दिल्ली नगर कला आयोग Delhi Urban Art Commission
दिल्ली नगर कला आयोग (डीयूएसी) एक संविधिक निकाय है जिसकी स्थापना दिल्ली नगर कला आयोग अधिनियम, 1973 के अंतर्गत दिल्ली में शहरी तथा पर्यावरण अभिकल्प की सौंदर्यपरक विशिष्टता की रक्षा, विकास एवं रखरखाव करने के उद्देश्य से 1 मई, 1974 की केंद्रीय सरकार तथा तीन स्थानीय निकायों नामतः दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली नगर निगम तथा नई दिल्ली नगर पालिका परिषद् के परामर्शी निकाय के रूप में हुई। आयोग अध्यक्ष एवं अधिकतम चार अन्य सदस्यों से निर्मित है। सचिव, आयोग के सचिवालय के प्रमुख हैं।
आयोग की द्वारा प्रस्तावों को दिल्ली नगर कला आयोग के अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत विचार किया जाना अपेक्षित है। इनमें जनपद, सामुदायिक केंद्र, रिहायशी परिसर, लुटियन बंगला जोन क्षेत्र, कनाट प्लेस परिसर, पुरानी दिल्ली क्षेत्र, स्मारक स्थलों आदि का संरक्षण शामिल है। आयोग अण्डरपास, ग्रेड सेपरेटरों, विधि-सज्जा सामग्री आदि पर भी विचार करता है। जब स्थानीय निकाय निगम उपनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करता है तो आयोग परियोजना के परिवेश के संदर्भ में उसकी सौन्दर्यपरक एवं व्यावहारिकता की दृष्टि से विचार करते हैं।
दिल्ली नगर कला आयोग के गठन के बाद के वर्षों में दिल्ली के क्षेत्रफल में काफी बढ़ोतरी हुई है और मकानों का सघनता के आधार पर निर्माण हुआ है, इससे मूल अधिदेश में सुपुर्द कार्यों की सार्थकता और भी अधिक बढ़ गई है। अब परिवेश और विरासत अति आवश्यक सरोकार बन गये हैं, तथा जहां निर्णयकारी निकायों की संख्या एक से अधिक हो, वहां समग्र शहर को एक सूत्र में बांधे रखने में पहले की तुलना में अनेक कठिनाइयां पैदा हो रही हैं ऐसी स्थिति में शहर के घटक तत्वों के भविष्य को लेकर एक विजन (संकल्पना) की महती आवश्यकता है।
आयोग का प्रमुख सरोकार, अगर 1970 के दशक में अनियंत्रित गगनचुम्बी निर्माणों के मुद्दों के बारे में था, और 1980 के दशक में एशियाई खेलों के आयोजन से जुड़े मुद्दों तथा 1990 के दशक में द्वारका के निर्माण एवं नाइ दिल्ली बंगला जों क्षेत्र को सुस्थिर-संतुलित बनाए रखने के सरोकारों को लेकर था। वहीं वर्तमान दशक के मुख्य सरोकार चार मुद्दों- खुले हवादार परिसरों, नदी क्षेत्रों और वन क्षेत्र को खतरे के शेष मामलों, ऐतिहासिक आबादी इलाकों में जीवन की गुणवत्ता, जीर्ण-शीर्ण व जर्जर इलाकों के सुरुचिपूर्ण कायाकल्प को सुनिश्चित करने की जरूरत तथा यातायात नेटवर्क (मार्गों) को मानवीय जीवन की रक्षा की खासियत के साथ अधिक सुविधाजनक बनाने की जरूरत को लेकर हैं।
आयोग के मुख्य क्रियाकलाप
आयोग के मुख्य कार्य असंख्य समस्या/सरोकारों में विस्तीर्ण रहे हैं। आयोग ने नए मेट्रो मार्गों तथा उनमें निहित पर्यावरण-परिवेश तथा ऐतिहासिक प्रतिवेश के संदर्भ में जांच परख की। शाहजहांनाबाद के कायाकल्प के उपायों की पहचान के लिए परस्परव्यापी कार्यदायरे वाली एजेंसियों से विचार-विमर्श किया। संरचनात्मक ढांचा सुलभ कराने के लिए आयोग द्वारा शुरू की गयी अग्रगामी परियोजनाओं के अंतर्गत खिड़की गाँव के प्रस्ताव तथा नई दिल्ली नगर पालिका परिषद की जोनल विकास योजना पर कार्यवाही के प्रस्ताव शामिल हैं। परिवहन-कॉरीडोरों (समर्पित मागों) के सुधार और उनके समाधान पर काफी समय लगाकर सोच विचार किया गया है। दिल्ली के मास्टर प्लान पर चर्चा के लिये आयोग ने एक सेमिनार का आयोजन किया।