मुग़ल साम्राज्य का पतन Decline of the Mughal Empire
- 1707 मेँ औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारतीय इतिहास मेँ एक नए युग का पदार्पण हुआ, जिसे ‘उत्तर मुगल काल’ कहा जाता है।
- औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य का पतन भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। इस घटना ने मध्यकाल का अंत कर आधुनिक भारत की नींव रखी।
- मुग़ल साम्राज्य जैसे विस्तृत साम्राज्य का पतन किसी एक कारण से नहीँ हो सकता इसलिए इतिहासकारोँ मेँ इस बात को लेकर मतभेद है।
- यदुनाथ सरकार, एस. आर. शर्मा और लीवर पुल जैसे इतिहासकारोँ का मानना है कि औरंगजेब की नीतियोँ – धार्मिक, राजपूत, दक्कन आदि के कारण मुग़ल साम्राज्य का पतन हुआ। सतीश चंद्र, इरफान हबीब और अतहर अली जैसे मुझे इतिहासकारोँ ने मुग़ल साम्राज्य के पतन को दीर्घकालिक प्रक्रिया का परिणाम माना है।
- औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके पुत्रों मुअज्जम, मुहम्मद आजम और मोहम्मद कामबख्श मेँ उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ, जिसमें मुअज्जम सफल हुआ।
बहादुर शाह प्रथम (1707 ई. से 1712 ई.)
- उत्तराधिकार के युद्ध मेँ सफल होने के बाद मुअज्जम 65 वर्ष की अवस्था मेँ बहादुर शाह प्रथम की उपाधि के साथ दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ।
- बहादुर शाह ने मराठोँ और राजपूतो के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति अपनाई। इसने शंभाजी के पुत्र शाहू मुग़ल कैद से आजाद कर दिया।
- बहादुर शाह ने बुंदेल शासक छत्रसाल को बुंदेल राज्य का स्वामी स्वीकार कर लिया।
- इतिहासकार खफी खाँ के अनुसार बादशाह राजकीय कार्योँ मेँ इतना लापरवाह था की लोग उसे ‘शाह-ए-बेखबर’ कहने लगे।
- सिक्ख नेता बंदा बहादुर के विरुद्ध एक सैन्य अभियान के दौरान फरवरी 1712 ई. मेँ बहादुरशाह प्रथम की मृत्यु हो गई। इसे औरंगजेब के मकबरे के आंगन मेँ दफनाया गया।
- सर सिडनी ओवन ने बहादुर शाह के विषय मेँ लिखा है की वह अंतिम मुगल शासक था, जिसके बारे मेँ कुछ अच्छी बातेँ कही जा सकती हैं।
जहांदार शाह (1712 ई. से 1713 ई.)
- 1712 ई. मेँ बहादुरशाह प्रथम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जहाँदारशाह मुग़ल शासन की गद्दी पर बैठा।
- ईरानी मूल के शक्तिशाली अमीर जुल्फिकार खां की सहायता से जहांदार शाह ने अपने भाई अजीम-उस-शान, रफी-उस-शान तथा जहान शाह की हत्या कर शासक बना।
- यह एक अयोग्य एवं विलासी शासक था। जहांदार शाह पर उसकी प्रेमिका लालकंवर का काफी प्रभाव था।
- जहांदार शाह ने जुल्फिकार खां को बजीर के सर्वोच्च पद पर नियुक्त किया।
- जहांदार शाह ने वित्तीय व्यवस्था मेँ सुधार के लिए राजस्व वसूली का कार्य ठेके पर देने की नई व्यवस्था प्रारंभ की जिसे इस्मतरारी व्यवस्था कहते है।
- जहांदार शाह ने आमेर के राजा सवाई जयसिंह को ‘मिर्जा’ की उपाधि के साथ मालवा का सूबेदार बनाया।
- जहांदार शाह ने मारवाड़ के राजा अजीत सिंह को ‘महाराजा’ की उपाधि प्रदान कर गुजरात का सूबेदार बनाया।
- अजीमुशान के पुत्र फरूखसियर ने हिंदुस्तानी अमीर सैय्यद बंधुओं के सहयोग से जहांदार शाह को सिंहासन से अपदस्थ उसकी हत्या करवा दी।
फरूखसियर (1713 ई. से 1719 ई.)
