राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2002 National Health Policy -2002
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के विकेन्द्रीकरण की पहुंच बढ़ाकर देश के जन-साधारण के बीच बेहतर स्वास्थ्य के स्वीकार्य मानक प्राप्त करना है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कमी वाले क्षेत्रों में नयी सुविधाएं जुटाने और वर्तमान संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं के स्तर में सुधार लाने हेतु एक योजना बनाई गई है। इस नीति के अंतर्गत सभी को समान स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने पर बल दिया जाएगा। केंद्र सरकार के योगदान द्वारा कुल सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेश में वृद्धि पर विशेष जोर दिया जाएगा। इस कदम से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन को राज्य स्तर पर प्रभावी सेवाएं प्रदान करने की क्षमता में दृढ़ता आयेगी। स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए निजी क्षेत्र से और अधिक सहयोग लिया जाएगा, विशेषकर उस आय वर्ग के लिए जो इन सेवाओं के लिए धन व्यय कर सकते हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेश की अभिवृद्धि में केंद्र सरकार की मुख्य भूमिका रहेगी। स्वास्थ्य क्षेत्र व्यय में सकल घरेलू उत्पाद का 5.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत करने की योजना बनाई गई है, जिसमें वर्ष 2010 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेश द्वारा सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत (मौजूदा 0.9 प्रतिशत) योगदान रहेगा। केंद्र व राज्य सरकार का योगदान वर्ष 2010 तक कुल बजट का मौजूदा 15 प्रतिशत और 5.5 प्रतिशत से बढ़कर क्रमशः 25 प्रतिशत और 8 प्रतिशत होने की आशा व्यक्त की गई है।
राष्ट्रीय नीति में मौजूदा प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए एकरूप,न्याय संगत प्राथमिकता देने पर विशेष बल दिया गया है। इसका प्रस्ताव प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र में कुल सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेश का 55 प्रतिशत बजट में वृद्धि के माध्यम से किया गया केंद्र द्वारा वित्तीय योगदान के माध्यम से आवश्यक दवाओं के व्यवस्थापन की नई अवधारणा भी शामिल की गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को राज्य स्तर से विकेंद्रीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र और राज्य व जिला स्तरके स्वायत निकायों द्वारा क्रियान्वयन पर बल दिया गया है। इस संबंध में राष्ट्रीय नीति में देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र व राज्य सरकार की भूमिका को परिभाषित किया गया है। नीति में सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे और प्राथमिक स्तर पर निर्दिष्ट सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों के अधिक-से-अधिक उपयोग और धीरे-धीरे उन्हें एकल कार्यक्षेत्र प्रशासन में एकाकार करने पर बल दिया गया है।
इसके साथ ही नीति में विशेष आवश्यकता वाले क्षेत्रों और अनेक मुद्दों को जोड़ा गया है। इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र में भागीदार तमाम समूहों की अपेक्षित भूमिका भी शामिल है, जिसमें-सरकार (केंद्र व राज्य दोनों), निजी क्षेत्र, स्वैचिठक संगठन और अन्य नागरिक सोसायटी के सदस्य, बीमारी की देख-रेख, स्वास्थ्य अधिकारी, उनके सिद्धांत और शिक्षा, नसिंग स्वास्थ्य, राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा की आवश्यकता, सूचना,शिक्षा और संचार की भूमिका, महिला स्वास्थ्य, स्वास्थ्य क्षेत्र पर वैश्वीकरण का प्रभाव, आदि सम्मिलित हैं।