एमनेस्टी इन्टरनेशनल Amnesty International – AI
अंतरराष्ट्रीय सचिवालय: लंदन (युनाइटेड किंगडम)।
सदस्यता: 150 से अधिक देशों के लगभग 3 मिलियन सदस्य, अंशदाता (subscribers) तथा नियमित दाता (donors)|
उद्भव
एमनेस्टी इन्टरनेशलन (Amnesty International–AI), जो कि एक विश्वव्यापी मानवाधिकार संगठन है, की स्थापना एक ब्रिटिश अधिवक्ता पीटर बेन्सन के द्वारा 1961 में हुई।
उद्देश्य
एआई का मुख्य उद्देश्य अन्तःकरण बन्दियों (prisoners of conscience) की मुक्ति है (अन्तःकरण बन्दियों में वे लोग सम्मिलित होते हैं, जो केवल अपने राजनीतिक या धार्मिक विश्वास, लिंग या जातीय उद्भव के कारण बन्दी बनाये जाते हैं तथा जिन्होंने हिंसा का न तो कभी प्रयोग किया है न ही समर्थन)। यह संगठन प्रताड़ना और मृत्यु दण्ड का भी विरोध करता है।
संरचना
एआई के प्रबंधन के लिये एक नौ-सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी समिति (आईईसी) का गठन किया गया है। आईईसी के नौ सदस्यों में से आठ सदस्य स्वयं-सेवक होते हैं, जिनका चुनाव अंतरराष्ट्रीय परिषद द्वारा दो वर्षों के लिये होता है तथा शेष एक सदस्य का चुनाव अंतरराष्ट्रीय सचिवालय द्वारा होता है।
गतिविधियां
एआई का अधिदेश (mandate) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार घोषणा पर आधारित है। इस संगठन को वर्ष 1977 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कया गया। एआई के अधीन 200 से अधिक अभिग्रहण (adoption) समूह कार्यरत हैं। इन समूहों का प्रत्येक सदस्य अपने देश के बन्दियों के अतिरिक्त अन्य देशों के कम-से-कम दो बन्दियों को अपनाता है। यह सरकारी अधिकारियों पर दबाव डालकर तथा लोक मत सृजित करके इन बन्दियों की मुक्ति के लिये कार्य करता है। यह राजनीतिक मुकदमों पर नजर रखने के लिये अपने पर्यवेक्षकों को भेजता है, बन्दियों की दशाओं की जांच करता है तथा मानवाधिकारों पर एक विश्व रिपोर्ट तैयार करता है, जो विश्वभर में मानवाधिकारों के उल्लंघनों को प्रकाश में लाती है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल एक गैर-सरकारी संगठन है जो पूरे विश्व में 3 मिलियन सदस्यों एवं समर्थकों के साथ मानवाधिकारों पर गौर करता है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के संगठनों के क्षेत्र में एमनेस्टी का एक लम्बा इतिहास है और एक व्यापक पहचान है, और अधिकतर लोगों और संगठनों द्वारा यह विश्वास किया जाता है कि यह समग्र तौर पर मानदंडों का निर्धारण करता है।
वर्ष 2000 के बाद, एमनेस्टी इंटरनेशनल का एजेंडा वैश्वीकरण से उत्पन्न चुनौतियों और संयुक्त राज्य अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 के हमले की प्रतिक्रिया से उत्पन्न चुनौतियों की तरफ मुड़ा। वैश्वीकरण के मुद्दे ने एमनेस्टी इंटरनेशनल की नीति में एक बड़ा परिवर्तन किया, जैसाकि इसके कार्यक्षेत्र का विस्तार हुआ जिसमें आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों का क्षेत्र शामिल है।
वर्ष 2005 के दौरान एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपना ध्यान महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, विश्व आयुध व्यापार पर नियंत्रण, संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता पर विचार और यातना की समाप्ति जैसे मामलों पर केन्द्रित किया।
2007 में एमनेस्टी इंटरनेशनल की कार्यकारी समिति ने ऐसे गर्भपात का समर्थन करने का निर्णय लिया जो बलात्कार, प्रतिबंधित यौन दुराचार या हिंसा, या जहां गर्भाधान मां के जीवन या स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया हो, का परिणाम हो।
एआई ने इस ओर ध्यान दिलाया कि 17 मार्च, 2008 तक इराक में सुरक्षा की बेहतर होती स्थिति के दावे के बावजूद, 2003 में हुए युद्ध के लम्बे समय पश्चात् भी मानवाधिकारों की बदहाल स्थिति बनी हुई है।
2009 में एआई ने इजरायल और फिलीस्तीनी हमास मूवमेंट पर गाजा में इजरायल की आपराधिक कार्रवाई, जिसे ऑपरेशन कॉस्ट लीड कहा गया, के दौरान युद्धापराध करने का आरोप लगाया जिसके परिणामस्वरूप 1,400 से अधिक फिलिस्तीनी और 18 इजरायली नागरिक मारे गए। जिसके जवाब में यूनाइटेड नेशंस फेक्ट फाइडिंग मिशन ऑन द गाजा कॉन्फिलक्ट चलाया गया ।
फरवरी 2011 में, एआई ने स्विस प्राधिकारियों से निवेदन किया कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश पर आपराधिक जांच प्रारंभ करे और उन्हें गिरफ्तार करें।
अगस्त 2012 में भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुख्य कार्यकारी को आदेश प्राप्त हुआ कि संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा की जा रही निष्पक्ष-जांच में मदद करे ताकि श्रीलंका में युद्धापराध से प्रभावित लोगों को न्याय मिल सके।