प्रवासन हेतु अंतरराष्ट्रीय संगठन International Organization for Migration – IOM
यह संगठन अंतरसरकारी संस्था है, जो मानवीय व्यवस्थित प्रवासन को सुनिश्चित करती है तथा प्रवासियों को पुनर्वास अवसरों की खोज में सहायता देती है।
मुख्यालयः जेनेवा (स्विट्जरलैंड)
सदस्यः (जनवरी 2014 के अनुसार) अफगानिस्तान, अल्बानिया, अल्जीरिया, अंगोला, एंटीगुआ-बरबुदा, अर्जेंटीना, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, अजरबैजान, बहामास, बांग्लादेश, बेलारूस, बेल्जियम, बेलीज, बेनिन, बोलीविया, बोस्निया-हर्जेगोविना, बोत्सवाना, ब्राजील, बुलगारिया, बुर्किना-फासो, बुरुंडी, कंबोडिया, कैमरुन, कनाडा, केप वर्ड, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड, चिली, कोलंबिया, कोमोरोस, कांगो, कोस्टारिका, कोट-डीआइवरी, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक गणराज्य, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, डेनमार्क, जिबूती, डोमिनिकन रिपब्लिक, इक्वेडोर, मिस्र, अल सल्वाडोर, एस्टोनिया, इथियोपिया, फिजी, फ़िनलैंड, फ़्रांस, गैबन, गाम्बिया, जार्जिया, जर्मनी, घाना, ग्रीस, ग्वाटेमाला, गुनिया, गिनी बिसाउ, गुयाना, हैती, होली सी, होंडुरास, हंगरी, आइसलैंड, भारत, ईरान, आयरलैंड, इसराइल, इटली, जमैका, जापान, जॉर्डन, कजाखस्तान, केन्या, किर्गिस्तान, लाटविया, लेसोथो, लाइबेरिया, लीबिया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मेडागास्कर, मलावी, मालदीव, माली, माल्टा, मार्शल द्वीप, मॉरिटानिया, मॉरीशस, मैक्सिको, माइक्रोनेशिया, मंगोलिया, मोंटेनीग्रो, मोरक्को, मोजाम्बिक, म्यांमार नामीबिया, नौरु, नीदरलैंड, नेपाल, न्यूजीलैंड, निकारागुआ, नाइजर, नाइजीरिया, नार्वे, पाकिस्तान, पनामा, पनामा, पापुआ न्यू गिनी, पराग्वे, पेरू, फिलीपीन्स, पोलैंड, पुर्तगाल, कोरिया गणतंत्र, मॉल्दोवा गणतंत्र, रोमानिया, रवांडा, सेंट विसेंट एंड दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, श्रीलंका, सूडान, सूरीनाम, स्वाजीलैंड, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, तजाकिस्तान, थाइलैंड, तिमोर लिस्टे, टोगो, त्रिनिदाद एण्ड टोबागो, ट्यूनीशिया, तुर्की, तुर्किमेनिस्तान, युगांडा, युक्रेन, यूनाइटेड किंगडम एवं नार्दन आयरलैंड, तंजानिया, अमेरिका, वानुआतु, वनाताऊ, वेनुजुएला, वियतनाम, यमन, जाम्बिया, जिम्बाब्वे।
पर्यवेक्षक राष्ट्रः बहरीन, भूटान, चीन, क्यूबा, इंडोनेशिया, कतर, रूसी परिसंघ, सैन मैरिनो, साओ टॉम एंड प्रिंसेप, सऊदी अरब, युगोस्लाविया, मेसिडोनिया।
आधिकारिक भाषाएं: अंग्रेजी, फ्रांसीसी एवं स्पेनिश ।
उत्पति एवं विकास
बुसेल्स में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रवासन सम्मेलन (1951) द्वारा गठित एक अस्थायी अंतरसरकारी समिति को यूरोप से होने वाले प्रवसन के संचरण की देखरेख का काम सौंपा गया। 1952 में इस समिति ने यूरोपीय प्रवासन हेतु एक अंतरसरकारी समिति (आईसीईएम) के रूप में अपना कार्य शुरू किया तथा इसकी गतिविधियां यूरोप से उत्तरी अमेरिका, लैटिन अमेरिका एवं ओसीनिया की ओर होने वाली जनंसख्या विस्थापन तक सीमित थीं। आईसीईएस का संविधान 1954 में लागू हुआ। नवंबर 1980 में यूरोपीय शब्द को हटा दिया गया और इसे अंतरराष्ट्रीय प्रवासन समिति (आईसीएम) कहा जाने लगा। 1987 में आईसीएम के संविधान में पुनः संशोधन किये गये, जो 1989 से लागू हुए। इन संशोधनों के फलस्वरूप वर्तमान संगठन आईओएम औपचारिक रूप से अस्तित्व में आ गया।
