भारत-दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत India, South-East Asia and the Pacific
भारत ने अपनी पूर्व की ओर देखो नीति के तहत दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत देशों के साथ मधुर एवं घनिष्ठ संबंध बनाने का भरसक प्रयत्न किया है।
भारत और आसियान देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में वृद्धि हुई है, जो 2007-08 में बढ़कर लगभग 40 अरब डालर तक पहुंच गया है। भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इस समझौते के कार्यान्वयन के पश्चात् 55 अरब डालर का व्यापार लक्ष्य रखा गया है। आस्ट्रेलिया के साथ भारत का व्यापार 10 अरब डालर से अधिक का है।
क्षेत्र के देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु भारत ने कम्बोडिया, लाओस, विएतनाम और फिलीपीन्स को अनुदानों, आसान ऋणों और क्रेडिट लाइनों के रूप में सहायता देना जारी रखा। प्रशांत आइलैंड फोरम देशों के वार्ता भागीदार के रूप में, भारत क्षमता निर्माण और सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति तथा स्थायी विकास में क्षेत्रीय सहायता प्रदान करते हुए प्रशांत द्वीप देशों के साथ जुड़ा रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारत के बढ़ते प्रभाव ने दक्षिण-पूर्वी-एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के मंचों-आसियान, पूर्वी एशिया संघ, बिम्सटेक आदि को भारत से घनिष्ठ सहयोग करने के लिए लालायित किया है।
समीक्षा: वर्ष 2008-09 के दौरान अन्य प्रमुख चुनौती- ख़राब होती अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति की थी। अंतरराष्ट्रीय वितीय संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया क्योंकि प्रमुख पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं और बाजारों में मंदी छा जाने से अंतरराष्ट्रीय माहौल तेजी से बदल गया। इस सब के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्ष 2008-09 के दौरान 6.7 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर दर्ज की गई। आर्थिक संकट से जूझने एवं निबटने हेतु भारत ने जी-20 देशों के अंतरराष्ट्रीय प्रयास में भरपूर सहयोग किया, जिससे विकासशील देशों के हितों की रक्षा की जा सके।
वर्ष 2009-2014 के लिए यूपीए सरकार की विदेश नीति से साफ तौर पर स्पष्ट हो गया कि भारत के भविष्य पर दुष्प्रभाव डालने वाले प्रमुख परमाणु निरस्त्रीकरण, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और स्थायी विकास के हल के लिए सहयोगपूर्ण वैश्विक समाधान अनिवार्य है। इन प्रयासों के सफल कार्यान्वयन में भारत की सक्रिय भूमिका निरंतर बनी रहेगी।