साइबर अपीलीय ट्रिब्यूनल Cyber Appellate Tribunal – CAT
साइबर अपीलीय ट्रिब्यूनल (सीएटी) का गठन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के भाग 48(1) के प्रावधान के तहत् अक्टूबर, 2006 में किया गया। आईटी अधिनियम के अनुसार प्रमाणीकरण प्राधिकरणों के नियंत्रक से अथवा अधिनियम के न्याय क्षेत्र से संबंधित अधिकारी से असंतुष्ट कोई व्यक्ति साइबर अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील कर सकता है। इस प्राधिकरण का अध्यक्ष सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के भाग 49 के प्रावधान के तहत् केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
ट्रिब्यूनल में केवल एक व्यक्ति होता है जिसे प्रीसाइडिंग अधिकारी के तौर पर जाना जाता है। अपीलीय ट्रिब्यूनल के प्रीसाइडिंग अधिकारी पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति में उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता होनी चाहिए या वह भारतीय न्यायिक सेवा का सदस्य रहा हो और उस सेवा में कम से कम तीन वर्षों तक ग्रेड-1 पद पर ही या रहा हो।
साइबर अपीलीय न्यायाधिकरण, के कृत्यों के निर्वहन के उद्देश्य से इसमें सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत् गठित दीवानी न्यायालय के समान शक्तियां निहित होंगी। हालांकि, प्रक्रियाएं सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 द्वारा निर्धारित होगी लेकिन ट्रिब्यूनल प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों से भी निर्देशित होगा।
अपने कर्तव्यों का निर्वहन न्यायाधिकरण कर सकेगा-
- किसी व्यक्ति की सम्मन भेजना और शपथ पर उसकी जांच करना;
- खोजबीन करना एवं दस्तावेज एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्रस्तुत कराना
- शपथ-पत्र पर साक्ष्य प्राप्त करना
- साक्ष्यों या दस्तावेजों की छानबीन हेतु आयोग जारी करना
- अपने निर्णय की समीक्षा करना
- आवेदन को निरस्त करना; और
- अन्य मामला जो उसे सौंपा गया हो।
यदि कोई व्यक्ति कैट के निर्णय से असहमत है तो ऐसे आदेश से 60 दिनों के भीतर वह उच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकता है।