उद्देश्य
आईओएम का उद्देश्य प्रवासियों (जिनमें शरणार्थी, विस्थापित तथा गृह प्रदेश से बलात् निष्कासित व्यक्ति शामिल हैं) के संगठित विस्थापन में सहायता देना, अप्रवासी एवं उत्प्रवासी दोनों देशों की जरूरतों को पूरा करना तथा प्रवासियों को पुनर्वास सुविधाएँ उपलब्ध कराना है।
संरचना
इसमें एक परिषद कार्यकारी समिति तथा सचिवालय शामिल है। परिषद में सभी सदस्य देशों व पर्यवेक्षकों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं। इसकी वार्षिक बैठक होती है। यह नीति कार्यक्रम एवं वित सम्बंधी मामलों का निर्णय करती है। नौ सदस्यीय कार्यकारी समिति की बैठक वर्ष में दो बार होती है तथा इसका चुनाव वार्षिक होता है। समिति द्वारा परिषद् के लिए कार्ययोजना तैयार की जाती है तथा बजट, वित्त व यातायात के समन्वय पर दी गयी उप-समितियों की रिपोर्ट के आधार अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की जाती हैं। सचिवालय एक महानिदेशक के अधीन कार्य करता है।
गतिविधियां
1952 से लेकर अब तक आईओएम द्वारा एक करोड़ प्रवासियों व शरणार्थियों तक अपनी सहायता पहुंचायी गयी है। आईओएम की गतिविधियां विश्वभर में फैले 82 फील्ड मिशनों तथा उप-कार्यालयों द्वारा सम्पन्न की जाती हैं। यातायात सुविधाओं आपात कार्यक्रमों तथा पुनर्वास सेवाओं (भाषा व व्यावसायिक प्रशिक्षण, नौकरी परामर्श, पाठयक्रम संचालन इत्यादि) के माध्यम से प्रवासियों की सहायता की जाती है।
1965 में शुरू किया गया चयनित प्रवासन कार्यक्रम उच्च शिक्षित व्यक्तियों के प्रवासन के माध्यम से यूरोप से लैटिन अमेरिका की ओर तकनीक के स्थानांतरण को सुगम बनाता है। इस , प्रकार के अन्य कार्यक्रमों में एकीकृत विशेषज्ञ कार्यक्रम (एशिया व लैटिन अमेरिका), शिक्षित मानव संसाधन के क्षेत्र में क्षैतिज सहयोग कार्यक्रम (लैटिन अमेरिका) तथा प्रतिभा वापसी कार्यक्रम (लैटिन अमेरिका व अफ्रीका) शामिल हैं। आईओएम विकासशील देशों को प्रतिभा पलायन की समस्या से निपटने में भी सहायता देता है। 1998 में शुरू किये गये आपात मानवीय वापसी कार्यक्रम (ईएचआरपी) के अंतर्गत केन्द्रीय व पूर्वी यूरोप में कुशल कार्मिकों को उनके मूल गृह स्थानों (एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमेरिका) पर लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
1990 के दशक में आईओएम की गतिविधियां सोवियत संघ के विघटन व यूगोस्लाविया के विखंडन के बाद होने वाले प्रवासन प्रवाह पर केन्द्रित रहीं। गृह युद्धों से पीड़ित अफ्रीकी देशों में भी प्रवासन कार्यक्रमों को भी सहायता दी गयी है।
इसके अलावा यह संगठन राष्ट्रीय प्रवासन नीतियों के निर्माण तथा प्रवासन सम्बंधी मुद्दों पर अध्ययन के संचालन में भी सहायता करता है। यह एक बहुपक्षीय मंच के रूप में कार्य करता है, जहां प्रवासन सम्बंधी मूल मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सकता है।