राजपूत राज्यों में साहित्य Literature in the Rajput States
राजपूत राजा साहित्य-प्रेमी और विद्वानों के आश्रयदाता थे। कुछ राजपूत राजा स्वयं विद्वान् और लेखक थे। अपने समय के मुन्ज
Read moreराजपूत राजा साहित्य-प्रेमी और विद्वानों के आश्रयदाता थे। कुछ राजपूत राजा स्वयं विद्वान् और लेखक थे। अपने समय के मुन्ज
Read moreराजपूत राजा महान् निर्माता थे। उन्होंने अनेक मन्दिर, किले, बाँध, जलाशय और स्नानागार बनवाए। वास्तुकला की अनेक शैलियों का विकास
Read moreसामाजिक जीवन कई जातियों और उपजातियों में समाज विभाजित था। समाज में ब्राह्मणों का ऊंचा स्थान था। वे राजपूत राजाओं
Read moreशासन का स्वरूप- राजपूत राज्य सामन्तवादी प्रथा पर आधारित थे। राजपूत राज्य कई जागीरों में बंटा हुआ था और ये
Read moreहर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात् भारतीय इतिहास के रंगमंच पर कई छोटे-छोटे राज्यों का उदय हुआ। यां प्राचीन भारतीय इतिहास
Read moreगुप्तोत्तर काल में अनेक सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन गुप्तोत्तर काल में हुए, जिन्होंने समाज के विभिन्न पक्षों को प्रभावित किया।
Read moreपल्लवों के प्रारंभिक इतिहास की रूपरेखा स्पष्ट नहीं है। यह माना जाता है कि पल्लवों का उदय सातवाहनों के बाद
Read moreपुलकेशिन द्वितीय के बारे में हमें ऐहॉल अभिलेख में उसके समकालीन कवि रविकीर्ति द्वारा लिखी गयी प्रशस्ति से जानकारी मिलती
Read moreचालुक्य राजवंश इतिहास जानने के प्रामाणिक साधन चालुक्यों के अभिलेख हैं। ये शिलाओं, स्तम्भों, ताम्रपत्रों और मंदिरों की दीवारों पर
Read moreमौखरि व उत्तर गुप्त मौखरि व उत्तरगुप्त, गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद स्वतंत्रता प्राप्त करने वालों में उल्लेखनीय हैं।
Read moreसम्राट् हर्षवर्धन प्राचीन भारत के शासकों की गौरवमयी परम्परा का अन्तिम प्रतापी सम्राट् था। वह एक सफल योद्धा, पराक्रमी विजेता,
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