आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम – 2014 Andhra Pradesh Reorganisation Act – 2014
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक, 2013 को लोकप्रिय रूप से तेलंगाना विधेयक के नाम से जाना जाता है। यह विधेयक राज्य सभा (उच्च सदन) द्वारा 20 फरवरी, 2014 को पारित किया गया जिससे तेलंगाना भारत के 29वें राज्य के रूप में सामने आया। विधेयक की लोकसभा (निम्न सदन) द्वारा 18 फरवरी, 2014 को पारित कर दिया गया था। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को 1 मार्च, 2014 को स्वीकृति प्रदान की।
राज्यसभा में विचार-विमर्श के दौरान भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने घोषणा की कि केंद्रीय सहायता के उद्देश्य के लिए,
आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य की पांच वर्षों तक विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र दोनों राज्यों में औद्योगिकीकरण एवं आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र क्र अभिप्रेरण जैसे कदम उठाएगा। इसके अतिरिक्त, आध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य की ओडीशा में के-बी-के (कोरापुट-बोलनगीर-कालाहॉडी) विशेष योजना और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में बुंदेलखण्ड विशेष पैकेज की तर्ज पर पिछड़े भागों, विशेष रूप से रायलसीमा जिला एवं उत्तरी-तटीय आंध्र प्रदेश, के लिए एक विशेष विकास पैकेज प्रदान किया जाएगा।
यह अधिनियम व्यवस्था करता है कि तेलंगाना राज्य का भौगोलिक क्षेत्र अविभाजित आंध्र प्रदेश के 23 जिलों में से 10 जिलों में फैला होगा। तेलंगाना में कुल 10 जिले हैं- अदीलाबाद, खम्माम, ग्रेटर हैदराबाद, मेदक, रंगारेड्डी, नालगोंडा, महबूब नगर, वारंगल, करीमनगर व निजामाबाद। हैदराबाद (यह क्षेत्र ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के तौर पर अधिसूचित है) 10 वर्ष से अनधिक समय के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य की साझा राजधानी होगी। उसके बाद यह (हैदराबाद) तेलंगाना की राजधानी होगी और आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य की एक नई राजधानी होगी। केंद्र सरकार द्वारा आध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य के लिए नई राजधानी के विभिन्न विकल्पों के संदर्भ में अध्ययन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी, जो आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2013 के लागू होने की तिथि से 45 दिनों से अनधिक समय में उपयुक्त अनुशंसाएं प्रदान करेगी।
अधिनियम अभिकथित करता है कि मौजूदा आंध्र प्रदेश राज्य के राज्यपाल अस्तित्व में आए दोनों राज्यों के राज्यपाल उस समयावधि तक बने रहेंगे जैसाकि राष्ट्रपति निश्चित करेगा। राज्यपाल पर साझा राजधानी हैदराबाद में सभी लोगों के जीवन, स्वतंत्रता एवं संपत्ति की सुरक्षा की विशेष जिम्मेदारी होगी। राज्यपाल के उत्तरदायित्व कानून एवं व्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा एवं महत्वपूर्ण अवस्थापनाओं की सुरक्षा, और साझा राजधानी क्षेत्र में सरकारी भवनों के आवंटन एवं प्रबंधन जैसे विषयों तक विस्तारित होगे। अपने कृत्यों के निर्वहन में, राज्यपाल, तेलंगाना राज्य के मंत्रिसमूह से परामर्श करने के पश्चात्, कार्यवाही करने के अपने व्यक्तिगत निर्णय की क्रियान्वित कराएंगे। अधिनियम में यह साफ तौर पर अधिकथित है कि यदि कोई प्रश्न उत्पन्न हो जाए कि क्या कोई विषय ऐसा है या नहीं है जिसमें राज्यपाल अपने स्वविवेकी निर्णय से कृत्य करने को इस अधिनियम के अंतर्गत अधिकृत है या नहीं, तो राज्यपाल का स्वविवेकीय निर्णय अंतिम माना जाएगा और इसकी वैधता पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जाएगा। राज्यपाल की मदद के लिए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो परामर्शक होंगे।
केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य और तेलंगाना की मदद अतिरिक्त पुलिस बल सृजित करने में करेगी। आंध्र प्रदेश राज्य की मौजूदा ग्रेहाउंड और ओक्टोपस बलों को दोनों राज्यों के बीच बांटा जाएगा।
पोलावरम सिंचाई प्रोजेक्ट एक राष्ट्रीय प्रोजेक्ट होगा। संघ सरकार इसे अपने अधीन करेगी और इसका संचालन करेगी।
केंद्र सरकार द्वारा जैसाकि 12वीं अनुसूची में उल्लिखित है,कोयला, तेल एवं प्राकृतिक गैस, और विद्युत उत्पादन, पारेषण एवं वितरण से संबद्ध मामलों में जारी किए गए सिद्धांत, निर्देशिका, निर्देश एवं आदेशों को उत्तराधिकारी राज्यों द्वारा क्रियान्वित कराया जाएगा।
