गुप्त काल में अर्थव्यवस्था Economy in the Gupta period
गुप्तकाल में समाज, धर्म, कला, साहित्य व विज्ञान के विकास के साथ ही एक मजबूत आर्थिक ढाँचे का गठन हुआ।
Read moreगुप्तकाल में समाज, धर्म, कला, साहित्य व विज्ञान के विकास के साथ ही एक मजबूत आर्थिक ढाँचे का गठन हुआ।
Read moreआधुनिक हिन्दू धर्म का जो स्वरूप है, वह बहुत कुछ गुप्तकालीन धर्म पर आधारित है। गुप्तकालीन हिन्दू धर्म में लोक
Read moreगुप्त काल में विज्ञान के विकास का पता चलता है। गुप्तकालीन विज्ञान के अंतर्गत मुख्यत: गणित, ज्योतिष और आयुर्वेद का
Read moreगुप्तकाल में ही अधिकांश पुराणों का संकलन हुआ। प्रारम्भ में पुराण रचना से चारण लोग जुड़े हुए थे। उन चारणों
Read moreगुप्त काल (319-550 ई.) भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग (गोल्डन पीरियड) कहलाता है। इतिहासकारों ने इसे क्लासिकल युग भी कहा
Read moreप्राचीन भारतीय समाज का ढाँचा गुप्त काल में भी स्थिर रहा। गुप्तकालीन समाज व्यवस्था की झांकी पुराणों, स्मृति-ग्रन्थों व अभिलेखों
Read moreराजनैतिक व्यवस्था- गुप्त-साम्राज्य के अन्तर्गत सब प्रदेशों पर गुप्त-सम्राटों का सीधा शासन नहीं था। उनके अधीन अनेक महाराजा, राजा और
Read moreप्रवरसेन प्रथम- विंध्यशक्ति के पश्चात् उसका पुत्र प्रवीर (प्रवरसेन) शक्तिशाली शासक बना। वह अपने वंश का प्रतापी शासक था जिसने
Read moreवाकाटक वंश गुप्तों के अभ्युदय से पूर्व ही अपनी शक्ति स्थापित कर चुका था। सातवाहन साम्राज्य के पतन के बाद
Read moreस्कन्दगुप्त कुमारगुप्त का पुत्र था। स्कन्दगुप्त एक वीर व पराक्रमी योद्धा था। इसने सम्भवतः कुमारगुप्त के पश्चात् शासक बनने की
Read moreचन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के पश्चात् कुमारगुप्त शासक बना। उसकी मुद्राओं पर उसके लिए कई प्रकार की उपाधियाँ मिलती हैं। जैसेश्री मेहन्द्र,
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