चोल साम्राज्य में कृषि, वाणिज्य और व्यापार Chola Empire Agriculture, Commerce and Trade
भारत आरम्भ से कृषि-प्रधान देश रहा है। देश की अधिकतर जनता ग्रामों में रहती है जिसका प्रमुख उद्यम खेती है।
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Read moreसमाज में जातिप्रथा प्रचलित थी। ब्राह्मणों का समाज में आदर था और वे सादा जीवन बिताते थे। ब्राह्मणों की अलग
Read moreचोल शासकों ने भारी भरकम उपाधि लेनी शुरू की जैसे- चक्रवर्तीगल। चोल वंश में मृत राजाओं की प्रतिमाएं पूजी जाती
Read moreचोल राज्य बहुत प्राचीन राज्य था। इसका उल्लेख महाभारत, मेगास्थनीज के यात्रा-वृत्तांत और अशोक के शिलालेखों से प्राप्त होता है।
Read moreचालुक्य नरेश ब्राह्मण धर्म के अनुयायी थे। उनके शासन-काल में पौराणिक देवताओं की पूजा का प्रचलन बढ़ा। इन नरेशों ने
Read moreचालुक्य वंश छठीं से आठवीं शताब्दी ईसवी तथा दसवीं से बारहवीं शताब्दी ईसवी तक चालुक्य वंश दक्षिण में एक शक्तिशाली
Read moreसाहित्य- कांची शिक्षा का महान् केन्द्र था। माना जाता है कि ह्वेनसांग एवं दिगनाग ने यहां शिक्षा पायी थी। पल्लव काल
Read moreदक्षिण भारत में कृष्णा और गोदावरी नदियों के बीच के प्रदेश में पल्लव वंश के राज्य की स्थापना हुई। पल्लवों
Read moreराष्ट्रकूट की उत्पत्ति और मूल निवास के विषय में विद्वानों में मतभेद है। डॉ. फ्लीट का विचार है कि राष्ट्रकूट
Read moreसेन-वंश का मूल-सामन्तसेन को, जिसने बंगाल के सेन वंश की नीव डाली थी, कर्नाटक क्षत्रिय कहा गया है। इसमें सन्देह
Read moreआठवीं शती के मध्य में उत्तरी भारत में अन्य महत्त्वपूर्ण जिस साम्राज्य की स्थापना हुई उसका संस्थापन बंगाल के पालों
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