- सैय्यद बंधुओं की सहायता से मुग़ल सासन की गद्दी पर फरूखसियर आसीन हुआ।
- फर्रुखसियर ने सैय्यद बंधुओं में से अब्दुल्ला खां को वजीर और हुसैन अली को मीर बख्शी नियुक्त किया। सैय्यद बंधुओं को मध्यकालीन भारतीय इतिहास मेँ ‘शासक निर्माता’ के रुप मेँ जाना जाता है।
- फरूखसियर के शासन काल मेँ सिक्खोँ के नेता बंदा बहादुर को पकड़ कर 1716 मेँ उसका वध कर दिया गया।
- फरूखसियर ने 1717 ई. मेँ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की बहुत सारी व्यापारिक रियायतें प्रदान कीं।
- 1719 में हुसैन अली खान ने तत्कालीन मराठा बालाजी विश्वनाथ से ‘दिल्ली की संधि’ की जिसके तहत मुग़ल सम्राट की ओर से मराठा राज्य को मान्यता देना, दक्कन में मुगलोँ के 6 प्रांतो से मराठोँ को चौथ और सरदेशमुखी वसूल करने का अधिकार प्रदान किया गया। इसके बदले मेँ मराठोँ द्वारा दिल्ली मेँ सम्राट की रक्षा के लिए 15 हजार सैनिक रखने थे।
- सैय्यद बंधुओं ने षड्यंत्र द्वारा जून, 1719 में फरुखसियर को सिंहासन से अपदस्थ करके उसकी हत्या करवा दी।
- फरूखसियर की हत्या के बाद सैय्यद बंधुओं ने रफी-उर-दरजात तथा रफी-उद-दौला को मुग़ल बादशाह बनाया। दोनो ही सैय्यद बंधुओं के कठपुतली थे।
- रफी-उद-दौला ‘शाहजहाँ द्वितीय’ की उपाधि धारण कर मुग़ल शासन की गद्दी पर बैठा।
मुहम्मद शाह (1719 ई. से 1748 ई.)
- शाहजहाँ द्वितीय की मृत्यु के बाद उसके पुत्र रौशन अख्तर को सैय्यद बंधुओं ने मुहम्मद शाह की उपाधि के साथ मुग़ल शासन की गद्दी पर बैठाया।
- मोहम्मद शाह के शासनकाल मेँ सैय्यद बंधुओं का पतन हो गया। इनके बाद आमीन खाँ को बजीर बनाया गया। लेकिन उसकी मृत्यु के बाद निजाम-उल-मुल्क वजीर बना, जो बाद मेँ मुगल दरबार की साजिशों से तंग आकर दक्कन चला गया।
- मुहम्मद शाह ने 1724 मेँ जजिया कर अंतिम रुप से समाप्त कर दिया।
- मुहम्मद शाह की सार्वजनिक मामलोँ के प्रति उदासीनता एवं विलासिता में तल्लीनता के कारण उसे ‘रंगीला’ कहा जाता था।
- इसके शासन काल मेँ कई राज्योँ के सूबेदारोँ ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी।
- इसके शासनकाल मेँ ईरान के साथ नादिर शाह ने 1739 में भारत पर आक्रमण किया।
- मुहम्मद शाह के शासन काल मेँ नादिरशाह के उत्तराधिकारी अहमद शाह अब्दाली ने 1748 ई. में 50 हजार सैनिकोँ के साथ पंजाब पर आक्रमण किया।
अहमद शाह (1748 ई. से 1754 ई.)
