मुगलों की राजपूत नीति Mughals Rajput Policy
अकबर ने अपनी राजपूत नीति में पुरस्कार और दमन का सहारा लिया। उसकी राजपूत नीति साम्राज्यवादी आवश्यकता और अकबर की सुलह-ए-कुल की नीति से प्रभावित थी। अकबर की राजपूत नीति में वैवाहिक शर्त अनिवार्य नहीं थी। कुछ ऐसे भी राज्य थे जिन्होंने अकबर के साथ वैवाहिक संबंध कायम नहीं किये, फिर भी उनकी स्थिति अच्छी थी- उदाहरण के लिए रणथंभौर, बांसवाडा, सिरोही।
राजपूत राज्यों को हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं-
- वैसे राज्य जिन्होंने बिना संघर्ष किए अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली, जैसे-अम्बेर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर
- वे राज्य जिन्होंने कुछ संघर्ष के बाद अधीनता स्वीकार की थी- मेड़ता, रणथंभौर
- वैसे राज्य जिन्होंने लम्बा संघर्ष किया- मेवाड़, बूंदी, डुगरपुर और कोटा।
जहाँगीर ने अम्बेर और बीकानेर के उत्तराधिकार में हस्तक्षेप किया था। अम्बेर में उसने गद्दी पर मानसिंह के पौत्र महासिंह के दावे को स्वीकार कर लिया था। शाहजहाँ ने अकबर की राजपूत नीति को उलट दिया और उसने राजपूतों के साथ वैवाहिक संबंधों को हतोत्साहित किया। औरंगजेब के समय जोधपुर की समस्या उत्पन्न हुयी।