जहर से होने वाली मृत्यु में विसरा जांच अनिवार्य Mandatory investigation into the viscera of poisoning deaths
सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय ने जांच-एजेंसियों के लिए जहर से होने वाली मृत्यु के मामले में विसरा-जांच अनिवार्य रूप से कराने का निर्देश दिया। यह निर्देश सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति रंजना पी. देसाई और न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर की पीठ ने 21 जनवरी 2014 को दिया।
पीठ ने निर्देश दिया, कि सत्र न्यायालय यह सुनिश्चित करे कि विसरा जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरीज (एफएसएल) भेजा गया है। साथ ही विसरा रिपोर्ट रिकॉर्ड में शामिल हो। अगर रिपोर्ट नहीं मिलती है तो संबंधित अधिकारी से जवाब-तलब किया जाए।
पीठ ने निर्देश दिया, अभियोजन पक्ष सुनिश्चित करे कि विसरा वास्तव में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरीज (एफएसएल) को भेजा जाए और लैब उसकी जल्द पड़ताल कर जांच एजेंसी को रिपोर्ट भेजे। आपराधिक मामलों में वैज्ञानिक जांच बहुत जरूरी होती है। खासकर उन मामलों में जिनमें गवाहों के बयान बदलने का अंदेशा ज्यादा हो। पीठ ने कहा, कुछ मामलों में पाया गया है कि अभियोजन एजेंसियां विसरा रिपोर्ट हासिल करने के लिए ठोस कदम नहीं उठती और मुकदमा कमजोर पद जाता है।
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न्यायालय ने इस बात को गंभीरता से लिया कि जहर से हुई मौत के अनेक मामलों में अभियुक्त मुख्यतः इसलिए बरी हो गया कि पुलिस ने फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरीज (एफएसएल) से विसरा की जांध नहीं करवाई थी।