भारत की जलवायु एवं मानसून Indian Climate And Monsoon

जलवायु

  • मौसम वायुमंडल की क्षणिक अवस्था है, जबकि जलवायु का तात्पर्य अपेक्षाकृत लम्बे समय कीमौसमी दशाओं के औसत से होता है। मौसम जल्दी-जल्दी बदलता है।
  • जैसे कि एक दिन मेँ या एक सप्ताह मेँ, परंतु जलवायु मेँ बदलाव 50 अथवा उससे भी अधिक वर्षोँ मेँ आता है।
  • भारत उष्ण मानसूनी जलवायु का आदर्श देश है। इसके ऐसे विकास के प्रधान के कारण हिमालय की विशिष्ट स्थिति, अक्षांशीय विस्तार, महाद्वीपीय एवं प्रायद्वीप भारत का दूर हिंद महासागर मेँ विस्तार है।
  • देश के विभिन्न भौतिक विभागोँ मेँ तापमान मेँ बड़ा अंतर पाया जाता है। तापमान के सामान्य वितरण की दृष्टि से सूर्य की सापेक्ष स्थिति का विशेष महत्व है।
  • मानसून के पूर्व में केरल एवं पश्चिम तटीय मैदानों मेँ होने वाली वर्षा को आम्र-वर्षा कहते हैं।
  • ग्रीष्म ऋतू मेँ असम एवं पश्चिम बंगाल मेँ शाम में गरज के साथ होने वाली वर्षा काल-बैशाखी एवं नोर्वेस्टर (Nor’wester) के नाम से जानी जाती है।
  • कर्नाटक एवं केरल के तटवर्ती क्षेत्र मेँ होनेवाली मानसून पूर्व वर्षा को चेरी ब्लॉसम कहा जाता है। इससे कहवा उत्पादन वाले क्षेत्रोँ को बहुत लाभ होता है।
  • ग्रीष्म ऋतू में उत्तर-पश्चिमी भारत के शुष्क भाग मेँ चलने वाली गर्म हवा को लू कहा जाता है।
  • दक्षिणी पश्चिमी मानसून पवनें जब स्थलीय भागोँ मेँ प्रवेश करती हैं, तब प्रचंड गर्जन एवं तड़ित झंझा के साथ तीव्र वर्षा करती हैं। इस प्रकार की वर्षा को मानसून का फटना कहा जाता है।
  • वर्षा की तीव्रता में कमी एवं मानसून पवनों के लौटने को मानसून पवन का प्रत्यावर्तन कहते हैं।
  • जेट वायुधाराएं धरातल से 9 से 13 किलोमीटर की ऊंचाई पर चलती हैं, इन वायुधाराओं की गति बहुत अधिक होती है। 12 से 13 किलोमीटर की ऊंचाई पर इन पवनों की गति 180 किलोमीटर तक हो जाती है।
  • भारत के पश्चिमी तट के कोंकण, मालाबार, और दक्षिणी किनारा तथा उत्तर मेँ हिमालय के दक्षिणवर्ती तलहटी मेँ, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा अधिक वर्षा वाले भाग कहलाते हैं तथा वर्षा की मात्रा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है।

मानसून

  • मानसून का अच्छा प्रदर्शन अल नीनो की घटना पर निर्भर करता है। यह पाया जाता है कि जिस वर्ष अलनीनो का आगमन होता है उस वर्ष मानसून का प्रदर्शन कमजोर होता है। इसके अतिरिक्त जेटधारा भी भारतीय मानसून को अत्यधिक प्रभावित करती है।
  • भारत की जलवायु पर उष्णता तथा मानसून का सबसे अधिक प्रभाव है, इसलिए यहां की जलवायु को उष्ण मानसूनी जलवायु कहा गया है।
  • भारत के मानसून का स्वभाव अत्यंत ही अनिश्चित होता है, इसी अनिश्चितता के कारण इसे भारतीय किसान के साथ जुआ कहा गया है।
  • भारतीय उपमहाद्वीप पर उपोष्ण जेट तथा पूर्वी जेट हवा का प्रभाव पड़ता है और ये हवाएं भारत मेँ मानसून को नियंत्रित करती हैं।
  • उत्तरी-पूर्वी राज्यों मेँ वर्षा पर्वतीय प्रकार की होती है। यहां की गारो, खासी, जयंतिया, मिकिर, रेंगमा, बराइल आदि पहाडियोँ से टकराकर ये हवायें ऊपर उठती हैं और ठंडी होकर वर्षा करती हैं।
  • चेरापूंजी मेँ अधिक वर्षा का कारण मानसूनी हवा का शंकु के आकार मेँ गारो, खासी, जयंतिया की घाटी के बीच से ऊपर उठना एवं ठंडी होकर अत्यधिक वर्षा करना है।
  • सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान मासिनराम है, जो चेरापूँजी से 50 किलोमीटर पश्चिम की ओर स्थित है।
  • असम के मैदानी भागोँ मे वर्षा चक्रवातीय प्रकार की होती है।
  • मरुस्थल में ताप का व्युत्क्रमण पाया जाता है।
  • बंगाल की खाड़ी मेँ गर्त नहीँ बनते हैं।
  • भारत मेँ शीत ऋतू मेँ वर्षा के 3 क्षेत्र हैं-
  1. कोरोमंडल तट (चक्रवातीय)
  2. उत्तर-पूर्वी राज्य (पर्वतीय)
  3. पश्चिमोत्तर राज्य (चक्रवातीय)
  • सूखाग्रस्त क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP) एक समेकित क्षेत्र विकास कार्यक्रम के रुप मेँ 1973 मेँ आरंभ किया गया।
  • उत्तर भारत मेँ दामोदर, कोसी और ब्रहमपुत्र नदियां अपनी विनाशकारी बाढ़ों के लिए जानी जाती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *