समुद्र में व्यर्थ पदार्थों के निस्तारण पर अभिसमय Convention on the Prevention of Marine Pollution by Dumping of Wastes and Other Matter
नवम्बर 1972 में लंदन में समुद्र में व्यर्थ पदार्थों के निस्तारण पर अभिसमय को स्वीकार करने के लिए एक अंतरर्सरकारी कांफ्रेंस आयोजित की गई।
यह अभिसमय वैश्विक प्रकृति का है और इसका उद्देश्य समुद्री प्रदूषण को नियंत्रित एवं समाप्त करना है। कन्वेंशन के अंतर्गत निस्तारण को परिभाषित किया गया है। समुद्र में जानबूझकर अपशिष्ट या वाहनों, वायुयानों, या अन्य मानव निर्मित ढांचों से प्राप्त पदार्थों को डालना निस्तारण (डम्पिंग) के अंतर्गत आता है। डम्पिंग के अंतर्गत निष्कर्षण और समुद्र तल से खनिज पदार्थों एवं संसाधनों को निकालना शामिल नहीं होता। अभिसमय के प्रावधान उस समय लागू नहीं होगें जब जीवन को सुरक्षित करने की आवश्यकता हो।
अभिसमय के अनुच्छेदों का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग, विशेष रूप से निगरानी एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में, को बढ़ावा देना है। अभिसमय के देशों ने अनुमति के प्रबंधन, अभिलेखों के रख-रखाव और समुद्र की स्थिति की निगरानी करने के लिए एक प्राधिकरण नियुक्त किया।
अभिसमय ने समय-समय पर महासागरों में अपशिष्ट निस्तारण के संदर्भ में उत्पन्न हुए मामलों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण संशोधनों को स्वीकार किया है।
बदलते हालातों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 1996 के प्रोटोकॉल को 7 नवम्बर, 1996 को स्वीकार किया गया। यह प्रोटोकॉल 24 मार्च, 2006 से प्रभावी हुआ और इसने 1972 के अभिसमय का स्थान लिया। इसने समुद्र को अपशिष्ट पदार्थों के निस्तारण के तौर पर इस्तेमाल करने वाले राष्ट्रों के बीच परिवर्तित शैली में बड़े बदलाव को प्रकट किया।
प्रोटोकॉल में संशोधन (2006) 2 नवम्बर, 2006 को स्वीकार किया गया, जो 10 फरवरी, 2007 को प्रभावी हुआ।
उल्लेखनीय है कि विश्व के विभिन्न देशों के विभिन्न राज्यों द्वारा समुद्री प्रदूषण को कम करने तथा विश्व के महासागरों के प्रयोग का नियमन करने हेतु मिलकर दो बड़े अभिसमय लाए गए-प्रथम्, समुद्र में व्यर्थ पदार्थों के निस्तारण पर अभिसमय (इसे 1996 में प्रोटोकॉल में परिवर्तित कर दिया गया है); तथा द्वितीय, महासागरों एवं उनके संसाधनों के प्रयोग में राज्यों के अधिकार एवं उत्तरदायित्व (समुद्री विधि पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय)।