मिश्रण एवं मिश्र धातु Mixture and Alloy
मिश्रण Mixture
दो या दो से अधिक यौगिकों या तत्त्वों को अनिश्चित अनुपात में मिलाने पर प्राप्त द्रव्य को मिश्रण कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है:
- समांगी मिश्रण (Homogeneous Mixture): इसमें प्रत्येक भाग के गुण धर्म एक समान होते हैं। जैसे-नमक का जलीय विलयन।
- विषमांगी मिश्रण (Heterogenous Mixture): इसमें प्रत्येक भाग के गुण धर्म एवं संघटन भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे-बारुद।
मिश्र धातु Alloy
दो या दो से अधिक तत्त्वों को एक साथ द्रवित अवस्था में मिलाकर पुन: ठोस में परिवर्तित कर लेने पर प्राप्त उत्पाद को मिश्र धातु कहते हैं। इसमें धातु के सभी गुण सन्निहित रहते हैं।
मिश्रणों को अलग करना Separation of Mixtures
- क्रिस्टलन (Crystallisation): इस विधि में अशुद्ध ठोस या मिश्रण को उचित विलायक के साथ घोलकर छान लेते हैं। छानने के पश्चात् ठोस पदार्थ अलग हो जाता है
- आसवन (Distillation): जब मिश्रण में उपस्थित द्रवों के क्वथनांकों में अधिक अंतर होता है तो इनके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक करते हैं। आसवन से कम क्वथनांक वाला तत्व पहले वाष्पित होने लगता है। इसे संघनित करके अलग कर लिया जाता है। आसवन दो प्रकार का होता है-
- प्रभाजी आसवन (Fractional Distillation): इसके द्वारा उन मिश्रित द्रवों को पृथक करते हैं, जिनके क्वथनांकों में बहुत कम अंतर होता है। भूगर्भ से निकाले गये खनिज तेल से पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल आदि इसी विधि द्वारा पृथक किये जाते हैं।
- भाप आसवन (Steam Distillation): भाप आसवन के द्वारा ऐसे कार्बनिक पदार्थों का शुद्धिकरण किया जाता है, जो जल में अघुलनशील, परन्तु भाप के साथ वाष्पशील होते हैं।
- उर्ध्वपातन (Sublimation): ठोस पदार्थों को गर्म करने पर सामान्यत: वे द्रव अवस्था में और ऊष्मा देने पर वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं, परन्तु कुछ पदार्थ गर्म करने पर ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में आये बिना सीधे गैस में परिवर्तित हो जाते हैं। ऐसे पदार्थों को उर्ध्वपात तथा इस क्रिया को उर्ध्वपातन कहते हैं। उर्ध्वपातन की क्रिया द्वारा दो ऐसे ठोस मिश्रणों को पृथक करते हैं, जिसमें एक ठोस उर्ध्वपात होता है, दूसरा नहीं। इसे गर्म करने पर उर्ध्वपात ठोस सीधे वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। इसको ठण्डा करके दोनों को पृथक कर लेते हैं।
- वर्णलेखन (Chromatography): यदि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अधिशोषण क्षमता (Absorption Capacity) भिन्न-भिन्न होती है तथा वे किसी अधिशोषक पदार्थ में विभिन्न दूरियों पर अवशोषित होते हैं तो वे अलग हो जाते हैं। जैसे-हरी सब्जियों से रंगीन द्रव्यों का अलग होना।