भारतीय मानक ब्यूरो Bureau of Indian Standards – BIS

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) 1 अप्रैल, 1987 को संसदीय अधिनियम, 1987 द्वारा अस्तित्व में आया। इसने पूर्ववर्ती भारतीय मानक संस्थान (आईएसआई) के कर्मचारियों, संपत्तियों, देनदारी और कार्यों को ग्रहण किया और यह विस्तृत कार्यक्षेत्र और अधिक शक्तियों के साथ अस्तित्व में आया। इसका उद्देश्य वस्तुओं के मानकीकरण, चिन्हितकरण और उन्हें गुणवत्ता प्रमाणपत्र देना और इन कार्यों से संबद्ध तथा अनुषंगी मामलों से संबंधित गतिविधियों का सामंजस्यपूर्ण विकास करना है।

मिशन

भारतीय मानक ब्यूरो भारत की राष्ट्रीय मानक इकाई है जो मानकीकरण, प्रमाणन और गुणवत्ता से संबंधित सभी मामलों में अग्रणी भूमिका निभाने के प्रति वचनबद्ध है।

उद्देश्य

अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए ब्यूरो निम्नांकित प्रयास करेगा-

  1. मानकों के सामंजस्यपूर्ण विकास के लिए समय पर सक्षम सेवा उपलब्ध कराना।
  2. बीआईएस की प्रमाणन योजनाओं के संचालन के माध्यम से ग्राहकों की वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता एवं सुरक्षा जरूरतें पूरी करना।
  3. सेमिनारों, जागरूकता कार्यक्रमों और प्रचार अभियानों के माध्यम से मानकों, मानक अंकों और सुरक्षा एवं गुणवत्ता उत्पादों के प्रति जागरूकता पैदा करना।

उपभोक्ताओं और साथ ही उद्योग जगत के हितों का ध्यान रखते हुए बीआईएस अनेक गतिविधियों में संलग्न हैं, जैसे मानक तैयार करना, उत्पाद प्रमाणन हॉलमार्किंग, सिस्टम सर्टिफिकेशन, प्रयोगशाला सेवाएं प्रदान करना, आदि।

मानक निर्माण


भारतीय मानक ब्यूरो, रसायन, खाद्य एवं कृषि, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, प्रबंधन और प्रणाली, धातुकर्म इंजीनियरिंग, पेट्रोल और कोयला सम्बंधित वस्तुएं, चिकित्सा उपकरण एवं अस्पताल, कपडा, परिवहन इंजीनियरिंग उत्पादन और सामान्य इंजीनियरिंग तथा जल संसाधन जैसे चौदह विभागों के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में मानक निर्माण संबंधी कार्य करता है। इन विभागों के अनुसार 14 विभागीय परिषद् काम कर रही है। प्रत्येक विभागीय समिति मानकीकरण के अंतर्गत काम करती है। मानक अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण खंड होता है और गुणवत्ता परक वस्तुओं और सेवाओं के लिए उद्योगों के विकास का कार्य करता है। तैयार किए गए भारतीय मानक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं।

उत्पाद प्रमाणन योजना

उत्पाद परमन योजना स्वैच्छिक प्रकृति की योजना है, लेकिन सरकार ने जनहित में भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के अलावा विभिन्न संविधिक उपायों जैसे खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, अनिवार्य वस्तु अधिनियम; भारतीय विस्फोटक अधिनियम; परमाणु ऊर्जा नियमन बोर्ड; पर्यावरण संरक्षण अधिनियम; शिशुओं के लिए दूध के वैकल्पिक आहार, फीडिंग बोतलें और शिशु आहार अधिनियम के जरिए इसे अनिवार्य बना दिया है। अनिवार्य प्रमाणन के अंतर्गत लाई गई कुछ अन्य वस्तुओं में एलपीजी सिलेंडर्स, मिल्क पाउडर; कन्डेंस्ड मिल्क; शिशुओं के लिए अन्न आहार, स्किम्ड मिल्क पाउडर, शिशु के लिए दूध के वैकल्पिक आहार; हेग्साने फूड ग्रेड; क्लिनिकल थर्मामीटर्स, पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और प्राकृत मिनरल वाटर, इलेक्ट्रिकल आयरन, इमर्सन वाटर हीटर, केबल्स; स्विच; इलेक्ट्रिकल्स लेम्प सर्किट ब्रेकर्स; बिजली के मीटर; ड्राई बैट्रीज; सीमेंट; स्टील और स्टील उत्पाद; सामान्य प्रयोजन के लिए डीजल इंजन; ऑटोमोटिव वाहनों के लिए न्यूमेट्रिक्स टायर और ट्यूब्स; सेंट्रली कास्ट डॅक्टाइल आयरन प्रेशर पाइप्स; प्रेशर पाइपों के लिए डॅक्टाइल आयरन फिटिंग्स; सामान्य प्रयोजनों के लिए कंस्टेन्ट स्पीड कम्प्रेशन इग्निशन (डीजल) इंजन्स, शामिल हैं।

