चोल साम्राज्य में साहित्य, धर्म एवं कला Chola Empire Literature, Religion and Art
साहित्य तमिल साहित्य में कंबन ने रामायण, पुगालिंदी ने नलबेंबा, ज्ञानगोंदुर ने कल्लादानर की रचना की। जयागोंदान कुलोत्तुंग प्रथम के
Read moreसाहित्य तमिल साहित्य में कंबन ने रामायण, पुगालिंदी ने नलबेंबा, ज्ञानगोंदुर ने कल्लादानर की रचना की। जयागोंदान कुलोत्तुंग प्रथम के
Read moreगुप्तोत्तर काल में अनेक सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन गुप्तोत्तर काल में हुए, जिन्होंने समाज के विभिन्न पक्षों को प्रभावित किया।
Read moreपल्लवों के प्रारंभिक इतिहास की रूपरेखा स्पष्ट नहीं है। यह माना जाता है कि पल्लवों का उदय सातवाहनों के बाद
Read moreपुलकेशिन द्वितीय के बारे में हमें ऐहॉल अभिलेख में उसके समकालीन कवि रविकीर्ति द्वारा लिखी गयी प्रशस्ति से जानकारी मिलती
Read moreचालुक्य राजवंश इतिहास जानने के प्रामाणिक साधन चालुक्यों के अभिलेख हैं। ये शिलाओं, स्तम्भों, ताम्रपत्रों और मंदिरों की दीवारों पर
Read moreमौखरि व उत्तर गुप्त मौखरि व उत्तरगुप्त, गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद स्वतंत्रता प्राप्त करने वालों में उल्लेखनीय हैं।
Read moreसम्राट् हर्षवर्धन प्राचीन भारत के शासकों की गौरवमयी परम्परा का अन्तिम प्रतापी सम्राट् था। वह एक सफल योद्धा, पराक्रमी विजेता,
Read moreएक कुशल प्रशासक एवं प्रजापालक राजा के रूप में हर्ष को स्मरण किया जाता है। नागानंद में उल्लेख आया है
Read moreदक्षिण का सर्वाधिक प्रभावशाली सम्राट् पुलकेशिन द्वितीय था जिसकी उत्तरी सीमा नर्मदा तक विस्तृत थी। दोनों राजाओं की साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षाओं
Read moreहर्षचरित के अनुसार वर्द्धन वंश का संस्थापक पुष्यभूति था। वह शिव का भक्त था और उसने एक नवीन राजकुल की
Read moreगुप्तोत्तर काल इतिहास के अपना एक चक्र पूरा कर वहीँ आ गया जहाँ मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद की
Read more