महत्वपूर्ण संगम शासक Significant Sangam Ruler

चेर शासक संगम साहित्य से चेर शासकों पर विशेष प्रकाश पड़ता है। प्राचीन चेर राज्य में मूल रूप से उतरी

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संगम साहित्य Sangam Literature

मदुरा मंडल अथवा सम्मेलन में तमिल कवियों के सम्मेलन की चर्चा है। इसका प्रथम उल्लेख इरैयनार अगप्पोरूल (8वीं सदी) के

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संगम राज्यों का उदय Rise Of Sangam Kingdoms

ईसा पूर्व दूसरी सदी में सुदुर दक्षिण के लोग उच्च भागों में बसते थे, जो महापाषाण निर्माता कहलाते थे, उनका

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संगम काल Sangam Period

प्रायद्वीपीय भारत का धुर दक्षिणी भाग जिसे तमिलकम् प्रदेश कहा जाता था कृष्णा एवं तुगभद्रा नदियों के मध्य स्थित था।

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मौर्योत्तर साहित्य, व्यापार और वाणिज्य Literature Trade and Commerce in Post-Mauryan Period

साहित्य सातवाहन नरेश कवियों के आश्रयदाता तथा प्राकृत भाषा के परिपोषक थे। उनके शासन-काल में प्राकृत भाषा और साहित्य की

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मौर्योत्तर कला Art in Post-Mauryan Period

मौर्य काल के बाद वास्तुकला के क्षेत्र में एक नये युग का सूत्रपात होता है। राजकीय छत्रछाया में विकसित मौर्यकला

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मौर्योत्तर काल में धर्म Religion in Post-Mauryan Period

धर्म मौर्य युग बौद्ध धर्म के उत्कर्ष का युग था। मौर्य साम्राज्य के पतन के उपरान्त शुंग और सातवाहन शासकों

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मौर्योत्तर काल में सामाजिक स्थिति Social System in Post-Mauryan Period

शुंग और सातवाहन वंश के शासक ब्राह्मण थे। अतएव उनके शासन-काल के समय में चार वर्णों पर आधारित सामाजिक व्यवस्था

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मौर्योत्तर काल में राजनीतिक व्यवस्था Political System after Mauryan Period

शुंग-सातवाहन-शक युगीन सभ्यता के मुख्य पहलू मौर्योत्तर युग में भारत के राजनैतिक परिदृश्य पर तीन राजवंशों का प्रभुत्व दिखलाई पड़ता

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सातवाहन वंश Satavahana dynasty

सातवाहन वश का उद्भव दक्षिण भारत है। आन्ध्र से सम्बन्धित होने के नाते इन्हें आन्ध्र या आन्ध्र सातवाहन भी कहा

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कुषाण साम्राज्य Kushan Empire

कुषाण मौर्योत्तर कालीन बाह्य शासकों में यू-ची प्रजाति महत्त्वपूर्ण है जिसे बाद में कुषाण कहा गया। इस जाति के नरेशों

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