झीलों की नगरी भोपाल Bhopal City of Lakes
भोपाल Bhopal
भोपाल भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है| इस शहर की स्थापना 1709 में अफगान दोस्त मोहम्मद द्वारा की गयी थी| अठारहवीं सदी में इसे मराठों का आक्रमण भी झेलना पड़ा| यहाँ के नवाब ने 1817 में अंग्रेजों से मराठों को 1818 में हराने से पहले एक संधि कर ली थी| 1931 में 730,000 आबादी वाला यह राज्य इसके बाद अंग्रेजों के शासन में रहा| 1926 में सुल्तान जहान बेगम ने अपने पुत्र हमीदुल्लाह के लिए गद्दी छोड़ दी| हमीदुल्लाह ने स्वतंत्रता के लिए भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| 1931 में जब गाँधी जी दूसरे गोलमेज सम्मलेन के लिए लंदन जा रहे थे, तब हमीदुल्लाह ने गाँधी जी से हिन्दू-मुसलिम एकता को बढ़ावा देने के लिए अपनी पूरी कोशिश करने का वादा किया| पर वह कुछ बहुत ज्यादा नहीं कर सके, क्योंकि 1938 के बाद मोहम्मद अली जिन्ना, भारतीय मुसलमानों के एकमात्र प्रवक्ता बन कर उभरे। 1947 में भोपाल रियासत ने भारतीय संघ को स्वीकार कर लिया था और यह 1956 में नए भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में एकीकृत हो गया|
भोपाल गैसकाण्ड Bhopal Gas Tragedy
स्वतंत्र भारत में, भोपाल एक औद्योगिक शहर बन गया| अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड द्वारा वहाँ रासायनिक कीटनाशकों के लिए एक प्रमुख कारखाने का निर्माण किया गया| संयंत्र ने 2-3 दिसंबर 1984 को दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया, जब हजारों लोगों को जहरीले आइसोसाइनेट गैस के रिसाव के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, और हजारों बीमार भी हो गये। कंपनी के अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन को भारत प्रत्यर्पित करने का अनुरोध किया गया ताकि उन पर हत्या की कोशिश के लिए मुकदमा दायर किया जा सके| यूनियन कार्बाइड पर भी नुकसान के लिए मुकदमा दायर किया गया था| अमेरिकी सरकार ने तकनीकी आधार पर अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। यूनियन कार्बाइड ने रिसाव के लिए तर्क दिया कि, लापरवाही या “तोड़फोड़” उसके भारतीय कर्मचारियों की वजह से हुई है, लेकिन इन आरोपों साबित नहीं किया जा सका। मामला सालों तक अदालत में चला, अंत में न्यायालय के बाहर मुआवजा देने के लिए समझौता हुआ| परन्तु यह मुआवजा आपदा पीड़ितों तक पूरी तरह से नहीं पहुंचा| भोपाल गैसकांड को दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना के रूप में भी माना जाता है|
भोपाल आपदा को भूल कर यह शहर फिर खड़ा हो गया है, वर्तमान में यह सूती कपड़ा, बिजली के सामान, और गहने सहित उत्पादों की एक महान विविधता के विनिर्माण का एक संपन्न औद्योगिक केंद्र है कि। यह अपने सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है।
भोपाल को झीलों की नगरी भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ कई छोटे-बडे ताल हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ‘इसरो’ ने अपना दूसरा ‘मास्टर कंट्रोल फ़ैसिलटी’ केंद्र स्थापित किया है। भोपाल मे ही भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है जो भारत में वन प्रबंधन का एकमात्र संस्थान है।
भोपाल के आसपास का क्षेत्र अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में निर्मित सांची का प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप भोपाल से मात्र 20 किमी. की दूरी पर स्थित है| इस राज्य की प्राचीन राजधानी विदिशा, जहाँ से मौर्य सम्राट अशोक ने शासन किया था, भोपाल के पूर्वोत्तर में 50 किमी. दूर स्थित है| भोपाल से 46 किमी. दूर दक्षिण में स्थित भीमबेटका की गुफाएं प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए जनि जाती हैं। विन्ध्य पर्वतमालाओं से घिरी इस गुफाओं का संबंध नवपाषाण काल से है। इन गुफाओं के अंदर बने चित्र गुफाओं में रहने वाले प्रागैतिहासिक काल के जीवन का विवरण प्रस्तुत करते हैं। यहां की सबसे प्राचीन चित्रकारी 12 हजार वर्ष पूर्व की मानी जाती है|
भोपाल के अन्य दार्शनिक स्थल अभ्यारण्य, भारत भवन, भोजपुर मन्दिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, भोपाल, मोती मस्जिद, ताज-उल-मस्जिद, शौकत महल, सदर मंजिल, गोहर महल, पुरातात्विक संग्रहालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय आदि हैं|