हेग अभिसमय Hague Convention
हेग अभिसमय शब्द से तात्पर्य उन सभी अंतरराष्ट्रीय संधियों से है, जिनका आयोजन नीदरलैंड के हेग शहर में वर्ष 1899 से 1907 के मध्य हुआ।
1899 के सम्मेलन में इन विषयों पर विचार किया गया- सशस्त्र सेनाओं के विस्तार को सीमित करना; नये हथियारों के फैलाव में कमी लाना; समुद्री युद्धों में घायल सैनिकों की स्थिति में सुधार लाने के लिये 1864 के जेनेवा अभिसमय को लागू करना, और; स्थल युद्धों (land warfare) के रीति-रिवाजों और कानूनों से संबंधित 1874 के अनुमोदित ब्रुसेल्स घोषणा में सुधार लाना। सम्मेलन में शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान अभिसमय को अपनाया गया। इस अभिसमय में स्थायी विवाचन न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) की स्थापना का प्रावधान था। इस अभिसयम के अतिरिक्त सम्मेलन में थल और समुद्री युद्ध की दशाओं से संबंधित अन्य अभिसमयों को अपनाया गया। 1899 के सम्मेलन में तीन घोषणाओं की भी अपनाया गया-(i) श्वासरोधी गैसों के प्रयोग पर रोक से संबंधित; (ii) प्रसरणशील (expanding) गोलियों के प्रयोग पर रोक से संबंधित, और; (iii) गुब्बारों (balloons) के माध्यम से विस्फोटक या प्रक्षेपक छोड़ने पर रोक से संबंधित। लेकिन सम्मेलन में अस्त्रों को सीमित करने के प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन सकी।
1907 के सम्मेलन में इन विषयों से संबंधित अनेक अभिसमयों को अपनाया गया- अनुबंध ऋणों (contractdebt) की वसूली के लिये बल प्रयोग, थल और समुद्री युद्धों में निष्पक्ष शक्तियों और व्यक्तियों के अधिकार और कार्य, स्वचालित पनडुब्बियों और संपर्क बारूदी सुरंगें (contact mines) बिछाना; शत्रुओं के व्यापारी जहाज की स्थिति; नौसेना द्वारा युद्धकाल में बमबारी; लड़ाकुओं (combatants) और गैर-लड़ाकुओं (non-combatants), अर्थात सशस्त्र सेनाओं और नागरिकों में अंतर, तथा; अतर्राष्ट्रीय समुद्री लूट न्यायालय (International Prize Court) की स्थापना। गुब्बारों से प्रक्षेपक छोड़ने की प्रतिबंधित करने वाली 1989 की घोषणा का नवीकरण किया गया। सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों ने अनिवार्य विवाचन के सिद्धांत की स्वीकार किया तथा अनेक प्रस्तावों को प्रस्तुत किया। इनमें से एक प्रस्ताव में इस अवधारणा को बल प्रदान किया गया था कि, अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को हल करने का सर्वोत्तम माध्यम सम्मेलनों की श्रृंखला को जारी रखना था।