नारकोटिक ड्रग्स एण्ड साइकोट्रॉपिक सब्सटान्स (संशोधन) अधिनियम, 2011 Narcotic Drugs and Psychotropic Substances (Amendment) Bill, 2011
नारकोटिक ड्रग्स एण्ड साइकोट्रॉपिक सब्सटान्स (संशोधन) विधेयक की फरवरी 2014 में लोकसभा एवं राज्य सभा द्वारा पारित कर दिया गया। इसके तहत नारकोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रॉपिक सब्सटान्स अधिनियम, 1985 में संशोधन किया गया है ताकि औषधीय उद्देश्यों के लिए प्रयोग करने पर नशीले द्रव्य का प्रापण एवं संसाधन के विनियमन को सरलीकृत किया जाए।
इस अधिनियम से देश में हजारों कैंसर पीड़ितों को आराम मिलेगा जो तीव्र एवं असहनीय दर्द से मुक्ति के लिए नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के अंतर्गतमॉरफीन का इस्तेमाल कड़े विनियमन के तहत् था, और लंबी प्रशासनिक प्रक्रियाओं ने देश में इसके उत्पादन को हतोत्साहित किया और कैंसर रोगी देखभाल चिकित्सकीय संस्थानों में इसकी उपलब्धता को सीमित किया। यह संशोंधित अधिनियम लाइसेंस की शताँ एवं रूपों का प्रावधान करता है या अपरिहार्य नशीली औषधियों के इस्तेमाल या उपभोग,निर्माण, प्राप्ति, की अनुमति प्रदान करता है और इसके लिए शुल्क अधिरोपित करता है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैलियेटिव केयर (आईएपीसी) ने जोरदार तरीके से इस संशोधित अधिनियम का समर्थन किया है।
अधिनियम में केंद्र सरकार फेक्टरी की नई परिभाषा को शामिल किया गया है और वाणिज्यिक मात्रा और कम मात्रा की परिभाषाओं की संशोधित किया गया है। अधिनियम में वाणिज्यिक मात्रा को मादक द्रव्यों या साइकोट्रॉपिक सब्सटान्सकी उल्लिखित मात्रा से अधिक मात्रा के तौर पर और कम मात्रा की उल्लिखित मात्रा से कम मात्रा के तौर पर परिभाषित किया गया है। अधिनियम अधिकथित करता है कि उल्लिखित मात्रा विशुद्ध औषधि मात्रा या अन्यथा के संदर्भ में हो सकती है। यह स्पष्ट किया जाता है कि मादक द्रव्य की जब्त की गई कुल मात्रा का वर्णन किया जाना चाहिए जब सजा निर्धारण किया जा रहा हो, न कि केवल विशुद्ध ड्रग मात्रा का।
अधिनियम अवैधानिक रूप से अर्जित संपति की परिभाषा को भी व्यापक करता है। इसमें इस कानून के तहत् अवैधानिक कृत्य से अर्जित आय से प्राप्त संपत्ति को ही शामिल नहीं किया गया है अपितु ऐसी संपत्ति की समतुल्य कीमत को भी शामिल किया गया है। इसमें ऐसी संपत्ति की भी शामिल किया गया है जिसके स्रोत की साबित न किया जा सका हो।
केंद्र सरकार पौधों से उत्पादित अफीम भूसी के बिक्री विनियमन, खरीदारी या उपभोग की अनुमति दे सकती है जिससे लेंसिंग प्रक्रिया द्वारा रस न निकाला गया हो। राज्य सरकार भी इसी प्रकार की अनुमति दे सकती है, सिवाय उनके जिन्हें पौधों से उत्पादित और लेंसिंग द्वारा रस न निकाला गया हो। यह अधिनियम स्पष्ट करता है कि कोई व्यक्ति केंद्र सरकार द्वारा विशिष्टीकृत नशीले द्रव्य का सेवन करता है तो उसे 6 माह का कठोर कारावास या 20,000 रुपए तक जुर्माना या दोनों दिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा विशिष्टीकृत न की गई दवाओं की सेवन की स्थिति में, कारावास का दण्ड 6 माह तक या 10,000 रुपए तक जुर्माना या दोनों दिया जाएगा। अधिनियम ने इसे इस उपबंध से प्रतिस्थापित किया है कि यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के तहत् प्रतिबंधित द्रव्यों का सेवन करता है तो उसे अधिकतम 6 माह का कारावास या 10,000 रुपए तक जुर्माने या दोनों सजाओं से दण्डित किया जाएगा।