राजनैतिक व्यवस्था- उत्तर वैदिक काल Political system- Post Vedic Period
इस काल में, राजनैतिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन दृष्टि-गोचर होते हैं। राजतंत्र सशक्त ही नहीं हुआ बल्कि बड़े प्रादेशिक राज्यों
Read moreइस काल में, राजनैतिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन दृष्टि-गोचर होते हैं। राजतंत्र सशक्त ही नहीं हुआ बल्कि बड़े प्रादेशिक राज्यों
Read moreसभ्यता के काल का विभाजन अत्यन्त कठिन है। ऋग्वैदिक काल की सभ्यता, आर्यों के भारत प्रवेश से लेकर ऋग्वेद की
Read moreऋग्वैदिक धर्म जब मनुष्य ने सभ्य जीवन का प्रारम्भ किया, तो उसने अपने को विशाल एवं अपरिचित प्राकृतिक शक्तियों से
Read moreवर्णव्यवस्था ऋग्वेदकालीन समाज की व्यवस्था का प्रमुख आधार थी। इस व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वाभाविक गुणों के
Read moreवन्य प्रदेशों को साफ कर आर्यों ने देश में अपने ग्रामों की स्थापना की थी। इस प्रक्रिया में सम्पूर्ण पंजाब,
Read moreचूंकि इस काल की अर्थव्यवस्था एक निर्वाह अर्थव्यवस्था थी, जिसमें अधिशेष के लिए बहुत कम गुंजाइश थी। अत: करारोण प्रणाली
Read moreराजनैतिक अवस्था राजा वैदिक युग के राष्ट्र या जनपद का मुखिया होता था। सामान्यतया, राजा का पुत्र ही पिता की
Read moreसिन्धु सभ्यता के पतन के बाद आर्य सभ्यता का उदय हुआ। आर्यों की सभ्यता वैदिक सभ्यता भी कहलाती है। वैदिक
Read moreलोगों का विविध दिशाओं में पलायन से सैन्धव सभ्यता का विघटन हुआ। अब विद्वान् यह मानने लगे हैं कि सैन्धव
Read moreसैन्धव सभ्यता अपने काल की विकसित नगरीय सभ्यता थी जो बहुत बड़े भू-भाग में फैली हुई थी। विस्तृत क्षेत्र में
Read moreमुहर- सिंधु सभ्यता में लगभग 2500 मुहरें प्राप्त हुई हैं। यह प्रायः आयताकार या वर्गाकार है। पशु के चित्र के
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