औषधि उद्योग Drugs and Pharmaceutical Industry
यह भारत के सर्वाधिक प्राचीन उद्योगों में से एक है। भारतीय दवा निर्माण उद्योग भारत के विज्ञान आधारित उद्योगों में व्यापक क्षमताओं के साथ सर्वोच्च स्थान रखता है। अधिकतर दवा निर्माण इकाइयां कोलकाता मुंबई, अहमदाबाद, वडोदरा, दिल्ली, पुणे, ऋषिकेश, हैदराबाद, कानपुर, इंदौर एवं जयपुर में है। भारत का औषधि उद्योग तृतीय विश्व के सभी देशों के बीच प्रविधि, गुणवत्ता और बनाई जाने वाली औषधियों की वृहद श्रृंखला के परिप्रेक्ष्य में बेहद उच्च स्थान रखता है। भारतीय दवा उद्योग द्वारा सामान्य सिरदर्द की गोलियों से लेकर बेहद परिष्कृत एंटीबायोटिक्स और जटिल हृदय यौगिक तक लगभग हर प्रकार की औषधि तैयार की जाती है।
भारत का औषधि उद्योग बेहद संगठित क्षेत्रों में से एक है। इस उद्योग ने वैश्विक औषधि जगत के विकास को प्रोत्साहित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। निम्न निर्माण लागत सुविधाओं की मौजूदगी, शिक्षित एवं प्रशिक्षित मानव शक्ति तथा अन्यों के मुकाबले सस्ता श्रमबल के कारण, इस उद्योग ने उत्पादन, विकास, निर्माण एवं अनुसंधान में एक नई ऊंचाई को छुआ है।
सार्वजनिक क्षेत्र में उत्पादन: सार्वजनिक क्षेत्र में अपरिहार्य औषधियों का एक आवश्यक मात्रा में उत्पादन किया जाता है। दवा निर्माण की सरकारी क्षेत्र की महत्वपूर्ण इकाइयां निम्न प्रकार हैं-
- इण्डियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल लिमिटेड (आईडीपीएल), की स्थापना नई दिल्ली में 1961 को विभिन्न दवाइयों के निर्माण हेतु की गयी। आईडीपीएल के एंटीबायोटिक संयंत्र ऋषिकेश में, हैदराबाद में सिंथेटिक ड्रग्स संयंत्र हैं। चेन्नई और मुजफ्फरपुर (बिहार) में इसकी उप-इकाइयां हैं। ऋषिकेश के एंटीबायोटिक प्लांट विश्व के सर्वाधिक बड़े एंटीबायोटिक प्लांटों में से एक हैं। य्हंडे स्वच्छ जल की प्रचुर आपूर्ति, निम्न ढुलकन और जीवाणु मुक्त होना इसे बेहतर एंटीबायोटिक्स निर्माण का स्थान बनाता है।
- हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड, पिम्परी (पुणे) को यूनिसेफ और यूएनटीए की मदद से 1954 में स्थापित किया गया। यह पेनिसिलिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन और विटामिन C का उत्पादन करती है। यह भारत में प्रथम कपनी थी जिसने बाजार में रिकॉम्बिनेंट डीएनए उत्पाद rHU-इरिथ्रोप्रोटीन (हिमेक्स) को 1993 में उतारा। कंपनी ने कृषि-पशुचिकित्सा क्षेत्र में भी विविधीकरण किया।
- हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड, 1960 में स्थापित की गई। इसने दवाइयों और प्लास्टिक उद्योग की जरूरत के लिए विभिन्न आर्गेनिक रसायनों और मध्यवर्तियों का उत्पादन किया। इसके अन्य प्लांट (संयंत्र) रसायनी (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), और हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) में हैं।
निजी क्षेत्र में उत्पादन: निजी क्षेत्र में कई अग्रणी दवा कपनियां हैं। ये लगभग सभी प्रकार की जरूरी दवाइयां बनाते हैं। हालांकि दवा निर्माण की लघु पैमाने की कंपनियां पूरे देश में फैली हुई है, लेकिन इस उद्योग का भारी केन्द्रीकरण मुंबई, बड़ौदा, चेन्नई, कोलकाता दिल्ली, कानपूर और हैदराबाद में देखा जाता है।
रेनबैक्सी लेबोरेट्रीज लिमिटेड भारत में सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी है। वैश्विक जेनरिक दवा निर्माता कंपनियों में रेनबैक्सी का ऊचा दर्जा है। यह कई देशों में कारोबार करती है तथा 125 से अधिक देशों से ग्राहकों की सेवा करती है।
डा. रेड्डी लेबोरेट्री भारत एवं विदेशों दोनों जगह दवा निर्माण एवं विपणन करती है। वर्ष 2009-10 के अनुसार, कंपनी के पास दवा निर्माण, गंभीर उपचार उत्पादों, डायग्नोस्टिक किट तथा जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिए 60 क्रियाशील फार्मास्युटिकल उपादान हैं।
सिपला एक भारतीय दवा निर्माता कपनी है जो कम कीमत वाली एड्स औषधि के निर्माण के लिए जानी जाती है। कपनी के उत्पादों में, एनथिलमिन्टिस, ऑन्कोलोजी, एंटी बैक्टीरियल, कार्डियोवैस्कुलर औषधि, एंटीबायोटिक्स, न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट, एंटी अल्सरेंट्स, एंटी अस्थमेटिक इत्यादि आते हैं। इसके अतिरिक्त सिपला गुणवत्ता नियंत्रण, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट एप्रेजल, प्लांट सप्लाई, परामर्श इत्यादि सेवाएं भी प्रदान करती हैं।
निकोलस पीरामल भारत की दूसरी बड़ी फार्मास्युटिकल हेल्थकेयर कंपनी है। कंपनी द्वारा बनाए जाने वाले ब्रांडों में- गार्डनेल, इस्मो, स्टेमटिल, रीजोइंट, सुप्राडिन, फेनसिडिल और हेमासेल प्रमुख हैं। निकोलस पीरामल ने संयुक्त उपक्रम भी स्थापित किए हैं तथा कई अंतरराष्ट्रीय निगमों के साथ गठबंधन किया है।
ग्लेक्सोस्मिथकलाइन (जीएसके) यूनाइटेड किंग्डम की दवा कपनी है। यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दवा कपनी है। कपनी के दवा उत्पादों के पोर्टफोलियो में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, श्वसन, ऑन्कोलोजी, टीका, एंटीइंफेक्शन तथा ग्रेस्ट्रो-इंटेस्टानल/मेटाबोलिक उत्पाद आते हैं।
जाइड्स कैडिला को कैडिला हेल्थकेयर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक भारतीय दवा निर्माता कपनी है जो गुजरात में स्थित है।
भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग ने अवसंरचना विकास, प्रविधि आधार और उत्पाद के इस्तेमाल के संदर्भ में संतोषजनक प्रगति दिखाई है।