- 1748 में मुहम्मद शाह की मृत्यु के बाद अहमद शाह मुगल शासक बना।
- अहमद शाह ने अवध के सूबेदार सफदरजंग को अपना बजीर बनाया।
- अहमद शाह एक अयोग्य एवं भ्रष्ट शासक था। उसकी दुर्बलता का लाभ उठा कर उसकी माँ उधम भाई ने हिजड़ो के सरदार जावेद खां के साथ मिलकर शासन पर कब्जा जमा लिया था।
- अहमद शाह अब्दाली ने अहमद शाह के शासन काल मेँ 1748-59 के बीच भारत पर पांच बार आक्रमण किया।
- मराठा सरदार मल्हार राव की सहायता से इमाद-उल-मुल्क, सफदरजंग को अपदस्थ कर मुग़ल साम्राज्य का वजीर बन गया।
- 1754 वजीर इमाद-उल-मुल्क ने मराठोँ के सहयोग से अहमद शाह को अपदस्थ कर जहांदार शाह के पुत्र अजीजुद्दीन को ‘आलमगीर द्वितीय’ के नाम से गद्दी पर बैठाया।
- आलमगीर द्वितीय वजीर इमाद-उल-मुल्क की कठपुतली था। इमाद-उल-मुल्क ने 1759 मेँ आलमगीर द्वितीय की हत्या कर दी।
शाहआलम द्वितीय (1759 ई. से 1806 ई.)
- आलमगीर द्वितीय के बाद अलीगौहर, शाह आलम द्वितीय की उपाधि धारण कर मुग़ल शासन की गद्दी पर बैठा।
- शाहआलम द्वितीय ने 1764 में बंगाल के शासक मीर कासिम और अवध के नवाब शुजाउद्दौला के साथ मिलकर अंग्रेजो के विरुद्ध बक्सर के युद्ध मेँ भाग लिया।
- बक्सर के युद्ध मेँ ऐतिहासिक पराजय के बाद अंग्रेजो ने शाह आलम के साथ इलाहाबाद की संधि की, जिसके द्वारा शाहआलम को कड़ा तथा इलाहाबाद का क्षेत्र मिला। मुग़ल बादशाह शाह आलम ने बंगाल बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी ईस्ट इंडिया कंपनी को प्रदान की। जिसके बदले मेँ कंपनी ने 26 लाख रुपए देने का वादा किया।
- 1772 ई. मराठा सरदार महादजी सिंधिया ने पेंशनभोगी शाहआलम द्वितीय को पुनः दिल्ली की गद्द्दी पर बैठाया।
- रुहेला सरदार गुलाम कादिर ने शाहआलम द्वितीय को अंधा कर के 1806 ई. में उसमे उसकी हत्या कर दी।
- शाहआलम द्वितीय के समय मेँ 1803 में दिल्ली पर अंग्रेजो का अधिकार हो गया।
- शाहआलम द्वितीय की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अकबर द्वितीय अंग्रेजो के संरक्षण मेँ 1806 में मुगल बादशाह बना।
- उसने 1837 तक शासन किया। उसने राजा राम मोहन राय को इंग्लैण्ड भेजा था।
बहादुरशाह द्वितीय (1837 ई. -1857 ई.)
- अकबर द्वितीय की मृत्यु के बाद बहादुरशाह द्वितीय मुगल बादशाह बना। यह जफ़र के नाम से शायरी लिखता था।
- 1857 के विद्रोह मेँ विद्रोहियोँ का साथ देने के कारण अंग्रेजो ने इसे निर्वासित कर रंगून भेज दिया जहाँ 1862 मेँ इसकी मृत्यु हो गई।
- यह मुगल साम्राज्य का अंतिम शासक सिद्ध हुआ। इसकी मृत्यु के साथ मुग़ल साम्राज्य का भारत मेँ अंत हो गया।
स्मरणीय तथ्य
- भारत मेँ यूरोपीय व्यापारिक कंपनियोँ के आगमन का क्रम पुर्तगीज, डच, अंग्रेज, डेन व फ़्रांसीसी से हुआ।
- भारत मेँ आने वाला प्रथम यूरोपीय यात्री वास्कोडिगामा, द्वितीय यात्री पुर्तगाली पेड्रो अल्वारेज कैब्राल था।
- प्रथम पुर्तगीज गवर्नर फ्रांसिस्को अल्मेडा था, जबकि प्रथम अंग्रेज जॉन मिल्दें हाल था।
- बम्बई, कलकत्ता और मद्रास तथा दिल्ली का संस्थापक क्रमशः गेराल्ड औंगिया, जॉब चारनाक, फ्रान्सिस्डे तथा एडविन लुटियंस था।
- अंग्रेजो का विरोध करने वाला पहला विद्रोही जमींदार बर्दवान का जमींदार शोभा सिंह था।