उत्तराधिकारी राज्यों में सभी छात्रों के लिए उच्च शिक्षा में समान अवसरों की सुनिश्चितता हेतु सभी सरकारी या निजी, सहायता प्राप्त या गैर-अनुदानित, उच्च तकनीकी एवं चिकित्सा संस्थानों में मौजूदा दाखिला/प्रवेश कोटा 10 वर्ष से अनधिक समय के लिए जारी रहेगा जिसमें मौजूदा कॉमन एडमिशन प्रक्रिया जारी रहेगी।
अधिनियम में 13 अनुसूचियां ये हैं: राज्यसभा सदस्यों का वर्णन; लोकसभा एवं विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन का वर्णन; विधानपरिषद निर्वाचन क्षेत्रों का वर्णन, विधान परिषद् सदस्यों का विभाजन; तेलंगाना क्षेत्र में अनुसूचित जातियों का वर्णन; तेलंगाना क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों का विस्तृत वर्णन; वित्त का ब्यौरा; कर्मचारियों को पेंशन का ब्यौरा; सरकारी उपक्रमों एवं निगमों का विस्तृत विवेचन; राज्य सरकार के संस्थानों का ब्यौरा; नदी जल नियंत्रण बोर्ड के कर्तव्यों एवं उत्तरदायित्वों का ब्यौरा; कोयला एवं विद्युत नीति की अनुसूची; और शिक्षा एवं अवसंरचना।
अधिनियम भारत के संविधान की प्रथम अनुसूची में संशोधन करता है जहां 28 राज्य के बाद 29 तेलंगाना शामिल किया जाएगा। अधिनियम राज्यसभा में 11 सीटें आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य की और 7 सीटें तेलंगाना को आवंटित करके भारत के संविधान की चौथी अनुसूची में संशोधन करता है।
अधिनियम लोकसभा में 25 सीटें आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य की और 17 सीटें तेलंगाना को आवंटित करके जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की प्रथम अनुसूची में संशोधन करता है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों की विधानसभाओं में सीटों की संख्या क्रमशः 175 और 119 होगी। राज्यपाल उत्तराधिकारी राज्यों की विधान सभाओं में प्रत्येक में एक एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधि नामांकित कर सकता है।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 169 में उपबंधों के अनुसार आंध्र प्रदेश की विधान परिषद् में 50 सदस्य होंगे जबकि तेलंगाना राज्य की विधान परिषद् में 40 सदस्य होंगे।
निर्वाचन आयोग दोनों उत्तराधिकारी राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या का निर्धारण करेगा।
जब तक कि आंध्र प्रदेश के लिए एक पृथक् उच्च न्यायालय का गठन नहीं होता, हैदराबाद उच्च न्यायालय दोनों उत्तराधिकारी राज्यों का साझा उच्च न्यायालय होगा। आंध्र प्रदेश के लिए एक पृथक् उच्च न्यायालय का गठन किया जाएगा जिसके पश्चात् हैदराबाद उच्च न्यायालय तेलंगाना उच्च न्यायालय में तब्दील हो जाएगा। आध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की प्रधान न्यायपीठ उस स्थान पर होगी जैसाकि राष्ट्रपति निश्चित करेगा।
लोक सेवा आयोग मौजूदा आंध्र प्रदेश राज्य के लिए होगा जो आंध्र प्रदेश लोक सेवा आयोग कहलाएगा। जब तक कि संविधान के अनुच्छेद-315 के अनुरूप उत्तराधिकारी राज्य तेलंगाना के लिए एक लोक सेवा आयोग गठित नहीं होता, संघ लोक सेवा आयोग, राष्ट्रपति के अनुमोदन के साथ, तेलंगाना राज्य की जरूरतों को पूरा करने पर सहमत हो सकता है।
केंद्र सरकार गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड के कृत्यों के पर्यवेक्षण के लिए एक उच्च परिषद् का गठन करेगी। इसके कृत्यों में-गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड के कार्यों का पर्यवेक्षण करना, नए प्रोजेक्ट के निर्माण के प्रस्तावों का नियोजन एवं अनुमोदन करना; उत्तराधिकारी राज्यों के बीच नदी जल के बंटवारे को लेकर उत्पन्न विवादों का दोनों के बीच बातचीत एवं समझौतों से सौहार्द्धपूर्ण हल निकालना, इत्यादि शामिल हैं।
समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित करने के अनुरूप, प्रोजेक्टों के संचालन एवं रख-रखाव, विनियमन एवं प्रशासन के लिए, केंद्र सरकार 60 दिनों के भीतर दो पृथक् बोडों की स्थापना करेगी जिन्हें गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड के नाम से जाना जाएगा। जीआरएमबी का मुख्यालय तेलंगाना में अवस्थित होगा जबकि केएमबी का मुख्यालय आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य में अवस्थित होगा। दोनों ही निकाय केंद्र सरकार के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन स्वायत्तशासी निकाय होंगे। इनके कार्यों में-उत्तराधिकारी राज्यों की प्रोजेक्टों से जलापूर्ति का विनियमन (अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के तहत् गठित न्यायाधिकरण द्वारा प्रदत्त मात्रा के अनुरूप); ऐसे समझौतों का होना या प्रबंधन करना जिसमें मौजूदा आंध्र प्रदेश राज्य की सरकार शामिल है और अन्य राज्य या संघ प्रदेश शामिल हैं-आते हैं।