मौर्योत्तर कालीन भारत Later Mauryan Period
मौर्योत्तर कालीन भारत
- मौर्यों के पतन के बाद कई विदेशी आक्रमण हुए।
- इन आक्रमणकारियों का क्रम इस प्रकार था- यूनानी, पार्थियन, कुषाण एवं शक।
- संगम साहित्य में हिन्द यूरानी को यूनानी कहा गया है।
- इनका इतिहास सिक्कों के अधर पर लिखा गया।
- इनके सिक्को पर लेख यूनानी, बाह्मी, खरोष्ठी लिपि में मिलते हैं।
- सबसे पहला आक्रमण देमेत्रियास ने किया। इसकी राजधानी शाकल थी।
- यूक्रेटाईड्स ने तक्षशिला को अपनी राजधानी बनाया।
- इसके बाद मिनाण्डर ने स्यालकोट को राजधानी बनाया।
- मिलिन्द्पनाहो में मिनाण्डर एवं बौद्ध भिक्षु नागसेन के बीच वार्तालाप का उल्लेख मिलता है।
- सर्वप्रथम मिनाण्डर ने तिथि युक्त सिक्के चलवाये।
- यूनानी आक्रमण का प्रभाव- युद्ध शैली पर प्रभाव, कैलेण्डर बनाना, वर्ष का सप्ताह, दिनों में विभाजन, हेलिमिस्टिक कला का प्रचलन।
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मौर्योत्तर कालीन भारतीय राजवंश
शुंग राजवंश
- संस्थापक पुष्यमित्र, जो अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ का सेनापति था।
- पुष्यमित्र ने दो अश्वमेघ यज्ञ किये।
- इसको बौद्ध धर्म का उद्धारक माना जाता है।
- इसने भरहुत स्तूप का निर्माण एवं साँची स्तूप का पुनरूद्धार किया था।
- इस वंश का 9वां शासक भागभद्र था, जिसके दरबार में यूनानी राजदूत एण्टियाल कीड्स आया था।
पहलव वंश
- इस वंश का प्रथम शासक माउस था।
- गोणडोफर्नीज इस वंश का महत्वपूर्ण शासक था।
कुषाण वंश
- ये यूची कबीले के थे।
- कैडफाईसिस कुषाण वंश का प्रथम शासक था|, जिसने महाराज की उपाधि धारण की।
- मौर्यों के बाद सबसे बड़े साम्राज्य के संस्थापक कुषाण थे।
- अगला शासक विम कैडफाईसिस था, जिसने महेश्वर की उपाधि धारण की।
कनिष्क वंश
- इसने शक संवत चलाया। इसकी राजधानी पुरुषपुर थी।
- कनिष्क ने चीन के साथ युद्ध किया।
- कश्मीर में चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन किया था।
- इसने चीन, जापान, तिब्बत में बौद्ध धर्म प्रचारक भेजे।
- एशिया का एकमात्र शासक, जिसका राज्य पामीर के पठार के पार तक था।
- चरक इसका राजकीय चिकित्सक था।, जिसे शल्य चिकित्सा में महारथ प्राप्त थी।
- अश्वघोष इसका दरबारी कवि था।
- नागार्जुन कनिष्क का पुरोहित था।
- इसने विश्व प्रसिद्द रेशम मार्ग पर अधिकार किया था।
संगम वंश
- शिल्पादिकाराम का लेखक- इलाओगादीकल
- मणिमैखलई – सीतलैसत्तनार
- जीवकाचिन्तामणि – तिरुक्कदेवर
- चेर, चोल, पाण्ड्य इस काल के प्रमुख राजवंश थे।
- प्रथम संगम का आयोजन मदुरै में किया गया था।
- द्वितीय संगम का आयोजन कपाटपुरम में किया गया था।
- तृतीय संगम का आयोजन मदुरै में किया गया।
सातवाहन वंश
- इनके मूल स्थान को लेकर विवाद है।
- इनके अधिकांश महाराष्ट्र से मिलते हैं।
- अभिलेखों के अधर पर इनका मूल स्थान महाराष्ट्र को माना जाता है।
- शातकर्णी प्रथम; जिसकी पत्नी नागनिक थी ने कुछ समय तक शासन किया।
- खारवेल ने इनके राज्य पर आक्रमण किया था।
- गौतमीपुत्र शातकर्णी इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था। इसने वैदिक धर्म की पुनः स्थापना की और वर्ण व्यवस्था को पुनः स्थापित किया।
- इसके बाद वरिष्ठ पुत्र पुलमावी शासक हुआ। इसके सिक्कों पर दो पतवारों के साथ जहाज का अंकन मिलता है।
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