राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) National Commission for Women
इस आयोग का गठन राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1900 के तहत् 31 जनवरी, 1992 को किया गया। आयोग का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा करने वाले संवैधानिक और सभी कानूनों के प्रावधानों का अध्ययन और निगरानी करना और जरुरी संशोधनों की सिफारिश करना है।
आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता महिलाओं को त्वरित गति से न्याय दिलाना है।
प्रथम आयोग 31 जनवरी, 1992 को श्रीमती जयंती पटनायक की अध्यक्षता में गठित किया गया।
राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष का मनोनयन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। अध्यक्ष के अतिरिक्त आयोग में पांच अन्य सदस्य होते हैं, जिनका मनोनयन केंद्र सरकार द्वारा योग्य, न्यायविदों, ट्रेड यूनियनों, औद्योगिक क्षेत्र, महिलाओं से सम्बन्धित स्वैच्छिक संगठनों, प्रशासन, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य, शैक्षिक अथवा सामाजिक कल्याण क्षेत्रों से किया जाता है। इनमें से किसी एक सदस्य का अनुसूचित जाति एवं जनजाति से सम्बन्धित होना अनिवार्य है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक योजना तैयार की है जिसका नाम है बलात्कार की शिकार महिलाओं के लिए राहत और पुनर्वास की योजना, 2005। इसमें सभी प्रकार के पुनर्वास उपायों के लिए बलात्कार की शिकार महिला को अधिकतम ₹ 2 लाख तक दिए जाते हैं। मई 2008 में आयोग ने दिल्ली पुलिस के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया था। सेव होम, सेव फैमिली नामक इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं से जुड़े मुद्दों के प्रति थाना पुलिस स्टेशन स्तर के पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाना है। इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में, महाराष्ट्र की तर्ज पर दिल्ली में महिलाओं और बच्चों के लिए तीन विशेष इकाइयों की स्थापना करना है जिसे मार्च 2009 में शुरू किया गया है। इन इकाइयों का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को निपटाना, आपराधिक शिकायतों में पुलिस सहायता का प्रावधान, पारिवारिक सेवाएं प्रदान करने वाली संस्थाओं की रेफर किया जाना और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में लोगों को सचेत करना और कानूनी परामर्श प्रदान है। इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय महिला कोष द्वारा अनुदान प्राप्त है और इसे टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) के सहयोग से चलाया जा सकता है।