भारतीय मानक ब्यूरो 1999 से आयातित वस्तुओं के प्रमाणन की दो योजनाएं चला रहा है, एक विदेशी उत्पादकों के लिए और दूसरी भारतीय आयातकों के लिए। विदेशी उत्पादक प्रमाणन योजना के अंतर्गत विदेशी उत्पादों की भारत में निर्यात करने से पहले अपने उत्पादन के लिए भारतीय आयातकों को देश में किसी भी वस्तु के आयात से पहले ब्यूरो के मानक चिन्ह का प्रमाणपत्र लेने के लिए आवेदन करना जरूरी है। अगर कोई वस्तु ब्यूरो के अनिवार्य प्रमाणन सूची में आती है तो विदेशी उत्पादन प्रमाणन योजना के लिए मौजूद प्रावधानों के तहत लाइसेंस जारी किया जा सकता है।

प्रयोगशालाएं

उत्पाद प्रमाणन कार्य के लिए भारतीय मानक ब्यूरो की आठ प्रयोगशालाएं हैं। इन प्रयोगशालाओं में रसायन, खाद्य पदार्थ, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल क्षेत्र से संबद्ध परीक्षण सुविधाएं उपलब्ध हैं।

हॉलमार्किंग

सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग की योजना अप्रैल 2000 से शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य था, उपभोक्ता के हितों का संरक्षण और सोने की शुद्धता पर उपभोक्ता को तीसरे पक्ष गारंटी प्रदान करना। चांदी के आभूषणों और अन्य भिन्न वस्तुओं

की हॉलमार्किंग की योजना अक्टूबर 2005 में शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत भारतीय मानक ब्यूरो परीक्षण और हॉलमाकिंग केंद्रों को मान्यता प्रदान करता है, जो सोने और चांदी जैसी मुल्य्मन धातुओं के आभूषणों/शिल्प वस्तुओं की शुद्धता की जांच के बाद उन्हें हॉलमार्क प्रदान करने के लिए अधिकृत होते हैं। ब्यूरो द्वारा इस प्रयोजन के लिए लाइसेंस प्रदान किए गए जौहरी इन केंद्रों से अपने आभूषणों/शिल्प वस्तुओं की शुद्धता की जांच के बाद उन पर हॉलमार्किग करा सकते हैं।

प्रबंधन पद्धति प्रमाणन

प्रबंधन पद्धति प्रमाणन के लिए भारतीय मानक ब्यूरो कई प्रमाणन योजनाएं चलाता है। ब्यूरो की गुणवत्ता प्रबंधन पद्धति प्रमाणन योजना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत सितम्बर 1991 में शुरू की गई थी। इसके अंतर्गत ब्यूरो आईएस/आईएसओ 9001 मानक के अनुरूप संगठनों को लाइसेंस प्रदान करता है। संगठनों को इस तरह के लाइसेंस जारी करने से यह आश्वासन मिलता है कि संगठन में गुणवत्तापरक उत्पादन और उनकी डिलीवरी या गुणवत्तापरक सेवाओं को निरंतर उपलब्ध कराने की क्षमता है। यह योजना आईएसओ/आईईसी 17021 समनुरूपता मूल्यांकन आवश्यकता मानक के अनुसार चलायी जा रही है।

ब्यूरो ने भारतीय मानक आईएस 15700:2005 – गुणवत्ता प्रबंधन प्रणालियां-लोक सेवा संगठनों द्वारा सेवा गुणवत्ता की अपेक्षाएं, विकसित किया है। इसका उद्देश्य लोक सेवा संगठनों द्वारा सेवा वितरण के न्यूनतम मानदंड सुनिश्चित करना है।

कार्यान्वयन गतिविधिया

ब्यूरो बेईमान व्यवसायियों और उत्पादकों द्वारा मानक चिन्ह या उसके नकली रूप का इस्तेमाल रोकने के लिए उनके खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई करता है। इस तरह की कार्रवाइयों से उपभोक्ताओं को ब्यूरो के मानक चिन्ह से चिन्हित उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में गुमराह किए जाने से बचाने में भी मदद मिलती है। ब्यूरो के मानक चिन्ह के दुरुपयोग के बारे में गुप्त रूप से सूचनाएं एकत्र की जाती हैं और उनके आधार पर व्यापारियों और उत्पादकों के खिलाफ छापा मारने, तलाशी लेने और उनके व्यापार पर रोक लगाने जैसी कार्रवाइयां की जाती हैं और आवश्यकता अनुसार अदालती कार्रवाई भी की जाती है।

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