वित्तीय स्थिरता विकास परिषद् Financial Stability And Development Council – FSDC

वर्ष 1998 में रघुराम राजन समिति की अनुशंसाओं पर भारत सरकार ने वित्तीय स्थिरता, वित्तीय क्षेत्र विकास एवं अंतर-नियामक समन्वय के लिए तंत्र के सशक्तिकरण और संस्थात्मक संगठन के लिए वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद् का गठन किया। वैश्विक आर्थिक मंदी ने समस्त विश्व की संस्थाओं एवं सरकारों पर आर्थिक संपत्तियों के नियमन हेतु दबाव डाला। इस परिषद् को भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को बेहतर तरीके से रोकने एवं निपटने के भारत के एक कदम के तौर पर देखा जाता है।

परिषद् का संगठन

  • अध्यक्ष- भारत का वित्त मंत्री
  • सदस्य भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर
  • वित्त सचिव और/या सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए)
  • सचिव, वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस)
  • मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय
  • अध्यक्ष, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)
  • अध्यक्ष, बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (आईआरडीए)
  • अध्यक्ष, पेंशन निधि विनियामक विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)
  • आर्थिक मामले विभाग का संयुक्त सचिव (पूँजी बाजार) परिषद् का सचिव होगा।
  • अध्यक्ष किसी भी ऐसी व्यक्ति को परिषद् की बैठकों में आमंत्रित कर सकता है, जिसकी उपस्थिति वह बेहद आवश्यक समझता हो।
  • परिषद् की एक उप-समिति है जिसका प्रमुख भारतीय रिजर्व पर समन्वय समिति का स्थान लेगी। यह क्षेत्रीय विनियामकों की स्वायत्तता का परिरक्षण करेगी। वित्तीय स्थिरता विकास परिषद् को मौजूदा कार्यों सहित कृत्य सौंपे गए हैं। परिषद् पर वित्तीय स्थिरता; वित्तीय क्षेत्र के विकास; अंर्तनियामकीय समन्वय; वित्तीय साक्षरता; वित्तीय समावेश; बृहद बौद्धिक पर्यवेक्षण इत्यादि की जिम्मेदारी है।

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