मानव शरीर- पाचन तंत्र Human Body-Digestive system

जिस प्रकार मशीनों को चलाने के लिए ईंधन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार शरीर रूपी मशीन की समस्त क्रियाओं के संचालन के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन शरीर में पहुंच कर पाचन क्रिया के बाद जीवद्रव्य के निर्माण में भाग लेता है और ऑक्सीकृत होकर ऊर्जा का उत्पादन करता है। यही ऊर्जा शरीर में होने वाली जैविक क्रियाओं में प्रयोग होती रहती है। भोजन आम तौर पर ठोस अवस्था में होता है। शरीर में इस ठोस या अविलेय भोजन को पाचक रसों (enzymes) की सहायता से रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा घुलनशील और अवशोषण योग्य बनाने की व्यवस्था होती है। इस कार्य में भौतिक और रासायनिक, दोनों ही क्रियाएं होती हैं। वह स्थान, जहां पर पाचन कार्य होता है, उसे भोजन नली (Alimentary canal or Digestive tract) कहते हैं तथा वह अंग, जहां से रासायनिक द्रव निकलकर आते हैं और पाचन क्रिया में सहायता देते हैं, उसे पाचन ग्रंथि (Digestive gland) कहते हैं। इस प्रकार भोजन नली और पाचन ग्रंथियां मिलकर पाचन-तंत्र (Digestive System) का निर्माण करती हैं।

स्वाद

जीवन का आनंद भोजन की विविधता और स्वाद में है। हमारी जीभ पर कुछ नन्हे-नन्हे उभार होते हैं, जिन्हें स्वाद-कलिकाएं (Taste buds) कहते हैं। विभिन्न स्वाद-कलिकाओं में विशिष्ट तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं, जो स्वाद की सूचना मस्तिष्क को पहुंचाती हैं। मीठे (Sweet), नमकीन (Salt), खट्टे (Sour) और कड़वे (Bitter) स्वाद के लिए जीभ के विभिन्न भागों में अलग-अलग स्वाद-कलिकाएं होती हैं।

भोजन कैसे पचता है?

भोजन की पाचन-क्रिया मुंह से ही आरंभ हो जाती है। भोजन को चबाते समय मुंह में स्थित लार ग्रंथियां भोजन पर क्रिया करती हैं और कार्बोहाइड्रेट को शर्करा में बदल देती है। इसके बाद यह ग्रसनी (Pharynx) में जाता हैं, जहां एक सेकंड से भी कम समय रुक कर ग्रसिका (Oesophagus) में पहुंचता है। आमाशय मश्क के आकार का मांसपेशियों का बना एक थैला होता है। यहां इसमें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जैसे पाचक रस मिल जाते हैं, जो भोजन को अर्द्ध तरल में बदल देते हैं। तीन-चार घंटे भोजन आमाशय में रहता है, जहां अनेक क्रियाओं के बाद यह ग्रहणी (Duodenum) में पहुंचता है। यह छोटी आंत का 25-30 सेमी. का पहला भाग होता है। यहां भोजन के मिश्रण में एंजाइम और अग्नाशय (Pancreas), पित्ताशय (Gallbladder) और आंत की दीवारों में स्थित ग्रंथियों के पाचक रस मिलते हैं। इसके बाद भोजन छोटी आंत में आगे बढ़ता है। कुंडली के आकार की मांसपेशी की यह नली लगभग 6.5 मीटर लंबी होती है। इसके तीन भाग होते हैं-ग्रहणी (Duodenum), जेजुनम (Jejunum) और इलियम (Ileum)। लगभग 5 घंटे तक यहां पाचन क्रिया जारी रहती है और भोजन चीनी, एमिनो अम्लों और वसा में टूट जाता है। यहीं पर अंगुली जैसी संरचनाओं द्वारा पोषक तत्त्व रक्त तक पहुंचाए जाते हैं। रक्त परिसंचरण द्वारा ये पोषक तत्त्व समस्त शरीर में पहुंचते हैं।

छोटी आंत के बाद भोजन बड़ी आंत (Large intestine) में आता है। बड़ी आंत लगभग 1.8 मीटर लंबी होती है। यहां पाचन क्रिया नहीं होती, बल्कि भोजन के पानी का अवशोषण होकर ठोस मल का गुदा द्वारा उत्सर्जन होता है। मल में अपचा भोजन, आंत की दीवारों से गिरी कोशिकाएँ, पित्त लवण और यकृत अम्ल होता है। 

 

मानव आहार-नाल के विभिन्न भागों में पाचन-प्रक्रिया का संक्षेपण
क्षेत्र स्त्राव (स्त्रोत ग्रंथि) एंजाइम पोषण पदार्थ (सबस्ट्रेट, substrate) पाचन के उत्पाद
मुँह लार (लार ग्रंथियाँ) टायलिन (लार एमाइलेज़) स्टार्च डेक्सट्रिन
ग्रसिका कोई भी नहीं डेक्सट्रिन माल्टोज
आमाशय जठर रस और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (आमाशय का अस्तर) पेप्सिन प्रोटीन


 

पित्त (यकृत) वसा वसाओं का पायसीकरण, भोजन क्षारीय हो जाता है।
ग्रहणी अग्न्याशय-रस एमाइलोप्सिन स्टार्च डेक्सट्रिन
अग्न्याशय अग्न्याशय-एमाइलेज डेक्सट्रिन माल्टोज
स्टीएप्सिन (लाइपेज) पायसीकृत वसा वसा-अम्ल और ग्लाइसेरोल
न्यूक्लिऐजेस न्यूक्लीक अम्ल न्यूक्लीओटाइड
ट्रिप्सिन प्रोटीन प्रोटिओज, पेप्टोन, पेप्टाइड और अमीनो अम्ल
काइमोट्रिप्सिन दूध का कैसीन पैराकेसीन (दही)
कार्बोक्सीपेप्टा-इडेजेस पेप्टाइड लघुत्तर पेप्टाइज, अमीनो अम्ल
इलियम आंत्र-रस (उद्वधों के बीच में आंत्र-ग्रंथियाँ) माल्टेज माल्टोज ग्लूकोज़
सुक्रेज (इन्वर्टेज) सुक्रोज़ ग्लूकोज और फ्रक्टोज
लैक्टेज लेक्टोज ग्लूकोज और गैलेक्टोज़
लाइपेज़ पायसीकृत वसा वसा अम्ल और ग्लाइसरोल
पेप्टाइडेजेस प्रोटीन और पेप्टाइड अमीनो अम्ल
न्यूक्लीएजेस न्यूक्लिओटाइड फॉस्फेट, राइबोज शर्करा, नाइट्रोजनी आधार
कोलोन कोई भी नहीं
मलाशय कोई भी नहीं

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