कण्व वंश: 75 ई.पू. – 30 ई.पू. Kanva Dynasty: 75 BC – 30 BC
मगध के इस नव स्थापित राजवंश का प्रवर्तक वसुदेव था। कण्व शासक भी शुंगों की भाँति ब्राह्मण ही थे। हर्षचरित से जानकारी मिलती है कि स्त्री व्यसन के कारण देवभूति को अमात्य वसुदेव ने रानी वेश धारिणी दासी पुत्री द्वारा मरवा दिया। ऐसा ही कथन विष्णु पुराण में मिलता है। कहा जा सकता है कि वसुदेव ने स्त्री व्यसनी देवभूति की षड्यन्त्र द्वारा हत्या करवाकर-मगध की गद्दी पर अधिकार किया। कण्वों के राज्य शासन का बहुत थोड़ा वृतान्त मिलता है। संभवत: उनका राज्य मगध एवं उसके आसपास तक ही सीमित था। परन्तु मगध के शासक होने से इस वंश के शासकों को सम्राट् की उपाधि प्रदान की गई। पुराणों में चार कण्व राजाओं का उल्लेख आया है जिन्होंने यथाक्रम मगध पर शासन किया- वासुदेव (9 वर्ष), भूमिमित्र (14 वर्ष), नारायण (12 वर्ष), तथा सुशर्मण (10 वर्ष)।
इस तरह कुल 45 वर्ष के शासन-काल में कण्वों ने किसी क्षेत्र में कोई विशेष कीर्ति अर्जित नहीं की। माना जाता है कि 30 ई.पू. में आन्ध्र भृत्यों (सातवाहन) ने इन्हें उखाड़ फेंका।