तिलहनों (टी.बी.ओ.) तथा अन्य पारंपरिक तिलहनों के तेल की मात्र एवं वनस्पति तेल/वसाओं से सम्बंधित गुणवत्ता संबंधी अन्य मानकों के मूल्यांकन हेतु किया जा सकता है।
जर्मप्लाज्म (सी.पी.टी.) की पहचान एवं जीनोटाइप के संतति, जोनल एवं राष्ट्रीय परीक्षण जैसे विभिन्न परीक्षणों के लिए तेल की मात्रा का निर्धारण काफी महत्वपूर्ण हो सकता है जिससे कि नोवोड बोर्ड के राष्ट्रीय नेटवर्क कार्यक्रम के अंतर्गत वृक्ष्मुल वाले तिलहनों के गुणवत्तायुक्त पौधरोपण सामग्री से आगामी पौधरोपण सुनिश्चित करने के लिए डाटा बैंक/बीज बैंक तैयार किया जा सके।
इसे तेल विश्लेषण प्रयोगशाला में तेल की मात्रा एवं फैट्टी एसिड घटकों के विश्लेषण के लिए इलेक्ट्रॉनिक वजन मापक (वेइंग मशीन), सॉक्सटेक-2045 (2-इकाई), आर्द्रता मापी, गैस लिक्विड क्रोमेटोग्राफी (जी.एल.सी.) डिस्टिलेशन यूनिट इत्यादि जैसे मुख्य विश्लेषण उपकरण संस्थापित किए जा चुके हैं एवं तेल की मात्र तथा फैटी एसिड घटकों के निर्धतन हेतु रसायन एवं कांच के बर्तनों जैशी अनुषंगी सामग्रियां भी उपलब्ध की जा चुकी हैं।
जेट्रोफा, करंजा, जंगली खुबानी, च्यूरा, सिमारुबा एवं महुआ के राष्ट्रीय नेटवर्क के अंतर्गत शामिल विभिन्न प्रतिभागी अनुसन्धान एवं विकास संस्थानों से नियमित तौर पर वृक्षमूल वाले इन तिलहनों के बीजों के नमूने नियमित रूप से प्राप्त किए जा रहे हैं। रोजाना तेल की मात्रा एवं विश्लेषण रिपोर्ट का मूल्यांकन किया जाता है।