राष्ट्रीय विनिर्माण नीति National Manufacturing Policy
भारत सरकार ने 4 नवंबर, 2011 को राष्ट्रीय विनिर्माण नीति घोषित की, जिसका लक्ष्य एक दशक के भीतर जीडीपी में विनिर्माण की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत करना और रोजगार के 10 करोड़ अवसर पैदा करना है। इसमें ग्रामीण युवाओं को जरूरी दक्षता प्रदान कर रोजगार योग्य बनाने की भी बात है। सतत विकास नीति का अभिन्न अंग है और विनिर्माण में बेहतर प्रौद्योगिकी पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह नीति राज्यों के साथ भागीदारी से औद्योगिक वृद्धि पर आधारित है। केंद्र सरकार इसके लिए आवश्यक ढांचा प्रदान करेगी और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) आधार पर ढांचा विकास को उचित वित्तीय सहायता देगी और राज्य सरकारों को नीति के अंतर्गत प्रावधानों के तहत माध्यम चुनने को बढ़ावा दिया जाएगा। नीति के प्रस्ताव सिर्फ हरित प्रौद्योगिकी के प्रोत्साहन को छोड़कर आमतौर पर क्षेत्र, स्थान और प्रौद्योगिकी न्यूटल हैं।
नीति में नियोजित एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप के लिए राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्रों (एनआईएमजी) की स्थापना की गई है। ऐसे नौ क्षेत्रों की घोषणा की गई है, जो दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) के साथ है, नागपुर में नौवें क्षेत्र की स्थापना को सिद्धांत रूप में स्वीकृति मिल चुकी है। क्षेत्रों के अलावा यह नीति पूरे देश में जहां उद्योग अपने को समूह के रूप में संगठित करने और नीति अनुसार आदर्श आत्मनियमन लागू करने में सक्षम हैं,उद्योगों पर लागू होगी। नीति विनिर्माण उद्योग निर्माण क्षेत्रों और समूहों पर लागू होगी। इनमें व्यापार नियमों को युक्तिसंगत/सरल बनाना, अनार्थिक इकाइयों के बाहर जाने के के लिए सरल/त्वरित व्यवस्था, हरित प्रौद्योगिकियों सहित प्रौद्योगिकी विकास, औद्योगिक प्रशिक्षण और दक्षता उन्नयन उपाय, सूक्ष्म (माइक्रो), लघु और मंझोले उद्यम (एमएसएमई) के लिए विशेष प्रोत्साहन, विशेष केन्द्रित क्षेत्र, ढांचागत क्षेत्र, ढांचागत घाटे की लिवरेजिंग और सरकारी खरीद और व्यापार नीति शामिल है।
राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (एनएमपी) की महत्वपूर्ण विशेषता जहां तक संभव हो उद्योग के आत्मनियमन के मूल सिद्धांत के आधार पर नियमन को युक्ति संगत सरल बनाना केंद्र/राज्य सरकारें विशेष प्रावधानों को निलंबित क्र देंगी लेकिन उसके लिए सम्बंधित विभागों द्वारा सालाना आडिट और तीसरी पार्टी प्रमाणीकरण की वैकल्पिक व्यवस्था हो। अन्य विशेषताओं में अन्य प्रावधानों के मामले में एक संस्था को अधिकार सॉपना, जहां तक संभव हो संयोजित आवेदन पत्र फार्म और साझा रजिस्टर और तीसरी पार्टी प्रमाणीकरण के माध्यम से निरीक्षणों का प्रणालीकरण शामिल है। एनएमपी के अंतर्गत उठाई गई/उठाई जाने वाली कुछ पहलों में रोजगार क्षति नीति पर योजना बनाना, फार्मो/रजिस्टर/ 13 केंद्रीय श्रम कानूनों का रिटर्न 3 फार्मों पर पर्यावरण समर्थक प्रौद्योगिकी सहित उचित प्रौद्योगिकियाँ हासिल करने के लिए प्रद्योगिकी अधिग्रहण और विकास कोष की स्थापना। नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई संस्थागत ढांचे बनाए गए हैं। इनमें वाणिज्य और उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में विनिर्माण उद्योग संवर्द्धन बोर्ड (एमआईपीबी), डीआईपीपी के सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति (एचएलसी), संबद्ध संयुक्त सचिव के अधीन अनुमोदन बोर्ड (बीओए)। इसके अलावा राष्ट्रीय निवेश विनिर्माण क्षेत्र (National Investment and Manufacturing Zones – NIMZ) के अंतर्गत विनिर्माण के लिए हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए हरित विनिर्माण समिति का गठन किया गया है।