जातिसंहार अभिसमय Genocide Convention
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में जातिसंहार अभिसमय (Genocide Convention) पारित किया। यह अभिसमय 1951 में प्रभाव में आया। इसमें जातिसंहार की परिभाषित किया गया तथा इससे निपटने के उपायों को अनुबद्ध किया गया। अभिसमय के अनुच्छेद 2 में जातिसंहार को किसी राष्ट्रीय, नृजातीय, जातीय या धार्मिक समूह को संपूर्ण या आंशिक रूप से नष्ट करने वाले कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है। ऐसे समूह के सदस्यों को- (i) मारना, गंभीर रूप से घायल करना या मानसिक आघात पहुंचाना; (ii) ऐसी जीवन दशा में रखना, जिससे उसका शारीरिक अस्तित्व खतरे में पड़ जाए; (iii) बच्चे उत्पन्न करने से जबरन रोकने का प्रयास करना, तथा; (iv) एक समूह के बच्चे दूसरे समूह में स्थानांतरित करना जातिसंहार की श्रेणी में आते हैं। इस अभिसमय में जातिसंहार, जातिसंहार के षड्यंत्र, प्रयास और जातिसंहार में सह-अपराधिता को दंडनीय घोषित किया गया है। अपराधी व्यक्ति, चाहे उसने अपराध व्यक्तिगत रूप में किया है या नेता, अधिकारी या सरकारी अभिकर्ता के रूप में, को दंडित किया जायेगा।
अभिसमय का आधार काफी विस्तृत है, लेकिन इसका प्रवर्तन या क्रियान्वयन आसान नहीं है। कुछ परिस्थितियों में, जब ऐसे कार्य सरकारी नीति के रूप में या कम-से-कम सरकार की मौन सहमति से किये जाते हैं, अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करना कठिन हो जाता है।